Wednesday, September 17, 2025
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सोशल मीडिया से बच्चे तक सुरक्षित नहीं, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म नहीं कर रहे अश्लील, हानिकारक कंटेंट की निगरानी

सोशल मीडिया से बच्चे तक सुरक्षित नहीं बचे है. घर में फोन के जरिए बच्चा कहां, कब और कैसे क्या जानकारी ले. इसे नियंत्रित करना बड़ी चुनौती है. बच्चा ऑनलाइन माध्यम से अश्लील कंटेंट, हानिकारक या ग्राफिक वेबसाइटों तक पहुंच सकता है. बच्चे साइबर बुलिंग का शिकार हो सकते हैं. बच्चों को इनसे बचाने के लिए आखिर क्या किया जाना चाहिए.

इस संबंध में ब्रिटेन की खुफिया एवं सुरक्षा संगठन और राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा केंद्र एपल, फेसबुक जैसी दिग्गज टेक कंपनियों का हस्तक्षेप चाहते हैं. साइबर सुरक्षा एजेंसियां चाहती हैं कि एपल कंपनियां उपकरणों पर संदिग्ध गतिविधि की निगरानी करें. यह गोपनीयता या निजता के अधिकारों पर हमला नहीं है.

जीसीएचक्यू और एनसीएससी के तकनीकी प्रमुखों ने कहा है कि टेक कंपनियों को विवादास्पद तकनीक के साथ आगे बढ़ना चाहिए, जो यूजर्स के फोन पर बाल शोषण की तस्वीरों को स्कैन करती है. ‘क्लाइंट-साइड स्कैनिंग’ एक सॉफ्टवेयर के माध्यम से संभव है. इसमें फेसबुक या एपल जैसे सेवा प्रदाता शामिल होंगे.

हालांकि वे इस सुविधा को मुहैया कराने से कतरा रही हैं. इससे केन्द्रीयकृत सर्वर से मैसेज के कंटेंट को भेजे बिना यूजर्स के फोन या उपकरण में संदिग्ध गतिविधि की निगरानी की जा सकती है. इससे यूजर्स के डेटा या निजता में कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है.

एनसीएससी के तकनीकी निदेशक इयान लेवी और जीसीएचक्यू के तकनीकी निदेशक क्रिस्पिन रॉबिन्सन ने कहा कि यह टेक्नोलॉजी सुरक्षित है. उन्होंने लिखा, हमें ऐसा कोई कारण नहीं दिखता है कि क्लाइंट-साइड स्कैनिंग तकनीकों को सुरक्षित रूप से लागू नहीं किया जा सकता है.