निषेधाज्ञा उल्लंघन में पूर्व सपा विधायक जमीर उल्लाह बरी

 

सपा के पूर्व विधायक जमीरउल्ला खां को लोअर कोर्ट द्वारा सुनाई गई तीन माह कैद व एक हजार रुपये जुर्माने की सजा से राहत मिल गई है। लोअर कोर्ट के आदेश के खिलाफ एडीजे विशेष एमपी/एमएलए की अदालत में की गई अपील स्वीकार को स्वीकार करते हुए लोअर कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया है।

 

 

बचाव पक्ष के अधिवक्ता आले नवी के अनुसार घटनाक्रम के अनुसार घटना वर्ष 2006 मेयर चुनाव के दौरान 28 अक्तूबर 2006 की बताई गई। कोतवाली ऊपरकोट के एसआई केपी सिंह की ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया,कि वह पुलिस टीम व आरएएफ टीम के साथ ड्यूटी पर थे। इसी दौरान ऊपरकोट जामा मस्जिद मुक्तार अंसारी रोड पर समाजवादी पार्टी के मेयर प्रत्याशी जमीरउल्ला खां सेंकडो लोगों संग लाउडस्पीकर लगाकर चुनावी सभा कर रहे थे। यह सभा दस बजे समाप्त होनी थी। मगर इनके द्वारा निर्धारित समय पर मीटिंग समाप्त नहीं की गई और 11:30 बजे तक मीटिंग समाप्त करने की कहने पर भी लाउड स्पीकर लगाकर मीटिंग करते रहे।

 

 

इस आधार पर धारा निशेधाज्ञा की धारा 144 के उल्लंघन 171 ग व 188 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। एमपी/एमएलए मामलों की एसीजेएम कोर्ट ने दिसंबर में इस मामले में साक्ष्यों व गवाही के आधार पर पूर्व विधायक जमीरउल्ला को धारा 171 ग के आरोप से बरी किया था, जबकि निषेधाज्ञा उल्लंघन का दोषी मानते हुए धारा 188 के तहत तीन माह की सजा व एक हजार रुपये जुर्माने से दंडित किया।

 

 

सजा के बाद दोषी को जमानत दे दी गई थी। इस फैसले के खिलाफ उनके अधिवक्ता आले नवी ने अपर सत्र न्यायालय में अपील की। जिसमें दलील रखी गई कि न तो कोई स्वतंत्र मौके का गवाह पेश किया गया और न वीडियो फोटो सहित अन्य कोई साक्ष्य पेश किया गया। इन्हीं दलीलों के आधार पर हमारी अपील स्वीकार करते हुए न्यायालय ने लोअर कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया है।