जिले में 268 नए तालाबों का होगा निर्माण

रामपुर। जनपद में 71 ग्राम पंचायतों में नीम और पीपल सहित अन्य औषधीय गुणों से भरपूर पौधों का बल्क प्लांटेशन के साथ पंचवटी तैयार करायी जाएगी।

मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के निर्देश पर जनपद में चलाए जा रहे हैं मुख्यमंत्री जन कल्याण शिविरों के आयोजन के दौरान विभिन्न ग्राम पंचायतों में ऐसी जमीनें चिन्हित की गई हैं जिन पर लंबे समय से अवैध अतिक्रमण था।

संबंधित तहसीलों के उपजिलाधिकारियों द्वारा इन सार्वजनिक जमीनों को अतिक्रमण मुक्त करा कर उनकी हदबंदी करा दी गई है।

जिलाधिकारी श्री रविन्द्र कुमार माँदड़ के निर्देश पर अब इन सभी जमीनों पर भारी संख्या में औषधीय महत्व से भरपूर पौधे लगाने का निर्णय लिया गया है।

मुख्यमंत्री जन कल्याण शिविर के दौरान आमजन की विभिन्न प्रकार की समस्याओं के समाधान के साथ-साथ सर्वाधिक महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह रहा है कि विभिन्न ग्राम पंचायतों ने 268 जमीने ऐसी भी चिन्हित की गई हैं जो राजस्व अभिलेखों में तो तालाब के लिए आरक्षित जमीनों के रूप में दर्ज हैं परंतु मौके पर वहां अवैध अतिक्रमण पाया गया था। ऐसी सभी जमीनों को अवैध अतिक्रमण से मुक्त कराते हुए वहां नए सिरे से तालाबों को तैयार कराने की कवायद भी शुरू कर दी गई है।

डिप्टी कमिश्नर मनरेगा श्री प्रभु दयाल ने बताया कि जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी के निर्देश पर इन सभी 268 नए तालाबों के लिए एस्टीमेट तैयार कर आईडी जनरेट कर ली गयी है तथा अति शीघ्र खुदाई का कार्य शुरू करा दिया जाएगा।

शासन द्वारा निर्धारित मानक के अनुसार जनपद में वर्तमान में 320 ऐसे तालाबों पर मनरेगा के अंतर्गत खुदाई और सिल्ट सफाई का कार्य चल रहा है जिनकी सिल्ट सफाई 3 वर्ष पहले हुई थी। 3 वर्ष के बाद जरूरत के अनुसार सिल्ट सफाई का मुख्य उद्देश्य यही है कि तालाबों की जल धारण क्षमता बरकरार रहे और बारिश के अधिकतम जल को तालाबों में सुरक्षित बनाया जा सके।

पर्यावरण संतुलन के दृष्टिगत जिले में जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी के नेतृत्व में वृहद पौधरोपण की कार्ययोजना भी तैयार कर ली गई है साथ ही सभी विभागों को लक्ष्य भी आवंटित कर दिए गए हैं ताकि तय समय सीमा के भीतर गड्ढा खुदान के साथ साथ व्यापक मात्रा में पौधरोपण कराया जा सके।

मनरेगा विभाग को 595 ग्राम पंचायतों में 10,80,000 पौधरोपण का लक्ष्य दिया गया है, इसके संबंध में डिप्टी कमिश्नर मनरेगा ने बताया कि निर्धारित लक्ष्य की पूर्ति के लिए गड्ढा खुदान का कार्य प्रारंभ करा दिया गया है।

जल संरक्षण के महत्व और नदियों को मूर्त रूप में बनाए रखने के लिए जिले में बैगुल, सैंजनी और कोसी नदियों के संरक्षण के लिए भी जिला प्रशासन द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

वर्तमान में सैंजनी नदी के तटीय क्षेत्रों में स्थित 13 गाँवों में तट संरक्षण और तट बंध निर्माण का कार्य चल रहा है साथ ही बैगुल एवं कोसी नदियों के चिन्हित तटीय क्षेत्रों में भी संरक्षण के लिए जरूरी कार्य शुरू कराने की रूपरेखा तैयार कर ली गयी है।

राष्ट्रीय स्तर पर कैच द रेन कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसके अंतर्गत जल संरक्षण के लिए सभी प्रभावी उपाय करने के साथ-साथ आमजन को भी जागरूक बनाने की दिशा में जिला प्रशासन द्वारा प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं।

ग्राम पंचायतों में वॉल पेंटिंग के माध्यम से लोगों को जल के संरक्षण के प्रति जागरूक बनाने के साथ ही गांव में स्थापित सरकारी हैंडपंपों पर भी सोकपिट तैयार कराए जा रहे हैं। जनपद में ऐसे हैंडपंप जिनके आसपास नाली नहीं है वहां जल संरक्षण के लिए सोकपिट तैयार होगा, जिससे हैंडपंप से निकलने वाले पानी का पुनः वाटर रिचार्ज में प्रयोग किया जा सके।