Wednesday, September 17, 2025
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भगवान श्रीकृष्ण समस्त जीवों के अन्दर परमात्मा रुप में विराजमान हैं: धीरशान्त

मुरादाबाद। कहारो के मन्दिर, लाल बाग में आनन्द महोत्सव संकीर्तन में कथा व्यास एवं मठ-मन्दिर विभाग प्रमुख धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि भगवान लीलाओं के माध्यम से संसार में प्रकट होते हैं। मथुरा कारागार में जन्म लेकर भगवान श्रीकृष्ण गोकुल में आये। आनन्द मंगलगान एवं छठी महोत्सव से बृजवासियों ने अपने समस्त गोप गोपियां संग”नन्द के आनन्द भयो जय कन्हैया लाल की” जयकारों लगाकर, भगवान का स्वागत किया।

इस संसार के समस्त देहधारियों में जिसे मनुष्य देह प्राप्त हुई है तो उसे इंद्रियतृप्ति के लिए ही अहर्निश कठिन श्रम नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा तो विष्ठा भोजी कुकर – सुकर भी कर लेते हैं। मनुष्य को चाहिए की भक्ति का दिव्य पद प्राप्त करने के लिए वह अपने को हरिभक्ति में लगाये। ऐसा करने से उसका हृदय शुद्ध हो जाता है और जब वह इस पद को प्राप्त होता है तो उसे शाश्वत जीवन का आनन्द मिलता है जो दिव्य है और कभी भी अन्त नहीं होने वाला है।
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि मैं प्रत्येक जीव के हृदय में आसीन हूं और मुझसे ही स्मृति, ज्ञान, तथा विस्मृति होती है। यदि कोई कृष्णभावनामृत से पूर्ण रहे , तो वह अपने घर को अत्यंत सुखमय बना सकता है , क्योंकि यह विधि अत्यंत सरल है । इसमें केवल हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे , हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे- का संकीर्तन करके, कृष्णार्पित भोग का उच्छिष्ट ग्रहण करने से ही परम कल्याण हो जाता है, भगवद गीता तथा श्रीमद् भागवतम जैसे ग्रंथो पर विचार – विमर्श करके हमें समाज को दिव्य ज्ञान के रसामृत में सराबोर करना चाहिए। अर्चाविग्रह की पूजा करते हुए अपने खान पान की शुद्धता से मनुष्य सुखी होगा । मनुष्य को चाहिए की अपने परिवार के सदस्यों को ऐसी शिक्षा दे । परिवार के सदस्य प्रतिदिन प्रातः तथा सायंकाल बैठ कर साथ – साथ हरे कृष्ण का कीर्तन करें । यदि कोई इन चारों सिद्धांतों का पालन करते हुए अपने पारिवारिक जीवन को कृष्णभावनामृत विकसित करने में ढाल सके , तो पारिवारिक जीवन को त्याग कर विरक्त जीवन बिताने की आवश्यकता नहीं होगी । लेकिन यदि यह आद्यात्मिक प्रगति के लिए अनुकूल न रहे , तो पारिवारिक जीवन का परित्याग कर देना चाहिए ।
व्यवस्था में विजय वर्मा, मनोरमा गुप्ता, प्रेम सिंह,पार्षद, शीला सैनी, सोना कश्यप, महालक्ष्मी देवी दासी, माधव कान्ता देवी दासी, रामपाल सिंह, सतपाल सैनी, बबलू कश्यप, आलोक सैनी, बन्टी कश्यप, बाबूराम हलवाई, सोनू सैनी, रोहित कश्यप, रेखा कश्यप, जितेन्द्र कश्यप आदि ने सहयोग दिया।