प्रशिक्षु अधिग्रहित ज्ञान और कौशल से अनुसंधान में ला सकते हैं सुधार

बरेली। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के प्रतिरक्षा अनुभाग में आयोजित दस दिवसीय कार्यशाला का समापन हुआ। यह कार्यशाला विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित थी। इस अवसर पर भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के संयुक्त निदेशक (शोध) डॉ. एस.के. सिंह ने कहा कि यदि प्रशिक्षु अधिग्रहित ज्ञान और कौशल का अपने अपने क्षेत्रों में सही दिशा में प्रयोग करें तो इससे उनके अनुसंधान में काफी सुधार हो सकता है।

अपने अभिभाषण में संयुक्त निदेशक (शोध) डॉ. सिंह ने कहा कि युवा शोधकर्ताओं की आवश्यकता के अनुसार कार्यशाला का आयोजन किया गया था। उन्होंने इस कार्यशाला में लगभग 85 प्रतिशत महिला उम्मीदवारों की भागीदारी की सराहना की। इस अवसर पर कार्यशाला से संबन्धित कंपेडीयम का विमोचन भी किया गया ।

प्रतिरक्षा अनुभाग के प्रभारी डॉ. एस. दंडापत ने कहा कि युवाओं के लिए इस तरह के प्रशिक्षण से उन्हें अपने शैक्षणिक एवं अनुसंधान कौशल में सुधार लाने में मदद मिलेगी और वे प्रौद्योगिकी विकास एवं राष्ट्र निर्माण में अपना बहमूल्य योगदान दे सकते हैं। उन्होंने इस कार्यशाला को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए प्रतिरक्षा अनुभाग और अन्य विषयों के संकायों, छात्रों और कर्मचारियों के प्रयासों की सराहना की।

कार्यशाला के आयोजक/संयोजक डॉ. मिथलेश सिंह ने प्रशिक्षण की संक्षिप्त रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि देश के 09 राज्यों केरल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के 20 स्नातकोत्तर/ पीएचडी छात्रों ने इस कार्यशाला में भाग लिया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान आईवीआरआई तथा आईआईटी, एम्स, एमएनएनआईटी और पंजाब विश्वविद्यालय जैसे अन्य संगठनों के संकायों द्वारा कुल 20 व्याख्यान और 24 व्यावहारिक कक्षाएं आयोजित की गईं। प्रशिक्षुओं को इन-विवो इमेजिंग सिस्टम, एसपीआर, रियल टाइम पीसीआर, फ्लो साइटोमीटर, बीएसएल-3, स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप और कन्फोकल माइक्रोस्कोप जैसे उच्च अंत उपकरणों से भी अवगत कराया गया। इस कार्यशाला के दौरान प्रशिक्षुओं को संस्थान की अन्य सुविधाओं जैसे एनएलवीएस, रेफरल पशु पॉलीक्लिनिक, एलएआर और आईवीआरआई संग्रहालय को देखने का भी अवसर प्राप्त हुआ ।