तीर्थ यात्रा और तीर्थ पर्यटन के बीच के अंतर को गंभीरता से समझना ही होगा,  पर्यावरण पर हम सभी को भी जागरूक होना ही होगा

निर्भय सक्सेना, बरेली। अब आने वाले समय में देश के नागरिकों को तीर्थ यात्रा और तीर्थ पर्यटन के बीच के अंतर को गंभीरता से समझना ही होगा। साथ ही शासन प्रशासन को भी हिंदुओं के पवित्र तीर्थ स्थलों के आसपास नशा एवम मांस मदिरा पर भी सख्ती करनी ही होगी। कोविड काल को हम भारतीय इतनी जल्द भूल गए की कि अमरनाथ के बाबा बर्फानी यात्रा में बालटाल पर भी अंडा एवम सिगरेट गुटखा की खुली बिक्री होती दिखी। कुछ लोग तो दबी जवान में मदिरा की भी बिक्री की बात करते सुने गए। जब 4 जुलाई को हमारी बस जब बालटाल पहुंची तो सामने ही अंडा की ट्रे खुले आम लगी दिखीं। हम सब कोरोना काल में बदली दिनचर्या को इतनी जल्द भूल गए की कि तीर्थ यात्रा में भी सिगरेट गुटखा की तलब से अपने को मुक्त कर पा रहे हैं। हम सब भोले के भक्तो को धार्मिक यात्रा पर जाने से पूर्व ही अपनी नशे वाली कुछ आदतों में सख्ती से बदलाव लाना ही होगा तभी हम दूसरों के लिए भी आदर्श बन सकेंगे। “हम सुधरेंगे तो जग सुधरेगा” । एकल प्लास्टिक पर रोक लगाने की घोषणा भी हो गई हो। पर आज भी सुंदर हरे भरे पर्वतीय क्षेत्र आज भी पेय पदार्थो की बोतलों से पटे पड़े हैं। जो हम सब के लिए दुखद ही है। यह भी तर्क दिया गया कि घोड़े खच्चर, पालकी वाले वर्ग विशेष के है उनके सेवन को ही अंडे बिक्री को रखे थे। केंद्र सरकार पवित्र तीर्थ स्थलों अयोध्या, काशी, मथुरा, वैष्णो देवी, के साथ ही अमरनाथ आदि के विकास में भी अरबो खरबों की भारी भरकम धनराशि खर्च कर रही है। अमरनाथ मार्ग पर भी कुछ सुरंग बन गई हैं कुछ पर तेजी से कार्य चल रहा है। पर पर्यावरण पर हम सभी को भी जागरूक होना ही होगा। जम्मू के अमरनाथ मे शुक्रवार 8 जुलाई 2022 को बादल फटने की प्राकृतिक आपदा में मिल रही जानकारी के अनुसार डेढ़ दर्जन भोले भक्त काल के गाल में समा गए हों और काफी भक्त लापता भी हो। पर डयूटी पर सक्रिय राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एवम अर्धसैनिक बल के जवानों ने जी जान से जुट कर राहत कार्य चलाया। और अमरनाथ यात्रियों को पूर्ण सुरक्षा दी। जम्मू – बालटाल। जम्मू और बालटाल के बीच की लगभग 400 किलोमीटर की दूरी को पर्यटक के लिए भगवती निवास में केंद्र बने हैं। स्वागत केंद्र, जम्मू और कश्मीर जम्मू से  बालटाल से जाने वाला सड़क मार्ग मे उधमपुर,  कुड, पटनीटॉप, रामबन, बनिहाल, काजीगुंड, अनंतनाग, श्रीनगर, सोनमर्ग आदि आते हैं।

जम्मू से बालटाल तक का सफर, जो लगभग 400 किलोमीटर है। मार्ग में सुंदर घाटियों, झरनों और चारों तरफ हरियाली से होकर गुजरता है। बाबा बर्फानी के यात्रियों का नया अनुभव देता है। पवित्र गुफा के दर्शन के कारण इस रास्ते से गुजरते हुए हर तीर्थयात्री में उत्साह भी बढ़ जाता है।

बालटाल से पवित्र गुफा तक

पवित्र गुफा बालटाल से सिर्फ 14 किलोमीटर दूर है और पैदल/टट्टू द्वारा दूरी तय की जा सकती है। हालांकि, विकलांग और वृद्ध तीर्थयात्रियों के लिए डांडी भी उपलब्ध है।

चंदनवाड़ी – पवित्र गुफा मार्ग की तुलना में कंकड़ (कच्छा) सड़क की चौड़ाई थोड़ी संकरी है। इसके अलावा, चंदनवारी मार्ग की तुलना में रास्ते में कुछ खड़ी चढ़ाई और ढलान हैं, लेकिन तीर्थयात्री वापस बेस पर लौट सकते हैं। इस मार्ग से बालटाल शिविर केवल एक दिन में सकते हैं।

कोरोना काल के चलते तीन साल बाद 43 दिवसीय अमरनाथ मे बाबा बर्फानी की यात्रा इस वर्ष 30 जून 2022 से शुरू हुई थी। जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ की बाबा बर्फानी दर्शन यात्रा को लेकर बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स, इंडो तिब्बत बॉर्डर फोर्स, आदि अर्द्धसैनिक बलों की 450 कंपनियों में शामिल लगभग 80 हजार जवान अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा में तैनात हैं। सभी अर्धसैनिक कंपनियां भोले के भक्तो की सुरक्षित यात्रा के लिए जम्मू कश्मीर प्रदेश में पहुंची थी, जिनको यात्रा से पूर्व ही तैनात भी कर दिया गया था।

जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर अर्द्धसैनिक बलों के 80 हजार से अधिक जवान यात्रियों की सुरक्षा में रहेंगे। अमरनाथ यात्रा से पहले आतंकी साजिशों से यात्रा को बाधित करने का गंदा प्रयास किया गया था । वर्तमान में भारत में नरेंद्र मोदी सरकार एवम जम्मू के राज्यपाल ने सैनिक अधिकारियो के साथ पूर्व में ही बैठक कर ऐसा सुरक्षा तंत्र विकसित किया है। कि जगह जगह पर अब सैनिकों की तैनाती से सीमापर की आतंकी साजिशें सिर उठाने की हिम्मत भी नहीं कर सकेंगी ।