पर्यावरण के संतुलन के लिए सभी को मिलकर कदम बढ़ाना..!

आज पर्यावरण एक जरूरी सवाल ही नहीं बल्कि ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है लेकिन आज लोगों में इसे लेकर जागरूकत है ग्रामीण समाज को छोड़ दें तो भी महानगरीय जीवन में इसके प्रति खास उत्सुकता नहीं पाई जाती! परिणामस्वरूप पर्यावरण सुरक्षा महज एक सरकारी एजेण्डा ही बन कर रह गया है! जबकि यह पूरे समाज से बहुत ही घनिष्ठ सम्बन्ध रखने वाला सवाल है जब तक इसके प्रति लोगों में एक स्वाभाविक लगाव पैदा नहीं होता पर्यावरण संरक्षण एक दूर का सपना ही बना रहेगा!पर्यावरण का सीधा सम्बन्ध प्रकृति से है अपने परिवेश में हम तरह तरह के जीव जन्तु पेड़ पौधे तथा अन्य सजीव निर्जीव वस्तुएँ पाते हैं ये सब मिलकर पर्यावरण की रचना करते हैं!विज्ञान की विभिन्न शाखाओं जैसे भौतिक विज्ञान रसायन विज्ञान तथा जीव विज्ञान आदि में विषय के मौलिक सिद्धान्तों तथा उनसे सम्बन्ध प्रायोगिक विषयों का अध्ययन किया जाता है!परन्तु आज की आवश्यकता यह है कि पर्यावरण के विस्तृत अध्ययन के साथ साथ इससे सम्बन्धित व्यावहारिक ज्ञान पर बल दिया जाए आधुनिक समाज को पर्यावरण से सम्बन्धित समस्याओं की शिक्षा व्यापक स्तर पर दी जानी चाहिए साथ ही इससे निपटने के बचावकारी उपायों की जानकारी भी आवश्यक है आज के मशीनी युग में हम ऐसी स्थिति से गुजर रहे हैं प्रदूषण एक अभिशाप के रूप में सम्पूर्ण पर्यावरण को नष्ट करने के लिए हमारे सामने खड़ा है! सम्पूर्ण विश्व एक गम्भीर चुनौती के दौर से गुजर रहा है!वास्तव में आज पर्यावरण से सम्बद्ध उपलब्ध ज्ञान को व्यावहारिक बनाने की आवश्यकता है ताकि समस्या को जनमानस सहज रूप से समझ सके ऐसी विषम परिस्थिति में समाज को उसके कर्त्तव्य तथा दायित्व का एहसास होना आवश्यक है इस प्रकार समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा की जा सकती है!आज पर्यावरण का संतुलन विगड़ता जा रहा है जिससे कहीं सूखा कही अतिवृष्टि जैसी समस्याएं उत्पन्न होती जा रही है जो जमीन कल तक उपजाऊ थी आज देखा जाए तो उसमें अच्छी फसल नही होती और ऐसा प्रतीत होता है कि आने वाले समय मे यह बंजर हो जाएगी! हमे पर्यावरण के संतुलन कर लिए सभी को मिलकर कदम बढ़ाना होगा नही तो यह वसुन्धरा कही जाने वाली हमारी पृथ्वी एक दिन बन्जर होकर रह जायेगी और इससे जीवन समाप्त हो जाएगा और यह फिर से वही आकाश पिण्ड का गोला बनकर रह जायेगी।