15 से 30 अगस्त तक चलेगी किन्नर-कैलाश यात्रा, प्रतिदिन 350 लोगों को ही मिलेगी अनुमति

किन्नौर, 06 अगस्त। किन्नर कैलाश यात्रा 15 से 30 अगस्त तक आयोजित की जाएगी। यात्रा के लिए शनिवार से ऑनलाइन-ऑफलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह बात एसडीएम कल्पा डॉ. शशांक गुप्ता ने यात्रा के सफल आयोजन को लेकर आयोजित बैठक में कही। उन्होंने यात्रा के आयोजन को लेकर जिले के सभी विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए कि यात्रियों के लिए यात्रा को सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए सभी तैयारियां समय रहते पूर्ण करें।

 

उन्होंने पुलिस और होमगार्ड के अधिकारियों को यात्रियों की सुरक्षा और आपात स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त मात्रा में जवानों की तैनाती करने के दिशा-निर्देश दिए। एक त्वरित प्रतिक्रिया दल का गठन करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि यात्रा के दौरान हर प्रकार की चिकित्सीय आवश्यकता को पूर्ण करें और यात्रा के अधिकतर स्थानों पर चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध करवाएं।

 

वन विभाग को रास्ते का सुधारीकरण, मार्ग में सुगमता लाने और सीसीटीवी कैमरा लगाने के निर्देश दिए। यात्रा के लिए पंजीकरण करवाना आवश्यक रहेगा। ऑफलाइन पंजीकरण के लिए जिला पर्यटन विभाग से संपर्क किया जा सकता है और ऑनलाइन पंजीकरण के लिए वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण किया जा सकता है।

 

आपको बता दें कि किन्नर कैलाश हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में तिब्बत सीमा के समीप स्थित 6050 मीटर ऊँचा एक पर्वत है। जो हिन्दू धर्म में आस्था रखने वालों के लिए विशेष धार्मिक महत्त्व रखता है। इस पर्वत की विशेषता है इसकी एक चोटी पर स्थित प्राकृतिक शिवलिंग। किन्नर कैलाश परिक्रमा जहाँ आस्थावान हिंदुओं के लिए हिमालय पर होनेवाले अनेक हिन्दू तीर्थों में से एक है, वहीं देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए एक आकर्षक एवं चुनौतीपूर्ण ट्रेकिंग भी है। हिमालय पर्वत का संबंध न केवल हिंदू पौराणिक कथाओं से है वरन हिंदू समाज की आस्‍था से भी इसका गहरा लगाव है। यह वही हिमालय है जहां से पवित्रतम नदी गंगा का उद्भव गोमुख से होता है। देवताओं की घाटी कहलाने वाला कुल्लू भी इसी हिमालय रेंज में आता है। इस घाटी में 350 से भी ज्‍यादा मंदिर स्थित हैं। इसके अलावा अमरनाथ और मानसरोवर झील भी हिमालय पर ही स्थित है। हिमालय अनेक तरह के एडवेंचर के लिए भी विश्‍व प्रसिद्ध है। अगर धर्म की दृष्टि से देखा जाए तो यह बौद्ध और सिक्‍ख धर्मों के लिए भी बहुत महत्‍पूर्ण है। हिमालय विश्‍व का सबसे बड़ा स्‍नोफिल्‍ड है, जिसका कुल क्षेत्रफल 45,000 कि॰मी॰ से भी ज्‍यादा है।