Tuesday, May 13, 2025
उत्तर प्रदेशदेश

क्या किसी ने यादवों को प्रतिभा, सम्पत्ति, प्रतिस्पर्धा,धन-दौलत भीख में दिया है?

हमने अपने जीवन में जो देखा हूँ,परखा हूँ,उसी पर चर्चा करने का आज विचार आया है।आये दिन यह टिप्पणी देखने व पढ़ने को मिलती है कि यादवों ने पिछड़ों का हिस्सा हड़प लिया,मुलायम सिंह यादव,अखिलेश यादव ने सारी नौकरियां यादवों को दे दिया।यह सच्चाई है कि रामनरेश यादव, मुलायम सिंह व अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने पर यादवों का मनोबल बढ़ा, जबकि गैर यादव जाति में ऐसा कोई प्रेरक नहीं पैदा हुआ जो उनमें प्रतिस्पर्धा की भावना भरे,उल्टे यादवों को आरोपित कर उनका मनोबल गिराने का ही काम किया।

अपनी सच्चाई अपनी जुबानी-
हम जिस गाँव के रहने वाले हैं,वह यादव के बाद निषाद संख्या वाला गाँव है।2-2,4-4 घर गोसाई व चमार हैं।हम अपने गाँव के निषाद में पहले अन्तर पास हैं।शुरू शुरू में हम पढ़ाई से बहुत दूर भागने वाला लड़का था।हमारे समय मे स्कूल न आने वाले बच्चों को उठाकर स्कूल लाया जाता था,शिक्षक घर घर जाकर लड़के लड़कियों को स्कूल भेजने की अपील करते थे।हम भी कंधे पर उठाकर स्कूल लाये गए।

हमारे दादा मात्र 2 तक पढ़े थे,पर अच्छे अच्छे लोग उनसे अंग्रेजी बोलने सीखने आते थे।आज भी जो कुछ अंग्रेजी हम जानते हैं,वह हमारे दादाजी ने 1977-78 में जो अल्फाबेट, ग्रामर आदि का ज्ञान दिए थे, वही जानते थे।हम याद है कि हमारे गाँव के ही विन्देश्वरी यादव जो अंग्रेजी के प्रवक्ता थे,मेरे दादा से अंग्रेजी में बहस करने आते थे।

हमे याद है कि जब 6वीं में पढ़ने गए तो हमारे सीनियर हमसे मिलने आते थे,कारण कि जब A,B, C, D पढ़ाना शुरू होता था,तब हमें शब्द ज्ञान व जनरल ट्रांसलेशन मालूम था।

जीवन की सबसे बड़ी गलती-
हमारे पूरे क्षेत्र में हनुमान सिंह इंटर कॉलेज व करण्डा इंटर कॉलेज में साइंस की पढ़ाई होती थी।हनुमान सिंह इंटर कॉलेज का नाम अनुशासन व पढ़ाई में मशहूर था।हमने यहीं प्रवेश लेने का मन बनाया।प्रवेश परीक्षा के लिए रिश्ता में जीजा बरसाती यादव के माध्यम से प्रवेश आवेदन पत्र जमा कर दिया।प्रवेश परीक्षा हुई 20-20 अंकों की।अंग्रेजी में 20 में 19 नम्बर ही मिला, कारण कि एक अनुवाद का प्रश्न था- यह एक सेव है,हमने अंग्रेजी अनुवाद किया- This is a apple. जो ग्रामर पोर्शन के हिसाब से गलत था।अनुवाद होना चाहि था-This is an apple।हमे अयोग्य करार देकर कृषि विषय से प्रवेश का निर्णय हुआ।हमने जिद्द कीट कि हम विज्ञान वर्ग से ही पढूंगा।मेरे पिताजी तो बेचारे बिल्कुल अनपढ़ थे।हमारी जिद्द को देखकर गाँव के दामाद व रिश्ते में हमारे जीजा बरसाती यादव से आग्रह किये कि मेरा लड़का जो पढ़ना चाहता है,एडमिशन करा दीजिए।हमारी जिद्द थी कि पढूंगा तो साइंस साइड से अन्यथा पढूंगा ही नहीं।बरसाती जीजा हमे हनुमान सिंह इंटर कालेज लेकर गए,जहाँ प्रिंसिपल राममूर्ति सिंह,अंग्रेजी प्रवक्ता राममूर्ति सिंह यादव,विज्ञान शिक्षक इंद्रजीत सिंह यादव,राममूरत सिंह यादव,अंग्रेजी शिक्षक अंसारी साहब सहित कई शिक्षक उपस्थित थे।हम कहा गया कि तुम एग्रीकल्चर से एडमिशन ले लो,तुम्हारी अंग्रेजी कमजोर है।हमने कहा,गुरू जी हमने जल्दबाजी में अंग्रेजी में एक प्रश्न का उत्तर गलत दे दिया।यह एक सेव है का अंग्रेजी अनुवाद This is an apple होना चाहिए,पर हमने an की जगह a का प्रयोग कर दिया हूँ।इंद्रजीत सिंह यादव ने कहा-क्या तुम फर्स्ट क्लास पास हो सकते हो,हमने विश्वास के साथ कहा,जी सर।हमारा प्रवेश साइंस साइड में हो गया और 1986 में प्रथम श्रेणी में पास भी हो गया।हम अपने गाँव के पहले मल्लाह निषाद के बच्चे हैं जिसने इंटर पास किया।

कैसे होता है बीए, बीएससी में प्रवेश,एबीसी पता नहीं-
हमारी इंटर की परीक्षा 1988 में 8 या 9 मार्च को शुरू हुई।लेकिन बीएचयू में प्रवेश परीक्षा के आवेदन की प्रक्रिया फरवरी में ही पुरीहो गयी थी।हम या हमारा परिवार आगे की पढ़ाई का क, ख, ग नहीं जानता था।हमारे गाँव के इंद्रजीत सिंह यादव जोकाशी विद्यापीठ वाराणसी में पढ़ते थे,जो प्रवेश परीक्षा फार्म लेकर आये और भरकर जमा किये।प्रवेश परीक्षा दिए,73वां स्थान मिला और बीए में प्रवेश हो गया,क्योंकि यहाँ विज्ञान की पढ़ाई नहीं होती थी।फिर अनमने मन से बीए में प्रवेश ले लिया।लेकिन लक्ष्य साइंस साइड से पढ़ने का था।उन्होंने हरिश्चंद्र डिग्री कॉलेज का आवेदन करा दिए,मेरिट के आधार पर वहाँ भी बीजेडसी ग्रुप में प्रवेश हो गया।

हमारी जाति में यादवों का सौवांश भी प्रतिस्पर्धा नहीं-
सच्चाई यह है कि भले ही मल्लाह, केवट, बिंद के लडके बी ए, एम ए पास हों,पर उनमें प्रतिस्पर्धा यादवों के सौवांश भी नहीं देखने को मिलती।

निषादों, अतिपिछडों यादवों को कोसो नहीं,उनकी नकल करो-
हम अपनी बात बताएँ, हम 6-7 वीं कक्षा तक नहीं जानते थे कि यादव और निषाद क्या है?लेकिन बाद में देखा कि यादव व निषाद में भाई भवद्दी व दयादी जैसा रिश्ता था।दोनों में भाई से भी मधुर सम्बन्ध था।पर, एक अंतर देखता था और आज भी ठीक वैसा ही है कि निषाद 500 कमाता है तो घर 25 या 50 ही लाता है और यादव 490-95 लाता है,अपने बच्चों को इलाहाबाद, वाराणसी, दिल्ली भेजकर पढ़ाता है,पर निषाद भाग्यवादी बन यह कहता है कि निषादों,मल्लाहों,केवटों को नौकरी कहाँ है,फालतू पढ़ाई पर खर्च क्यों करना?

अतिपिछडों की शिकायत कि यादव हड़प रहे हमारा हिस्सा-
गैर यादव निषाद, बिन्द, कश्यप, लोधी,राजभर,चौरसिया, चौहान, साहू, विश्वकर्मा, प्रजापति, पटेल,कुशवाहा,लोधी आदि कहते हैं कि यादव हमारी हकमारी कर रहे हैं,यादवों ने हमारा हिस्सा हड़प लिया,यादवों ने हमारा कोटा छीन लिया,जो बिल्कुल झूठ का पुलिंदा व जाहिली भरा आरोप है।

जो पढ़ेगा वह बढ़ेगा-
..सच्चाई यह है कि जो पढ़ेगा वहीं बढ़ेगा।भाग्यवादी बनकर नैया पार नहीं होगी।जो प्रतिस्पर्धा करेगा,वहीं आगे बढ़ेगा,लक्ष्य को प्राप्त करेगा।जाकर दिल्ली,इलाहाबाद कोई सर्वे कर ले तो यही मिलेगा कि 100 यादव,10 कुर्मी,8 कुशवाहा,50 चमार,30 पासी,5 लोधी व 4 निषाद, बिन्द लड़के पढ़ व कम्पटीशन की तैयारी कर रहे हैं,तो नौकरियों में प्रतिनिधित्व किसका अधिक होगा।

यादवों पर लगाया जाने वाला आरोप सत्यता से परे-
ग़ैरयादव पिछड़ी जातियाँ यह आरोप लगाकर अपना बचाव करती हैं कि पिछड़ी जातियों को जो 27 प्रतिशत आरक्षण मिला है,वह यादव ही हड़प ले रहे हैं,जो बिल्कुल गलत है।यादवों में कब्जियत है,तब सफल हो रहे हैं।

हमारे बच्चों को यहीं मालूम नहीं कि पीएससी, यूपीएससी क्या,डॉक्टर, इंजीनियर बनने का स्ट्रीम क्या?
सच बताऊँ तो अधिकतर गैर यादव जाति के बच्चों को यही मालूम नहीं कि पीएससी, यूपीएससी का क्या मतलब,इसकी योग्यता क्या है,मेडिकल व इंजीनियरिंग में प्रवेश की अर्हता क्या है?निषाद चैरिटी संस्था ने गोरखपुर में एकलव्य प्रतिभा सम्मान का एक कार्यक्रम रखा था।हम भी उस कार्यक्रम में शामिल हुए था।एक लड़की मंच पर परिचय देने आए तो हमने पूछा कि बेटा! क्या कर रही हो और तुम्हारा लक्ष्य क्या है?उसने उत्तर दिया कि मैं एमए पॉलिटिकल साइंस से कर रही हूँ और डॉक्टर बनना चाहती हूँ।हमने कहा कि बेटा कौन सा डॉक्टर बनना चाहती हो तो उसने बताया कि दवाई देने वाली।यह सुनकर हमने कहा,बेटा गलत रास्ते पर जा रही ही।तुम्हे इंटर बायोलॉजी से पढ़ने के बाद पीएमटी,सीपीएमटी का कम्पटीशन देना चाहिए था,तुम तो दूसरा रास्ता पकड़ ली।जिसका कारण है कि हमारे बच्चों को उचित मार्गदर्शन नहीं मिलता।

मुलायम सिंह ने पुलिस,पीएसी में एडविन को भर दिया-
2006 में बसपा द्वारा यह आरोप लगाया गया कि मुलायम सिंह यादव ने पुलिस, पीएसी में यादवों की भर्ती कर दिया।जो हमारी दृष्टि से बिल्कुल गलत आरोप था।उस समय 38 प्रतिशत यादव पुलिस, पीएसी में भर्ती हुए थे,जबकि कल्याण सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में 41 प्रतिशत भर्ती हुए थे।जब 2008 में मायावती के मुख्यमंत्री रहते भर्ती हुई तो 42.3% यादव पुलिस, पीएसी में भर्ती हुए।योगी की सरकार में भी 42-43 % यादव भर्ती हुए।क्योंकि यादव के लड़के जब सड़कों पर,खलिहान में,नहर के किनारे दौड़कर व दण्ड बैठक कर पसीना बहाते है,उस समय गैर यादव बच्चे ताश के पत्ते फेंटने व मोबाइल फोन में सपना चौधरी, निरहुआ व खेसारीलाल का नाच गाना देखने सुनने में समय बर्बाद करते हैं तो पुलिस, पीएसी, आर्मी,नेवी,बीएसएफ,सीआईएसएफ आदि में यादव नहीं तो कौन भर्ती होगा?

यादवों की मेहनत का कुछ उदारण-
अभी एक सप्ताह पूर्व पुलिस में दरोगा भर्ती का परिणाम आया।261 यादव टाइटल से सामान्य वर्ग में भर्ती हुए हैं।403 ओबीसी कोटे में भर्ती हुए,यह इनके मेहनत को दर्शाता है।

यूपीएससी-2020 में साफतौर पर 25 व यूपीएससी- 2021 में 21 यादव सफल हुए या आईएएस, आईपीएस बने,यह यादव बच्चों की मेहनत व प्रतिस्पर्धा का परिणाम है।इसलिए गैर यादव पिछड़े यादवों को कोसें नहीं,बल्कि उनसे प्रतिस्पर्धा करें।वर्तमान में जो सरकार बनी है,वह यादवों खलनायक बनाकर ही बनी है तो आह कितने अतिपिछडों को नौकरी मिल रही है? यादव पहले भी आगे थे और आज भी आगे हैं,तो यह उनकी मेहनत का परिणाम है।

लिखना तो बहुत कुछ चाहता था,पर संक्षेप में ही लिखा,ग़ैरयादव अपनी व अपने समाज की कमी को दूर करें,यादवों की नकल करें,उनसे प्रतिस्पर्धा करें और आगे बढ़े। हम अपनी बात बताएं तो यादवों की मदद व मार्गदर्शन नहीं मिलता तो आज सामाजिक न्याय के सिपाही के तौर पर पूरे देश मे हमारी पहचान नहीं होती ।हमारे बच्चे हायर एजुकेशन पाए तो निषादों में अभयराज निषाद व प्रमोद कुमार जी के साथ सर्वाधिक योगदान इं. अरबी यादव,रामलगन यादव,रामलखन यादव,समरबहादुर यादव,संतोष यादव,डॉ अनिल यादव,अशोक यादव,सुरेन्द्र कुमार यादव,,राजेश यादव,नरेंद्र सिंह यादव,डॉ आरपी यादव /बंशीधर यादव ,विश्राम चौधरी आदि का है। हमने अपने जाति व समाज के लिए करोड़ों को लात मार दिए,पर 2 से कोई तीसरा निषाद हमारे दुख के समय खड़ा नहीं मिला।

इसलिए गैर यादव जाति के भाइयों से हमारी अपील है कि यादव से बेवजह ईर्ष्या-द्वेष न कर उनकी अच्छाइयों की नकल करें।यथासम्भव अपने समाज के गरीब व मजबूर बच्चों की मदद कर आगे बढ़ाएं।सच बताऊँ तो डॉ. इंद्रजीत सिंह यादव व डॉ. उमाशंकर यादव का संरक्षण व मार्गदर्शन नहीं मिला होता तो लौटनराम निषाद को कोई नहीं जानता।