Wednesday, September 17, 2025
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प्रेमाभक्ति से मोहित हो जाते हैं भगवान श्री कृष्ण-धीरशान्त

मुरादाबाद। होटल क्लार्क इन, रामपुर रोड में आयोजित आनन्द महोत्सव एवं भजन सन्ध्या में कथा व्यास एवं मठ-मन्दिर विभाग प्रमुख श्रद्धेय धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण को प्रेमाभक्ति से प्राप्त किया जा सकता है।

शास्त्र कहते हैं कि संसार में नीति, नियति, वेद, शास्त्र, ज्ञान, विज्ञान और ब्रह्म तत्व को भी जानने वाले मनीषी मिल सकते हैं, किन्तु स्वयं के अज्ञान को जानने वाला मनुष्य बहुत ही दुर्लभ होता हैं, जिसपर ईश्वर की महान कृपा होती है वही महामानव अपनी अज्ञानता से परिचित होता है।

प्रेम में अद्भुत सामर्थ्य है। अगर उस परमात्मा को झुकाने की सामर्थ्य किसी में है तो वो मात्र और मात्र प्रेम में ही है। चाहे केवट के आगे हो, चाहे शबरी के आगे हो, चाहे हनुमानजी के आगे वो, चाहे सुग्रीव के आगे हो या चाहे विभीषण के आगे हो, प्रेम के वशिभूत होकर कितनी ही बार उस प्रभु को झुकते देखा गया है।

प्रेम में झुकते हुए प्रभु ने यही सीख दी है कि अगर आप सामने वाले से प्रेम पूर्ण व्यवहार करते हैं तो निसंदेह आप उसके ऊपर अपना आधिपत्य भी जमा लेते हैं।

किसी को जीतना चाहते हैं तो प्रेम से जीतो। एक बात और बल के प्रयोग से तो किसी किसी को ही जीता जा सकता है लेकिन प्रेम द्वारा सबको जीता जा सकता है।

प्रेम वो शहद है जो संबंधों को मधुर बनाता है। मधुर संबंध पारिवारिक खुशहाली को जन्म देते हैं और पारिवारिक खुशहाली ही तो एक सफल जीवन की नींव है।

इस अवसर पर आध्यात्मिक गुरु अमरनाथ दीक्षित जी ने कहा कि अपना कहलाने वाला शरीर-संसार पहले हमारा नहीं था, बाद में हमारा नहीं रहेगा, ये समझ में नहीं आवे तो भी सिद्धांत की बात समझ कर-सत्य बात समझ कर इसको मान लें। ऐसा हमारा अनुभव हो चाहे न हो, राग-द्वेष होते हों तो भी इस बात को दृढ़ता से मान लें, तो शरीर से अपनी असंबद्धता का अनुभव हो जाएगा।

व्यवस्था में डा० विनीत गर्ग, डा० शिवानी गर्ग, विदुर गर्ग, अर्ची गर्ग, डा० सुप्रिया गर्ग, सारंग अग्रवाल, डा० ए एस कोठीवाल, डा० सी पी सिंह, डा० गिरीश अग्रवाल, शरद बंसल, डा० संदीप मिड्ढा, डा० मुकेश रायजादा, डा० नितिन बत्रा, डा० राम मोहन, अनुज अग्रवाल, आदि ने सहयोग दिया।