मुसलमान कभी आतंकवादी नहीं हो सकता और आतंकवादी कभी मुसलमान नहीं हो सकता: फिरोज खां
सम्भल। 4-दिवसीय 15-वे जौहर महोत्सव का चौथा व आखिरी दिन, समापन पर मुल्क़ से आतंकवाद, नक्सलवाद, अलगाववाद, उग्रवाद देश में आपसी सदभाव भाईचारे मुल्क़ की एकता, अखण्डता, प्रभुसत्ता एंव देश की गंगा-जमुनी को खण्डित करने वाले अमन, शान्ति के दुश्मनों के ख़ातमे, के लिए व
देश में अमन, शान्ति तरक्की, खुशहाली सभी मुलक़ी भाइयों में प्यार मोहब्बत एकता, अखण्डता व देश की महान धरोहर गंगा-जमुनी तहज़ीब की बहाली, मजबूती के लिए दुआ प्रार्थना अरदास के साथ हुआ।
शहीद मौलाना मोहम्मद अली जौहर के 144-जन्मदिन के अवसर पर अलीजान जमीयत उल मुस्लिमीन एजुकेशनल सोसाइटी द्वारा संचालित मदरसा मौलाना मोहम्मद अली जौहर के तत्वावधान में गामा पहलवान महिला पुरुष कुश्ती ग्रामीण खेलकूद प्रशिक्षण एकेडमी द्वारा आयोजित 4-दिवसीय 15-वें जौहर महोत्सव 2022 के समापन पर मिलाद-ए-मुस्तफ़ा सअव कान्फ्रेंस आयोजित कर किया गया जिसका मौजू था मुल्क़ में आपसी सदभाव भाईचारा क़ायम क्यों और कैसे.. और
वतन की मोहब्बत और इस्लाम
जलसे को ख़िताब करते हुए हज़रत मौलाना हाफ़िज़ व क़ारी जनाब क़ामिल रज़ा ने कहा इस्लाम अमन-शान्ति, प्यार, मोहब्बत का पैगाम तो देता ही है, साथ ही हमें दूसरे मज़हबों के सम्मान का भी हुक्म देता देता है। मज़हब ए इस्लाम के संस्थापक अल्लाह के आखिरी रसूल हज़रत मोहम्मद सअव का कथन है अगर आपका पड़ोसी भूखा है, तो आपका खाना हराम है। हमें हर हाल में अपने मुल्की भाईयों की धार्मिक भावनाओं, उनकी धार्मिक आस्थाओं श्रद्धाओं का सम्मान हर हाल में करना चाहिए, अगर हमारी बजह से किसी भी धर्म के अनुयायी, हमारे मुल्की भाई की धार्मिक भावनाएँ आहत होती उसका दिल दुःखता है तो यह मज़हब इस्लाम के संविधान के अनुसार नाकाबिले माफ़ी है क्योंकि इस्लाम हमें किसी के दिल को दुःखाने की इज़ाज़त नहीं देता, अल्लाह के नबी हज़रत मोहम्मद (स.अ.व) का कथन है की हमें अपने मुल्क़ में अमन, शान्ति, आपसी मुल्क़ में आपसी सदभाव भाईचारा क़ायम क्यों और कैसे पहल को मजबूती प्रदान करने के लिए व हमेशा हमेशा क़ायम रखने के पहल करनी है, अपने मुल्क़ के वफादार व सच्चे पक्के मुसलमान होने का सुबूत भी पेश करना है।
डॉ शफ़ीक़ बरकाती ने इस्लाम हमारे नबी करीम (स.अ.व.) के अख़लाक़ (व्यवहार) उनके क़िरदार (चरित्र) उनकी दयानतदारी (ईमानदारी) से फैला, जिस जमाने में चारो ओर इन्सानी बिरादरी में जहालत फैली हुई थी, औरते को बेइज़्ज़त किया जाता था,बेटी को पैदा होने पर उसको जिन्दा दफना दिया जाता था, शराब, सूदखोरी, ऊंच, नीच,हरामकारी, बदकारी, का बोल वाला था, उस वक़्त अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने हज़रत मोहम्मद (स.अ.व) अपना आखिरी पैगम्वर ( दूत) बनाकर दुनिया में भेजा उनके द्वारा दिए गए उपदेशो, अगर तुम्हारा पड़ोसी भूखा है तो आपका खाना हराम है। मजदूर की मजदूरी उसका पसीना सूखने से पहले अदा कर दो क्योंकि मजदूर का पसीना शहीद के ख़ून के बराबर है। बताए सत्यमार्ग को अपनाकर मानवता जाति का कल्याण हुआ हज़रत मोहम्मद स.अ.व. का कथन है- वतन की मोहब्बत ईमान का सुबूत है | वतन से मोहब्बत न करने वाला कुछ भी हो सकता है मुसलमान तो हो ही नहीं सकता।
मदरसा प्रबंधक व कार्यक्रम के संयोजक मोहम्मद फ़िरोज़ खान ने कहा जो मज़हब हमें बुजु में ज्यादा पानी बहाने की इज़ाज़त नहीं देता वो किसी बेगुनाह का ख़ून बहाने की कैसे इज़ाज़त दे सकता है।
मज़हब-ए-इस्लाम में आतंकवाद, उग्रवाद, अलगाववाद नक्सलवाद का कोई स्थान नहीं है। इसलिए में दावे के साथ कह सकता हूँ। मुसलमान कभी आतंकवादी नहीं हो सकता और आतंकवादी कभी मुसलमान नहीं हो सकता।
मदरसे के डायरेक्टर फैसल खान, पलटू प्रधान, व जर्रार खान ने कार्यक्रम में आए अतिथियों का पगड़ी पहनाकर व सर्वधर्म सदभाव सम्मान 2022 प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया व देश की शान तिंरगा पटका पहनाकर मेहमानों का स्वागत किया।
जलसे की सादरत कर रहे मऊ भूड़ की जामा मस्जिद के इमाम आली जनाब मौ0 अल्ताफ अशरफी अल्ताफ ने मिलाद-ए-मुस्तफ़ा (स.अ.व) कान्फ्रेंस में तशरीफ़ लाए उलेमा इक़राम व मेहमानों का आभार व्यक्त किया।