घर में शंख रखने और बजाने के ये हैं फायदे

पूजा-पाठ में शंख बजाने का चलन युगों-युगों से है!
देश के कई भागों में लोग शंख को पूजाघर में रखते हैं!
और इसे नियमित रूप से बजाते हैं.जो न केवल आध्यात्मिक रूप से, बल्कि कई दूसरे तरह से भी
फायदेमंद हैं. शंख रखने, बजाने व इसके जल का उचित इस्तेमाल करने से कई तरह के लाभ होते हैं. कई फायदे तो सीधे तौर पर सेहत से जुड़े हैं.!

शंख की पूजा इस मंत्र के साथ की जाती है.

”त्वंपुरासागरोत्पन्न:विष्णुनाविघृत:करे
देवैश्चपूजित:सर्वथैपाञ्चजन्यनमोऽस्तुते।”

जिस घर में शंख होता है, वहां लक्ष्मी का वास होता है. धार्मिक ग्रंथों में शंख को लक्ष्मी का भाई बताया गया है, क्योंकि लक्ष्मी की तरह शंख भी सागर से ही उत्पन्न हुआ है. शंख की गिनती समुद्र मंथन से निकले चौदह रत्नों में होती है.

शंख को इसलिए भी शुभ माना गया है, क्योंकि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु, दोनों ही अपने हाथों में इसे धारण करते हैं.

पूजा-पाठ में शंख बजाने से वातावरण पवित्र होता है. जहां तक इसकी आवाज जाती है, इसे सुनकर लोगों के मन में सकारात्मक विचार पैदा होते हैं. अच्छे विचारों का फल भी स्वाभाविक रूप से बेहतर ही होता है.

शंख के जल से विष्णु, लक्ष्मी का अभिषेक करने से प्रभु प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है.

ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि शंख में जल रखने और इसे छिड़कने से वातावरण शुद्ध होता है.

शंख की आवाज लोगों को पूजा-अर्चना के लिए प्रेरित करती है. ऐसी मान्यता है कि शंख
की पूजा से कामनाएं पूरी होती हैं. इससे दुष्ट आत्माएं पास नहीं फटकती हैं.

वैज्ञानिकों का मानना है कि शंख की आवाज से वातावरण में मौजूदकईतरहकेजीवाणुओं-कीटाणुओं का नाश हो जाता है. कई टेस्ट से इस तरह के नतीजे मिले हैं.

आयुर्वेद के मुताबिक, शंखोदक के भस्म के उपयोग से पेट की बीमारियां, पथरी, पीलिया आदि
कई तरह की बीमारियां दूर होती हैं. हालांकि इसका उपयोग एक्सपर्ट वैद्य की सलाह से ही
किया जाना चाहिए.

शंख बजाने से फेफड़े का व्यायाम होता है. पुराणों के जिक्र मिलता है कि अगर श्वास का रोगी नियमित तौर पर शंख बजाए, तो वह बीमारी से मुक्त हो सकता है. शंख में कैल्शियम, फास्फोरस रहता हे!