निषादों के विरुद्ध अंग्रेजों का बना कानून अभी तक नहीं हुआ खत्म, 27 जून,1861 को 167 निषादों को अंग्रेजी सरकार ने दिया था कच्ची फाँसी-लौटनराम निषाद

लखनऊ, 27 जून। नानासाहेब व अंग्रेजी सरकार से समझौता होने के बाद 40 नाव पर सवार अंग्रेजी सेना व उनके परिजन कानपुर से इलाहाबाद के लिए निकले। 30 जून 1857 को सत्तीचौरा घाट कानपुर में समाधन निषाद, लोचन मल्लाह,ज्वाला सिंह,बुद्धू चौधरी की पूर्व नियोजित योजनानुसार गंगा नदी के बीच नावों का पेंदा फाड़कर व नाव के तारकोल में आग लगाकर अंग्रेजों को मार दिया गया।ब्रिटिश सेना का सेनानायक मिस्टर थॉमसन व एक सैनिक किसी तरह बच निकला।राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ.लौटनराम निषाद ने कहा कि निषादों द्वारा अंग्रेजी सेना के 400 से अधिक सैनिकों के मारे जाने से अंग्रेजों का कहर निषादों पर टूट पड़ा।निषादों की बस्तियों को तेल डालकर जलाया जाने लगा।इसके बाद भी जब निषाद अंग्रेजों से लड़ने में पीछे नहीं हटे तो ब्रिटिश सरकार ने 1871 में क्रिमिनल ट्राइब्स/अपराधी जनजाति घोषित कर दिया। 27 जून 1867 को अंग्रेजों ने समाधान निषाद, लोचन मल्लाह आदि सहित 167 निषादों को कानपुर के मैस्कर घाट पर नीम के पेड़ पर लटकाकर कच्ची फाँसी दे दिया।लेकिन आज़ाद भारत की सरकार ने इनके साथ न्याय नहीं किया।

निषाद ने बताया कि अपराधी जनजाति घोषित कर निषादों के ऊपर जोर-जुल्म,अत्याचार का कहर बरपाया जाने लगा।लेकिन देशभक्ति में दीवाने निषाद जान पर खेलकर अंग्रेजों से लड़ते रहे।प्रिवी कॉउन्सिल द्वारा निषादों की रोजी रोटी छीनकर भूखों मारने के लिए 1871 में 4 काले कानून बनाये गए।उन्होंने बताया कि अंग्रेजी सरकार ने नॉर्दर्न इंडिया फिशरीज एक्ट-1878,नॉर्दर्न इंडिया फेरीज एक्ट-1878,नॉर्दर्न इंडिया माइनिंग एक्ट-1878 व नॉर्दर्न इंडिया फॉरेस्ट एक्ट-1878 बनाकर निषादों का परम्परागत पुश्तैनी पेशा नीलामी प्रथा के अंतर्गत ला दिया।

निषाद ने बताया कि अंग्रेजों द्वारा बनाया गया काला कानून आज भी आज़ाद भारत में लागू है।इसके द्वारा निषादों का परम्परागत पुश्तैनी पेशा बालू मोरंग खनन,निकासी,मत्स्याखेट व शिकारमाही, मत्स्य पालन, नौकफेरी घाट,कटरी या गनगबरार व नदी कछार की जमीनों पर बालू माफियाओं, नदी माफियाओं, मत्स्य माफियाओं,घाट माफियाओं,भू माफियाओं,वन माफियाओं आदि का कब्जा हो गया है।कांग्रेस की सरकार में हेमवती नंदन बहुगुणा व वीपी सिंह की सरकार ने निषादों की समस्याओं को देखते हुए पट्टा प्रणाली लागू किया था।लेकिन बाद कि सरकारों ने नियमावली में बदलाव कर माफियाओं के हित में नीलामी व्यवस्था लागू कर दिया।उन्होंने कहा कि बसपा व भाजपा सरकारों ने निषादों की कमर ही तोड़ दिया।पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 31 अगस्त,1952 को इन्हें अपराधी जाति की सूची से मुक्त कर विमुक्त जनजाति घोषित किया।1961 में एक शासनादेश जारी कर इन्हें शिक्षण प्रशिक्षण में जनजाति की तरह सुविधाएं दी गईं,जिसे अखिलेश यादव की सरकार ने 10 जून,2013 को खत्म कर दिया।उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से मझवार,तुरैहा,बेलदार,गोंड़ को परिभाषित कर मल्लाह,केवट,बिन्द, माँझी,धीवर,कहार, गोड़िया, तुराहा,रैकवार को एससी की सुविधा देने,मत्स्य पालन व बालू-मोरम खनन के लिए पट्टा प्रणाली लागू करने,मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा देने की मांग किया है।उन्होंने 10 जुलाई को राष्ट्रीय मत्स्यिकीय दिवस पर जिले जिले में कार्यक्रम आयोजित कर सरकार को माँगपत्र भेजने की निषाद, बिन्द, कश्यप संगठनों से अपील किया है।