शरद पूर्णिमा को भगवान श्रीकृष्ण रास रचाते हैं : अर्द्धमौनी
मुरादाबाद। टीडीआई सिटी एवं गौर ग्रेसियस कांठ रोड में आयोजित शरद पूर्णिमा महोत्सव में भगवान जगन्नाथ दर्शन, छप्पन भोग एवं भजन सन्ध्या का आयोजन हुआ जिसमें कथा व्यास श्रद्धेय धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि शरद पूर्णिमा का आयुर्वेद में वर्णन है। इस रात चन्द्र की रोशनी अमृत तुल्य औषधीय गुणों से परिपूर्ण होती है। इस कारण ही शरद पूर्णिमा की रात चन्द्र की रोशनी में खीर बनाने की परम्परा है। जिससे चन्द्र के औषधीय गुण खीर में आ जाते हैं। शरद पूर्णिमा की खीर बहुत विशेष होती है, क्योंकि इसमें दूध, चावल, सूखे मेवे, केसर के साथ ही चन्द्र के औषधीय गुण भी शामिल रहते हैं। जिसकी वजह से हमारी भक्ति बढ़ती है।
शरद पूर्णिमा के पवित्र अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों संग, वृन्दावन में महारासलीला रचाई थी। आज भी शरद पूर्णिमा पर वृन्दावन में अनेकों विशेष कार्यक्रम होते हैं। शरद पूर्णिमा की रात को रासलीला की रात भी कहते हैं। इस तिथि पर चन्द्रमा अपनी सभी 16 कलाओं के साथ दिखाई देता है। चन्द्र अन्य पूर्णिमा तिथियों की अपेक्षा इस पूर्णिमा पर कुछ ज्यादा बड़ा दिखेगा।
भगवान अपने मस्तक पर चन्द्रमा को धारण किए रहते हैं। इस वजह से श्रीकृष्ण की पूजा से चन्द्र ग्रह के दोष दूर होते हैं। इस दौरान ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। चन्द्र मन्त्र ऊँ सों सोमाय नम: का जप करें। रात में कृष्ण पूजन पूजा करें और खीर का भोग लगाएं। इस रात राधा कृष्ण की भी पूजा करें। भगवान जी के सामने दीपक जलाएं। गीता का या रामायण का पाठ करें।
शरद पूर्णिमा की रात कुछ देर चांदनी रात में जरूर बैठना चाहिए। चन्द्रमा की रोशनी में भजन भी कर सकते हैं। ऐसा करने से मन शान्त होता है और नकारात्मक विचार खत्म होते हैं।
सौ कार्य को छोड़कर भोजन करना चाहिये।
हजारों कार्य को छोड़कर स्नान करना चाहिये।
लाखों कार्य को छोड़कर दान देना चाहिये। करोड़ों कार्य को छोड़कर हरि भजन करना चाहिये।
मीराबाई निश्चिंत, निर्भय, नि:शोक और नि:शंक हो गयी थीं अर्थात उनके मन में न चिन्ता थी, न भय था, न शोक था, न शंका थी, प्रत्युत केवल प्रभु-चरणों का आश्रय था। मीराबाई परदे में रहने वाली थीं। वह परदे में जन्मी, परदे में ब्याही गईं और परदे में ही रहीं। फिर भी अकेली वृंदावन चली गयीं, द्वारका चली गयीं। उनके भीतर कोई भय था ही नहीं, प्रत्यक्ष में कोई सहायता करने वाला न होने पर भी उनके भीतर कितनी दृढ़ता थी। इसलिए ‘मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई’ इसके सिवाय और किसी बात को मानने की आवश्यकता नहीं है। हम चाहे घर में रहें, चाहे बाहर रहें, कैसी ही अवस्था में रहें, एक भगवान का ही आश्रय हो तो फिर किसी बात का भय नहीं।
भजन सन्ध्या में बद्रीनाथ धाम से गोपाल पुरोहित, संतोष ब्रह्मचारी, विधायक रितेश गुप्ता, शिक्षक विधायक जयपालसिंह व्यस्त, राजेश रस्तोगी आदि ने भगवान जगन्नाथ दर्शन, छप्पन भोग अर्पण करके पूजा अर्चना की।
आयोजन में मनोज अग्रवाल, संजय अग्रवाल, संजीव अग्रवाल, ऋतु अग्रवाल, राजीव गुप्ता, संजीव गुप्ता, सौरभ गुप्ता, मुदित गुप्ता, विदित गुप्ता, चौधरी विरेन्द्र सिंह प्रधान, पं० पद्मनाभ शुक्ला, पं० राजीव शुक्ला, आचार्य रवि भूषण, अनुराधा गुप्ता, मीनू अग्रवाल आदि ने सहयोग दिया।