राधा राधा जपत ही सब व्याधा मिट जाए, कोटि-कोटि जन्म की अभिलाषा पूर्ण हो जाए-धीरशान्त

मुरादाबाद। श्रीराधा-अष्टमी महोत्सव का आयोजन ब्रजनन्दिनी परिवार, चन्द्र नगर में धूमधाम से आयोजित हुआ। कथा व्यास श्रद्धेय धीरशान्त दास’अर्द्धमौनी’ ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण की आह्लादिनी शक्ति है श्रीमती राधा रानी। वैकुण्ठ में स्थित महालक्ष्मी ही राधा रूप में अवतरित हुई। राधा जी के प्रकाटय का वर्णन पुराणों के अनुसार आज से पांच हजार दो सौ साल पहले वृषभानु और कीर्तिदा के यहां राधा जी का आविर्भाव हुआ। वह मथुरा जिले के गोकुल महावन कस्बे के पास रावल गांव में रहा करते थे। राधा ने अपनी मां के गर्भ से जन्म नहीं लिया था। राधा जी की माता ने अपने गर्भ में वायु को धारण कर रखा था। कीर्तिदा ने योगमाया की प्रेरणा से वायु को जन्म दिया था। लेकिन राधा जी ने अपनी स्वंय की इच्छा से वहां पर प्रकट हुई थी। राधा जी कलिंदजा कूलवर्ती निकुंज प्रदेश के एक सुन्दर मंदिर में अवतरित हुई थीं। उस समय शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि और सोमवार का दिन , अनुराधा नक्षत्र और मध्यान्ह काल के 12 बज रहे थे। जिस समय राधा जी का जन्म हुआ था। उस समय सभी नदियों का जल पवित्र हो गया था। सभी दिशाएं खुशी से झूम उठी थी। वृषभानु और कीर्तिदा ने अपनी पुत्री के जन्म पर लगभग दो लाख गाय का दान ब्राह्मणों एवं वैष्णवों को किया था।
राधा जी के जन्म के बारे में एक और कथा भी है जिसके अनुसार वृषभानु जब एक सरोवर के पास से गुजर रहे थे। उस समय एक सुंदर सी कन्या कमल के फूल पर विराजमान थी। जिसे वृषभानु अपने घर ले आए और उसका पुत्री के रूप में पालन – पोषण किया।
राधा जी भगवान श्री कृष्ण से ग्यारह महिने बड़ी थी। लेकिन राधा जी ने जन्म से अपनी आखें नही खोली थी। वृषभानु और कीर्तिदा को यह जल्द ही पता चल गया था कि राधा जी अपनी आखें अपनी मर्जी से नहीं खोल रही है। यह देखकर उन्हें अत्यंत दुख हुआ। इसके बाद एक दिन जब यशोदा जी श्री कृष्ण के साथ गोकुल से वृषभानु और कीर्तिदा के घर आती हैं। तब दोनों ने यशोदा जी का बहुत ही आदर सत्कार किया। यशोदा जी अपने लाल को लेकर राधा जी के पास जाती हैं। श्री कृष्ण के सामने आते ही राधा जी पहली बार अपनी आखें खोलती हैं। राधा जी भगवान श्री कृष्ण को बिना पलक झपकाए देखती जाती हैं। भगवान श्री कृष्ण भी राधा जी को देखकर अत्ंयत प्रसन्न होते हैं।
राधा बिना तो कृष्ण हैं ही नहीं। राधा का उल्टा होता है धारा, धारा का अर्थ है करंट, यानि जीवन शक्ति। भागवत की जीवन शक्ति राधा है। कृष्ण देह है, तो श्रीराधा आत्मा। कृष्ण शब्द है, तो राधा अर्थ। कृष्ण गीत है, तो राधा संगीत। कृष्ण वंशी है, तो राधा स्वर। भगवान् ने अपनी समस्त संचारी शक्ति राधा में समाहित की है। इसलिए कहते हैं- इसलिए पर राधा जी के साथ- साथ भगवान श्री कृष्ण की भी पूजा की जाती है क्योंकि राधा जी की पूजा श्री कृष्ण के बिना अधूरी मानी जाती है।
व्यवस्था में विनय उपाध्याय, गौरव अग्रवाल, संजय अग्रवाल, बब्बू रस्तोगी, अमित अग्रवाल, सुरेन्द्र प्रकाश गुप्ता जुगनू जादूगर, अरविन्द गुप्ता, पीयूष अग्रवाल, सुधा शर्मा, सपना चौधरी, किरन सिंह, देवांश अग्रवाल आदि ने सहयोग दिया।