गीता का प्रकाटय स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से हुआ: अर्द्धमौनी
मुरादाबाद। पैसेफिक स्टार होम सोसायटी, कांठ रोड में आयोजित श्रीगीता जयन्ती महोत्सव में इक्कीस हजार आहुतियों को सात सौ श्लोकों के उच्चारण के साथ यज्ञकुण्ड में प्रदत्त किया गया। इस अवसर पर कथा व्यास एवं यज्ञ संचालक श्रद्धेय धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि विश्व के किसी भी धर्म या संप्रदाय में किसी भी ग्रंथ की जयंती नहीं मनाई जाती। सनातन हिंदू धर्म भी केवल गीता जयंती मनाने की परम्परा पुरातन काल से चली आ रही है, क्योंकि अन्य ग्रंथ किसी मनुष्य द्वारा लिखे या संकलित किए गए हैं जबकि गीता का प्रकाटय स्वयं भगवान श्री कृष्ण के श्रीमुख से हुआ है:- “या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्माद्विनि:सृता” श्रीगीताजी का प्राकट्य धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में मार्गशीर्ष मास में शुक्लपक्ष की मोक्षदा एकादशी को भगवान श्रीकृष्ण के मुख से हुआ था, यह तिथि मोक्षदा एकादशी के नाम से विख्यात है।
कलियुग के प्रारंभ होने के मात्र तीस वर्ष पहले, मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन, कुरुक्षेत्र के मैदान में, अर्जुन के नन्दिघोष नामक रथ पर सारथी के स्थान पर बैठकर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश किया था।
इसी तिथि को प्रतिवर्ष गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है। गीता एक सार्वभौम ग्रंथ है, यह किसी काल, धर्म, संप्रदाय या जाति विशेष के लिए नहीं अपितु संपूर्ण मानव जाति के लिए हैं।
इसे स्वयं श्रीभगवान ने अर्जुन को निमित्त बनाकर कहा है, इसलिए इस ग्रंथ में कहीं भी श्रीकृष्ण उवाच शब्द नहीं आया है बल्कि श्रीभगवानुवाच का प्रयोग किया गया है। इसके छोटे-छोटे अठारह अध्यायों में इतना सत्य, ज्ञान व गंभीर उपदेश भरे हैं जो मनुष्यमात्र को नीची से नीची दशा से उठाकर देवताओं के स्थान पर बैठाने की शक्ति रखते हैं।
भगवद् गीता के पठन-पाठन श्रवण एवं मनन-चिंतन से जीवन में श्रेष्ठता के भाव आते हैं। गीता केवल लाल कपड़े में बाँधकर घर में रखने के लिए नहीं बल्कि उसे पढ़कर संदेशों को आत्मसात करने के लिए है। गीता का चिंतन अज्ञानता के आचरण को हटाकर आत्मज्ञान की ओर प्रवृत्त करता है।
गीता भगवान की श्वास और भक्तों का विश्वास है। मंगलमय जीवन का ग्रंथ है गीता, गीता केवल ग्रंथ नहीं, कलियुग के पापों का क्षय करने का अद्भुत और अनुपम माध्यम है। जिसके जीवन में गीता का ज्ञान नहीं वह पशु से भी बदतर होता है। गीता भक्तों के प्रति भगवान द्वारा प्रेम में गाया हुआ गीत है।
गीता मंगलमय जीवन का ग्रंथ है, गीता केवल धर्म ग्रंथ ही नहीं यह एक अनुपम जीवन ग्रंथ है। जीवन उत्थान के लिए इसका स्वाध्याय हर व्यक्ति को करना चाहिए। गीता एक दिव्य ग्रंथ है, यह हमें पलायन से पुरुषार्थ की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है।
यज्ञ में पं०राजकिशोर शास्त्री, आचार्य रवि भूषण जी, मुकुल अग्रवाल, बनवारी लाल तोदी, नवनीत गुप्ता ने पूजन कराया।
कार्यक्रम में प्रिया अग्रवाल, अभिषेक अग्रवाल, अर्चना अग्रवाल, अरविन्द अग्रवाल जानी, विनीत अग्रवाल, सुमित अग्रवाल, कृष्ण अवतार, योगेश अग्रवाल, अशोक सिक्का, अशोक कुमार सक्सैना, रमेशचन्द्र अग्रवाल, बबीता अग्रवाल,नवीन गुप्ता, विशाल उपाध्याय, भोला नाथ खन्ना, एस सी सक्सैना, प्रमोद कुमार जैन, संजय स्वामी, अनिमेष शर्मा, सारिका अग्रवाल, प्रभा बब्बर, माया अरोड़ा आदि रहे।