अडानी ग्रुप की कंपनियों में निवेशकों की करोड़ों की रकम डूबी

बरेली। अडानी ग्रुप पर अमेरिकी एजेंसी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद शेयर बाजार में आए भूचाल में बरेली के भी हजारों निवेशकों की करोड़ों की रकम डूब गई है। इसके बाद शेयर बाजार में किस्मत आजमाने वालों में इस कदर दहशत का माहौल है कि निवेशकों ने धड़ाधड़ शेयर बेचने शुरू कर दिए हैं।

जबर्दस्त बिकवाली से शेयर बाजार और गिरने का अंदेशा पैदा हो गया है। विशेषज्ञ शेयर बाजार के भावी रुख का अनुमान लगाने में जुट गए हैं। फिलहाल कुछ विशेषज्ञ इसे वक्ती हलचल मान रहे हैं तो कुछ का कहना है कि स्थिति साफ होने में अभी समय लगेगा।

हिंडनबर्ग रिसर्च की अडानी ग्रुप पर रिपोर्ट आने के बाद शेयर बाजार में निवेशकों के तो करोड़ों डूब ही गए हैं, सरकारी बैंकों में भी चिंता का माहौल है। वजह यह है कि अडानी ग्रुप को निजी बैंकों के बजाय सरकारी बैकों ने ज्यादा लोन दिया है। शेयर बाजार के लिए ब्लैक फ्राइडे करार दिए जा रहे इस घटनाक्रम में सबसे ज्यादा नुकसान एलआईसी को हुआ है। अडानी ग्रुप के शेयरों में एलआईसी ने ही सबसे ज्यादा पैसा लगाया था। दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति की कंपनी पर भरोसा करते हुए रिटेल निवेशकों ने भी उसके शेयरों में अच्छा-खासा पैसा लगाया हुआ था।

रिटेल निवेशकों को पैसा बढ़ने की उम्मीद थी लेकिन अमेरिकी एजेंसी की रिपोर्ट ने अडानी को तो दुनिया के तीसरे सबसे अमीर शख्स से सातवें नंबर पर तो धकेला ही, निवेशकों को भी भारी नुकसान पहुंचा दिया। कई निवेशक रिपोर्ट आने के बाद मुनाफा लेकर शेयर मार्केट से निकल गए। सबकुछ इतना तेजी से हुआ कि बाजार को संभलने का तक मौका नहीं मिला। बजट से पहले हुई इस गिरावट के बीच छोटे निवेशक भी हड़बड़ाहट में शेयर बेचकर निकले तो बाजार को और धक्का लगा।

शेयर बाजार के विशेषज्ञ अब अलग-अलग तरह के अनुमान लगा रहे हैं। कुछ का मानना है कि यह प्री बजट गिरावट है तो यह भी माना जा रहा है कि अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों की वजह से बाजार ज्यादा गिरा है। विशेषज्ञों के मुताबिक अडानी ग्रुप की कंपनियों में बरेली के हजारों निवेशकों ने करोड़ों रुपये लगा रखे हैं। शुक्रवार को गिरावट शुरू होते ही कुछ निवेशकों ने आननफानन अपने शेयर बेच डाले। बाकी फिलहाल घाटे में चले गए हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि बाजार संभलेगा तो कुछ हद तक भरपाई होने की संभावना है।