उत्तर प्रदेश फुटबॉल संघ में व्याप्त गंभीर भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं पर हाइकोर्ट ने लिया संज्ञान

प्रयागराज। सुपर स्पोर्ट सोसायटी ,लखनऊ के अध्यक्ष प्रभजोत सिंह नंदा के द्वारा उत्तरप्रदेश फुटबॉल संघ में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध दाखिल याचिका में याची की ओर से अधिवक्ता सुनील चौधरी ने माननीय न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय के समक्ष बहस में बताया कि उत्तर प्रदेश शासन उपसचिव ने 24 जनवरी 2020 को जिलाधिकारी ,वाराणसी को आदेश दिया कि प्रकरण अति संवेदनशील है ,माननीय मुख्यमंत्री जी के आदेशों से आच्छादित है, मुख्यमंत्री द्वारा प्रकरण की गहनता पूर्वक जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही कर 10 दिन में शासन को जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने का आदेश दिया है ।

जिलाधिकारी वाराणसी ने अपर जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी से उत्तरप्रदेश फुटबॉल संघ,54 राजा बाजार वाराणसी की जांच सुपर स्पोर्ट सोसायटी,लखनऊ के अध्यक्ष प्रभजोत सिंह नंदा व उमेश गुप्ता महासचिव की शिकायत पर कराई ।शिकायत में बताया गया है कि प्रदेश के महासचिव मोहम्मद शमसुद्दीन व उनके परिवार के लोग पिछले पिछले 16 वर्षों से किसी वैधानिक एवं लोकतांत्रिक प्रक्रिया के बिना पद पर काबिज हैं। उत्तर प्रदेश फुटबॉल संघ लगभग 30 -40 वर्षों से एक ही परिवार के कब्जे में है। महिला खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न ,मानसिक व शारीरिक शोषण करने पर निलंबन की भी कार्रवाई की गई । संस्था के महासचिव व अन्य दो के विरुद्ध वाराणसी थाना कैंट व हजरतगंज थाना,लखनऊ में धोखा धडी ,फर्जीवाड़ा व अन्य धाराओं में एफ आई आर भी दर्ज की जा चुकी है। शिकायतें सही पाए जाने के बावजूद उच्च अधिकारियों ने जांच रिपोर्ट को दबा दिया।

असिस्टेंट रजिस्ट्रार वाराणसी ने अपनी जांच रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश फुटबॉल संघ के ऊपर लगे आरोपों को सही पाते हुए सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट की धारा 25(2 )के प्रावधानों के अंतर्गत संस्था की प्रबंध समिति कालातीत घोषित करते हुए प्रबंध समिति के चुनाव कराए जाने के आदेश दिए थे ।उत्तर प्रदेश फुटबॉल संघ के द्वारा इस आदेश को हाई कोर्ट इलाहाबाद में चैलेंज किए जाने पर याचिका 6 जनवरी 2021 को खारिज भी कर दी गई थी।

याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने न्यायालय को बताया कि असिस्टेंट रजिस्ट्रार ने बिना उच्च अधिकारियों को सूचित व अनुमोदन के अपने ही आदेश को बिना जांच व मात्र नोटरी शपथ पत्र के आधार पर वापस ले लिया । इस प्रकार भ्रस्टाचारियो से मिलकर अपने सेवानिवृत से कुछ दिन पहले ही तत्कालीन सहायक निबन्धक ,वाराणसी श्री योगेश चन्द्र त्रिपाठी ने अपने आदेश को वापस ले लिया ,जबकि सहायक निबंधक को अपने ही आदेश को वापस लिए जाने का कोई अधिकार नहीं है।

तत्कालीन सहायक निबन्धक योगेश चन्द्र त्रिपाठी व अन्य के विरुद्ध कार्यवाही किये जाने व महिला खिलाड़ी वर्षा रानी के उत्पीड़न पर कार्यवाही,सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन बनाम राहुल मेहरा व अन्य में दिये गए गाइड लाइन के अनुसार वैध सदस्यों के द्वारा अन्य विभाग के अधिकारियो के द्वारा चुनाव कराए जाने सहित कई मांगो को लेकर 4 अप्रैल 2022 को पुनः प्रमुख सचिव ,खेल सहित कई अधिकारियों को प्रत्यावेदन दिया जो विचाराधीन है।

उक्त तथ्यों को गम्भीरता से लेते हुए माननीय न्यायालय ने उत्तरप्रदेश सरकार प्रमुख सचिव खेल लखनऊ, जिलाधिकारी वाराणसी, सहायक निबन्धक वाराणसी, खेल निदेशक,लखनऊ व यू. पी .एफ .एस.,वाराणसी से 8 सप्ताह में जवाब दाखिल करने व याची को दो सप्ताह में रीजॉइंडर/प्रतिउत्तर दाखिल करने का आदेश दिया है ।जवाब दाखिल होने के बाद हाइकोर्ट रजिस्ट्रार को मुकदमे की फाइनल सुनवाई के लिए तारीख तय करने का भी आदेश दिया है।