नवरात्रे विशेष साधकों के लिए सिद्धि के दिन: अर्द्धमौनी
मुरादाबाद। गुलाब वाड़ी, कठघर में आयोजित श्रीगीता भागवत सत्संग में कथा व्यास श्रद्धेय धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि प्रकृति का एक नियम यह भी है कि भोजन न पचने पर रोग बढ़ जाता है, ज्ञान न पचने पर प्रदर्शन बढ़ जाता है, पैसा न पचने पर अनाचार बढ़ जाता है, प्रशंसा न पचने पर अहंकार बढ़ जाता है, सुख न पचने पर पाप बढ़ जाता है और सम्मान न पचने पर तामस बढ़ जाता है।
प्रकृति की विभिन्न सीखों को जीवन में उतार कर अपने जीवन को खुशहाल, आनंदमय और श्रेष्ठ बनाने हेतु सतत प्रतिबद्ध होना चाहिए।
निश्चय करो—सत्य, अहिंसा, उत्साह, साहस, शक्ति, शान्ति, ज्ञान, वैराग्य, पुण्य, क्षमा, पवित्रता आदि से मेरा हृदय सदा पूर्ण रहता है। ये कभी मेरे हृदय से जा नहीं सकते, क्योंकि ये भगवान् के चरण सेवक हैं और भगवान् एक क्षण के लिए भी कभी मेरे हृदय से विलग होते नहीं।
नवरात्र से अभिप्राय केवल जीवन की नौ रातें अथवा तो नौ दिवस नहीं अपितु जीवन की नवीन या नईं रात्रियाँ अथवा दिवस भी हैं। जीवन में काम, क्रोध, लोभ, मोह व अंधकार का समावेश ही घनघोर रात्रि के समान है जिसमें प्रायः जीव उचित मार्ग के अभाव में भटकता रहता है। हमारे शास्त्रों में अज्ञान और विकारों को एक विकराल रात्रि के समान ही बताया गया है।
इन दुर्गुण रूपी रात्रि के समन के लिए व जीवन को एक नईं दिशा, नईं उमंग, नया उत्साह देने की साधना काल का नाम ही नवरात्र है। माँ दुर्गा साक्षात ज्ञान का ही स्वरूप है, ज्ञान रूपी दीप का प्रज्ज्वलन कर जीवन के अज्ञान के तिमिर का नाश करना है।
नवरात्रे सामान्य साधक के लिए शुद्धि के दिन है तो विशेष साधकों के लिए सिद्धि के दिन हैं। प्रथम दिन माँ शैलपुत्री पर्वत राज हिमालय की कन्या के रूप में जन्मी माँ पार्वती का पूजन किया जाता है।
सत्संग में विनोद सिंघल, प्रमोद सिंघल, राकेश सिंघल, मनोज सिंघल, रश्मि गर्ग, आलोक गर्ग, अर्चना गोयल, राजीव गोयल, सुनील कुमार गोयल, सुनीत कुमार गुप्ता, रजनीश कुमार गुप्ता, सुमित अग्रवाल, डा० अन्तरिक्ष, विपिन अग्रवाल, यशपाल चावला आदि उपस्थित रहे।