भगवान की दिव्य लीलाओं का श्रवण मनुष्य को शुद्ध बनाता है : अर्द्धमौनी
मुरादाबाद । परंपरा कालोनी, श्रीरामगंगा विहार में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस, कथा व्यास श्रद्धेय धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि जल में तेल, दुष्ट से कही गई बात, योग्य व्यक्ति को दिया गया दान तथा बुद्धिमान् को दिया ज्ञान, थोड़ा सा होने पर भी अपने आप विस्तार प्राप्त कर लेते हैं।
मनुष्य के द्वारा किया गया शुभ या अशुभ कर्म उसका कभी पीछा नहीं छोड़ता। जिस-जिस अवस्था में जैसा-जैसा कर्म किया गया होता है, उस-उस अवस्था में प्राणी को उसका फल भोगना पड़ता है, यह ध्रुव सत्य है।निःस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करने से व्यवहार भी बढ़िया होता है और ममता भी टूट जाती है।
किसी की निन्दा न करो, किसी के भी दोष न देखो, न किसी में दोष का आरोप ही करो। याद रखो, जगत् में दोष गुण होते ही हैं। तुम दोषी ही ढूँढ़ने और देखने लगोगे तो तुम्हें दोषी ही मिलेंगे। तुम अपने मन में जैसा कुछ सोचते-विचारते हो वैसा ही तुम्हें प्रतिफल प्राप्त होता है। जो दूसरों के प्रति घृणा, द्वेष, भय, वैर और डाह रखते हैं, उन्हें दूसरों से यही चीजें मिलती हैं।
हाथ का आभूषण दान करना है, कण्ठ का आभूषण सच्चाई है, कान का आभूषण शास्त्र सुनना है तो आभूषणों का क्या प्रयोजन।
कथा में ईश्वर चन्द्र अग्रवाल, नारायण तोदी, बनवारी लाल तोदी’बन्टी”, आनन्द अग्रवाल, विष्णु अग्रवाल, कैलाश अग्रवाल, अमित अग्रवाल, केशव तोदी, आशुतोष तोदी, अर्पित तोदी, आदित्य तोदी, उज्जवल तोदी, आर्य, शौर्य, खुश, धैर्य, योहांश, अक्षय, राज, जितेन्द्र, हिमांशु एवं यश अग्रवाल में उपस्थित रहे।