किसी के उकसावे में आकर हिंसा का रास्ता अपनाने से युवा बचें…!
आज देश में जिस तरीके से बेतुकी बयानबाजी हो रही है जो आपत्तिजनक बोल बोले जा रहे हैं वह बेहद दुखद है! लग रहा है कि वाणी पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं रह गया है! इस तरह व्यवहार के कारण देश और समाज में किस तरीके से अशांति और अराजकता का माहौल पैदा हो जाता है यह सबके सामने है!इसका नुकसान किसी एक क्षेत्र या एक समुदाय तक सीमित नहीं रहता बल्कि इसका पूरा प्रभाव देश की सामाजिक आर्थिक राजनीतिक और धार्मिक सांस्कृतिक व्यवस्था पर पड़ता है!नेताओं के बिगड़ते बोल और भाषा का गिरता स्तर बहूत गिर चुका हैं!हमने देखा कि किस तरीके से उत्तरप्रदेश पश्चिम बंगाल झारखंड आदि राज्यों में हिंसक घटनाएं हुई जो यह बताती हैं कि सरकारों और पार्टियों ने भड़काऊ गलत बयान बाजी करने वालों पर कोई ठोस कार्रवाई पूर्व में नहीं की! उसी का नतीजा आज दिख रहा है यह रहा!अब हमें समझना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न घटें इसके लिए कुछ हमें सुधार करने चाहिए पहला कदम तो यह कि ऐसे बयानवीरों की पहचान कर उन पर सख्त कार्रवाई की जाए!दूसरा मीडिया विशेषकर इलेक्ट्रानिक मीडिया को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और ऐसे लोगों को अपने कार्यक्रमों में बुलाने से परहेज करना होगा जो बिना सोचे समझे भड़काऊ बयान देते हैं और देश को हिंसा की आग में झोंकते हैं! सभी समुदायों के धर्मगुरुओं को भी अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझनी होगी!साथ ही देश की राजनीतिक पार्टियों और उनके शीर्ष स्तर के नेताओं को लोगों को शांति बनाए रखने की अपील करनी चाहिए और अपने कार्यकर्ताओं का नैतिक मार्गदर्शन करते रहना चाहिए!इसके अलावा नागरिक भी अपनी जिम्मेदारी समझें और किसी के उकसावे में आकर हिंसा का रास्ता अपनाने से बचें!देश में संविधान अपनी बात रखने का पूरा अधिकार देता है नागरिकों को याद रखना चाहिए कि संविधान में नागरिकों के कुछ कर्तव्य भी हैं जिनका नैतिकता के साथ पालन करना जरूरी है।