देशभर में आई फ्लू तेजी से फैल रहा, स्वास्थ विभागों द्वारा एडवाइजरी भी जारी

 

भारत में कंजक्टिवाइटिस तेजी से फैल रहा है. स्वास्थ विभागों द्वारा इससे बचने की एडवाइजरी भी जारी की गई है. ‘कंजक्टिवाइटिस, कंजंक्टिवा (आंख का सफेद हिस्सा) की सूजन है. इसे आम भाषा में आई फ्लू के नाम से भी जाना जाता है. यह आंख के सफेद हिस्से और पलकों के अंदर को ढकने वाली एक पतली और पारदर्शी परत को प्रभावित करता है. आई फ्लू को काफी संक्रामक माना जाता है और यह तेजी से फैलता है. खासकर भीड़-भाड़ वाली जगहों और बच्चों में. भारत में आमतौर पर 5 तरह से आई फ्लू फैल रहा है. तो आइए उनसे बचने के तरीके भी जान लीजिए.

 

वायरल कंजक्टिवाइटिस सबसे आम प्रकार है और एक वायरस के कारण होता है. यह वायरस संक्रामक होता है और किसी संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने या वायरस से दूषित सतहों को छूने से फैल सकता है. इसके लक्षणों में आंखों का लाल होना, पानी निकलना, खुजली शामिल हैं. वायरल कंजक्टिवाइटिस के लिए कोई विशेष इलाज नहीं है और यह आमतौर पर 1 से 3 हफ्ते के भीतर अपने आप ठीक हो जाता है. हालांकि डॉक्टर्स इसके लिए आई ड्रॉप्स सजेस्ट कर सकते हैं.

 

बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस, बैक्टीरिया के कारण होता है और इसमें आंखों का लाल होना, पानी निकलना और चुभन होना काफी आम है. यह संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से या किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ चीजें शेयर करने से फैल सकता है. बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस के इलाज के लिए आमतौर पर एंटीबायोटिक आई ड्रॉप दी जाती है. इसे फिर से होने से रोकने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं की पूरी डोज लेनी जरूरी है.

 

एलर्जी कंजक्टिवाइटिस धूल के कण, पालतू जानवरों की रूसी या कुछ रसायनों जैसे एलर्जी के कारण हो जाती है. यह अधिक संक्रामक नहीं है और इससे दोनों आंख इफेक्टेड होती हैं. तेज खुजली, लाल होना और चुभन होना इसके संकेत हैं. एलर्जी के संपर्क से बचने और एंटीहिस्टामाइन आई ड्रॉप का उपयोग करने से आराम मिल सकता है.

 

कैमिकल कंजक्टिवाइटिस, उत्तेजक पदार्थों या कैमिकल के संपर्क में आने से होता है. जैसे स्विमिंग पूल के पानी में मिला क्लोरीन, धुआं या फ्लोर या बेस क्लीनर्स से निकलने वाली गैस. इसके लक्षणों में आंखें लाल होना, दर्द और पानी निकलना काफी कॉमन है. ऐसे मामलों में आंखों को तुरंत साफ पानी से धोना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए क्योंकि ऐसे कैमिकल अधिक नुकसान भी पहुंचा सकते हैं.

 

जीपीसी, कंजक्टिवाइटिस का काफी कॉमन रूप है जिसमें आंखों की पल कम सामान्य रूप है, जिसमें पलकों की भीतरी सतह पर पैपिला (उभार) बन जाते हैं. यह अक्सर कॉन्टैक्ट लेंस या ऑक्यूलर प्रोस्थेटिक्स के लंबे समय तक उपयोग के कारण होता है. लक्षणों में खुजली, लाल होना और कॉन्टैक्ट लेंस पहनते समय परेशानी होना शामिल है. उपचार में लेंस को पहनना बंद करना और सूजन को कम करने के लिए दिया गया आई ड्रॉप डालना है.