हार्ट मेन, चौपला एवम शमशान रेल क्रासिंग पर अंडरपास बनाए जाएं

निर्भय सक्सेना बरेली। बरेली में अनियोजित विकास की कागजी योजनाएं बना कर टैक्स दाताओं से जमा सरकारी धन को ठिकाने लगाने में स्मार्ट सिटी बरेली के अधिकारी भी पीछे नहीं हैं। बरेली की ही बात की जाए तो एक बार फिर बदायूं रोड को चौपला के अटल सेतु से जोड़ने का मामला फिर धनराशि के अभाव में अटक गया है ऐसा कहा जा रहा है। जिला हॉस्पिटल में बन रहा फुट ओवर पुल भी आने वाले समय में कुतुबखाना उपरिगामी पुल एवम लाइट मेट्रो में भी कहीं बाधक बन सकता है। पटेल चौक एवम संजय नगर की रोटरी भी कई बार पूर्व में तोड़ी जा चुकी हैं। इसके अलावा हार्ट मेन, चौपला एवम शमशान रेलवे क्रासिंग पर भी कुदेशिया फाटक की तरह अंडर पास भी बनने से यातायात कुछ सुगम हो सकता है। पत्रकार निर्भय सक्सेना ने भी पूर्व में प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्य नाथ को मेल भेजकर इससे अवगत भी कराया था। जिसमे कहा गया था की जिलों के सुनियोजित विकास के लिए नगर निगम, विकास प्राधिकरण, जिला परिषद, जनप्रतिनिधियों एवम अधिकारियों की एक संयुक्त मॉनिटरिंग कमेटी बने जो जनहित में गुणदोष के आधार पर जिले की पंचवर्षीय समयबद्ध योजनाएं बनाएं ताकि सरकारी धन का सही प्रयोग हो सके । स्मरण रहे जब बदायूं रोड का पुल बन रहा था उस समय भी उसके वाई शेप में बनाने की जनहित की मांग को उपेक्षित कर दिया गया। बाद में जब उसका रिवाइज बजट बनाया गया तब भी बदायूं रोड को उस से नहीं जोड़ा गया। जब नवनीत सहगल बरेली आए तो उन्होंने इस खामी पर ध्यान इंगित कर बदायूं रोड को स्पान का पुल बनाकर जोड़ने के निर्देश दिए थे अटल सेतु तो बन गया पर बदायूं रोड अब तक नहीं जुड़ा। यानी समस्या वही की वहीं। अब इसी तरह की गलती प्रस्तावित कुतुबखाना का उपरिगामी पुल को बार बार डिजाइन बदल कर वास्तविक यातायात समस्या की अनदेखी की जा रही है। स्मरण रहे बरेली में अब लाइट मेट्रो के मार्ग का विकास प्राधिकरण एवम राइट्स की संयुक्त टीम बीते दिनो सर्वे भी कर चुकी है। जिसमे लाइट मेट्रो का कुतुबखाना मार्ग भी प्रस्तावित बताया गया है । केंद्र में नरेंद्र मोदी एवम उत्तर प्रदेश में योगी आदित्य नाथ जी की दूसरी बार की सरकार विकास कार्यों के दम के कारण ही जन विश्वास से बन सकी। स्मार्ट सिटी बरेली में कई वर्षो से लंबित प्रोजेक्ट अभी भी धरातल पर नहीं उतर सके हैं। कैंट का लाल फटक पुल हो या फतेहगंज पूर्वी का हुलासनगरा पुल, मीरगंज का गोराघाट का पुल हो । अभी भी उनकी गति कछुआ चाल ही पकड़े हुए हैं। अभी तक बरेली में नगर निगम का सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट भी सत्तारूढ़ दल नेताओ की आपसी खींचतान में ही फंसा है। सुभाषनगर डेलापीर का उपरिगामी पुल भी अभी फाइल में ही है। नगर निगम में बनाए गए नाले नालियां भी अभी तक आपस में नही जोड़े जा सके हैं। वाहन पार्किंग समस्या विकराल बनी हुई है। जबकि नगर निगम सभासदों का वर्तमान कार्यकाल भी अब कुछ माह का ही और बचा है। स्मार्ट सिटी बरेली के कुछ चल रहे बेतरतीब एवम अनियमित कार्यों पर सभासद राजेश अग्रवाल कई बार अधिकारियों का ध्यान इंगित भी करा चुके हैं। प्रदेश में विधानसभा 2022 के चुनाव के परिणाम ने दिखा दिया की आम नागरिक जाति धर्म से ऊपर उठकर विकास कार्य को ही अब अधिक महत्व दे रहे हैं। बरेली में अब हालत यह है कि कुतुबखाना उपरिगामी पुल के नाम पर समस्या की अनदेखी कर भी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की तर्ज पर ही केवल सरकारी धन को ठिकाने लगाने का कुछ लोग खेल कर रहे बताए जा रहे हैं। बरेली में पटेल चौक एवम संजयनगर रोटरी की तरह बार बार तोड़ने का खेल खेल हुआ हैं। बरेली में पटेल चौक एवम संजयनगर रोटरी की कई बार टूट भी चुकी है। अब जिला हॉस्पिटल का फुट ओवर ब्रिज का कुतुबखाना पुल के बाई शेप में बाधक बनने का कारण बन सकता है। जिला हॉस्पिटल के फुट ओवर ब्रिज से अधिक जरूरी था कुतुबखाना का बाईशेप पुल का बनना। हॉस्पिटल में फुट ओवर ब्रिज की कोई जरूरत भी नहीं थी। और जो डिजाइन है मरीज कैसे ऊपर चढ़ सकेगे। बिना लिफ्ट, बिना सहायक या बिजली केसे सेवा मिलेगी। अब बरेली में लाइट मेट्रो सेवा देने पर भी उत्तर प्रदेश सरकार अब गंभीर है और जनप्रतिनिधियों से सुझाव भी मांगे गए हैं। राइट्स एवम बरेली विकास प्राधिकरण ने दो मार्गो पर सर्वे भी किया है जिसकी रिपोर्ट का अभी इंतजार है। अभी भी समय है की लाइट मेट्रो का जंक्शन कुतुबखाना के आसपास भूमिगत योजना के तहत शामिल हो। लाइट मेट्रो योजना का जंक्शन कुतुबखाना पर आए बिना यह योजना भी बेमानी ही होगी। अब योगी आदित्य नाथ जी की दुबारा वाली सरकार में बरेली में कुतुबखाना, डेलापीर, सुभाष नगर के उपरिगामी वाई शेप पुल बनने पर ही जाम की समस्या की राह कुछ आसान होगी। अन्यथा उसका हाल भी चौपला या आई वी आर आई के पुल जैसा ही होगा जिसमे दुर्घटना की आशंका हर दम बनी रहती है। इसके साथ ही बरेली स्मार्ट सिटी में कुतुबखाना सब्जी मंडी, श्यामगंज सब्जी मंडी, किला, तहसील परिसर में कचहरी में बहुमंजिला वाहन पार्किंग लखनऊ के हजरत गंज के जनपथ मार्केट की तर्ज पर बनाने की भी आज नितांत जरूरत है। इसके साथ ही जिला हॉस्पिटल में टीबी हॉस्पिटल के आस पास के जिला हॉस्पिटल की गिरतायू भवन जमीदोज कर जिला महिला हॉस्पिटल की तर्ज पर ही बहुमंजिला भवन बनाया जाए और बांसमंडी का राजकीय आयुर्वेदिक हॉस्पिटल भी इसी परिसर में लाया जाए। ताकि घनी आबादी वाली जनता को सरकारी चिकित्सा का लाभ मिल सके। जिला हॉस्पिटल की कीमती भूमि का भी निजी हॉस्पिटल की तरह उपयोग हो तो निर्माणाधीन फुटओवर पुल की जरूरत ही नही होती। बरेली शहर में 2022 में तीसरी बार बीजेपी के डॉ. अरुण कुमार ने भारी मतों से अपनी जीत दर्ज कराई थी। यही कारण रहा की कुतुबखाना पुल का विरोध करने कथित मुट्ठी भर लोगो ने विधान सभा चुनाव के दौरान समाचार पत्रों में आधा आधा पेज के विज्ञापन देकर चुनाव में नोटा का बटन दबाकर बीजेपी को हराने तक की अपील कर डाली थी। चुनाव में बरेली शहर सीट पर नोटा में मात्र 1167 लोगो ने ही गुमराह होकर नोटा का बटन दबाया। स्मरण रहे बरेली शहर में कुतुबखाना, डेलापीर, सुभाष नगर में उपरिगामी बाई शेप पुल वाली मांग काफी पुरानी है। किला रेलवे क्रासिंग पर वाई शेप का एक नया पुल बनाना आज की जरूरत भी है। पूर्व मेयर डॉ आई इस तोमर ने पूर्व में पत्रकारों से कहा था कि जब तक जिला परिषद रोड पर कुतुबखाना पुल की रोड नहीं उतरेगी यह कुतुबखाना पुल बेमानी ही साबित होगा। कोहड़ापीर से कुमार टाकीज के आसपास पुल की विंग उतरने से कोहाड़ापीर की और से आने वाला यातायात जिला हॉस्पिटल कोतवाली के सामने से अपने गंतव्य पर जायेगा। उसी प्रकार कुतुबखाना की दिशा में जाने वाला यातायात नावल्टी चौराहे से उपजा प्रेस क्लब के पास से मुड़कर इस्लामिया स्कूल होकर जिला परिषद रोड से होता हुआ पुल की विंग पर चढ़कर कुतुबखाना होकर कोहाड़ापीर पर निकाल दिया जाएगा। भारत की ड्राइविंग भी इसी के अनुकूल है। इससे आमने सामने का टकराव भी बचेगा। इसलिए जरूरी है की जिला परिषद रोड पर भी कुतुबखाना पुल की एक विंग उतारी जानी चाहिए। इससे कुतुबखाना पुल जाम कम करने में सफल होगा । इसके साथ ही बरेली स्मार्ट सिटी में कुतुबखाना सब्जी मंडी, श्यामगंज सब्जी मंडी, किला, तहसील परिसर में कचहरी में बहुमंजिला मार्केट एवम वाहन पार्किंग की भी आज नितांत जरूरत है। स्मार्ट सिटी बरेली में अब तक जनहित का कोई भी कार्य धरातल पर भी नही उतरा है। अब उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में एक बार फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की विकास कार्य वाली सरकार बनाने को जनादेश मिल चुका है। बरेली में तीसरी बार बीजेपी के विधायक बने डॉ. अरुण कुमार को इस बार मंत्री मंडल में वन राज्यमंत्री का स्थान भी मिला है। मुख्यमंत्री योगी जी ने धर्मपाल सिंह को भी अपने मंत्रिमंडल में पुना स्थान दिया है। स्मरण रहे बरेली स्मार्ट सिटी घोषित हुए कई वर्ष बीत गए पर बरेली में हाल यह है कि अधिकतर आला प्रशासनिक एवम पुलिस अधिकरियों ने पिछले बार जनप्रतिनिधियों की बात कम ही सुनी थी। ऐसा उनका आरोप था । इसका दर्द पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष कुमार गंगवार भी व्यक्त कर चुके थे। बरेली जिले के सभी सांसद, 7 विधायक, एम एल सी, जिला पंचायत अध्यक्ष, मेयर तक की सीट जनता ने बीजेपी की वर्तमान सीट भाजपा को ही दीं थी। 2022 के विधान सभा चुनाव में बीजेपी को बरेली में सात सीटें इस बार मिल गईं। भाजपा से 8 बार के सांसद संतोष कुमार गंगवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटा के संसद की फाइनेंशियल कमेटी का चैयरमेन, राजेश अग्रवाल को उत्तर प्रदेश मंत्री मंडल से हटाकर बीजेपी का राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पद पर सरका दिया गया था। स्मार्ट सिटी का दर्जा पाया बरेली शहर आज भी बदहाल गड्ढादार सड़कों, चोक नाले नालियो, हर सड़क चोराहे पर जाम, कुतुबखाना उपरिगामी पुल एवम हवा हवाई कूड़ा निस्तारण प्लांट की योजना वाली घोषणाओ के प्रोजेक्ट बनने का ही अभी इंतजार ही कर रहा है। वाहन पार्किंग मोतीपार्क में बनने से मोतीपर्क का ऐतिहासिक स्वरूप ही नष्ट हो गया है जहां देश के बड़े नेताओं की आम सभा होती थीं। जिला अधिकारी कार्यालय, कचहरी, जेल रोड, कुतुबखाना, कोहाड़ापीर, सिविल लाइन, श्यामगंज, किला, बड़ा बाजार आदि में भयंकर जाम जैसी स्थिति दिन भर बनी रहती है। स्मार्ट सिटी में अभी कुतुबखाना सब्जीमंडी में बहुमंजिला वाहन पार्किंग की कोई जगह या योजना भी नही चिन्हित हुई है। लखनऊ के हजरतगंज के जनपथ की तर्ज पर बहुमंजिला वाहन पार्किंग एवम शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनने से कुतुबखाना के पुल से कुछ विस्थापित व्यापारियों को भी स्थान देने में आसानी होगी। झुमका तिराहे की तरह अब कुतुबखाना घंटाघर भी सजकर तैयार हो गया है।