जंगलों के विनाश और अतिक्रमण महामारी को उत्पन्न करने वाले प्रमुख कारक

बरेली। भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर के 133वें स्थापना दिवस एवं वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता-2022 के अंतिम दिन आज विवेकानन्द सभागार में स्थापना दिवस व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन के भारतीय प्रतिनिधि एवं ‘‘टिल वी विन: इण्डियाज फाइट अगेन्स्ट द कोविड-19 पैन्डेमिक’’ के प्रमुख लेखक डॉ. चन्द्रकान्त लहरिया ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक एवं कुलपति डॉ. त्रिवेणी दत्त ने डॉ. लहरिया का स्वागत करते हुए संस्थान के भविष्य की दशा और दिशा पर प्रकाश डाला।

‘‘वन हेल्थ इन पोस्ट कोविड-19 पैनडेमिक पीरियड’’ विषय पर अपना व्याख्यान देते हुए डॉ. लहरिया ने कहा कि जंगलों के विनाश और अतिक्रमण, जलवायु परिवर्तन, बढ़ता तापमान, ज्यादा मात्रा में एंटीबायोटिक दवाओं के प्रयोग आदि महामारी को उत्पन्न करने वाले प्रमुख कारक हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 से पूर्व एक सदी में स्वाइन फ्लू जैसी छोटी महामारी दुनिया में कई बार आ चुकी है, ऐसी महामारी के पनपने का खतरा एशिया और अफ्रीकी देशों में सर्वाधिक है। यातायात के तीव्र साधन किसी भी महामारी के प्रसार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। हम दिनोदिन द्वितीय महामारी की ओर जा रहे हैं। जंगलों में विषाणुओं का होना साधारण सी बात है और जंगलों के विनाश तथा अतिक्रमण से इसका फैलना आसान हो जाता है। जलवायु परिवर्तन दुनिया के सभी चर और अचर वस्तुओं और जीवों को प्रभावित करता है तथा बीमारी फैलाने वाले मच्छर आदि जलवायु के अनुसार ही स्वयं में परिवर्तन करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के ‘‘वन हेल्थ प्रोगाम-2008’’ के अनुसार मानव, पशु, जंगल आदि पर स्थानीय, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सुनियोजित तरीके से कार्य करने की आवश्यकता है। दुनिया के सभी जीवों के स्वास्थ्य पर ‘‘वन हेल्थ’’ का विचार सबसे पहले सन् 1848 में ही वैज्ञानिकों, समाज शास्त्रियों आदि के द्वारा आ गया था।

व्याख्यान से पूर्व संस्थान के निदेशक एवं कुलपति डॉ. त्रिवेणी दत्त ने कहा कि हमें भारत सरकार की नई शिक्षा नीति के अनुरूप तथा वैश्विक परिदृश्य में संस्थान में शिक्षा का विकास करना है। इसके लिए वैश्विक श्रेणी की आधारभूत सुविधाएँ भी विकसित करना है। हमारी योजना है कि हम 2022-23 में पशुचिकित्सा के बैचलर डिग्री में स्ववित्तपोषित और एन.आर.आई. सीटों पर भी उम्मीदवारों को प्रवेश दें।