एकादशी का व्रत द्वादशी युक्त एकादशी 4 दिसंबर 2022 ,रविवार को रखे
दशमी तिथि से मिली हुई एकादशी को दशमी भेदा कहा जाता है। और इसका व्रत वैष्णव जन नहीं करते हैं।
(द्वादशी तिथि से मिली हुई एकादशी को द्वादशी भेदा कहा जाता है और इसका व्रत वैष्णव जनों के लिए श्रेष्ठ माना गया है।)
अतः मोक्षदा एकादशी का व्रत 4-12-2022 रविवार को मनाया जायेगा।
धर्म सिंधु के अनुसार …
एकादशी तिथि मुख्यत: दो प्रकार की होती है :*
1) विद्धा
2) शुद्धा
विद्धा- सूर्योदय काल में दशमी का वेध हो अथवा अरुणोदयकाल (सूर्योदय से लगभग चार घड़ी पूर्व) में एकादशी तिथि दशमी द्वारा विद्धा हो, तो वह (एकादशी) विद्धा कहलाती है।
शुद्धा : सूर्य उदयकाल में दशमी तिथि के वेध से रहित एकादशी शुद्धा मानी जाती है।
वैष्णव जनों के लिए प्रायः सभी शास्त्रों में दशमी से युक्त एकादशी का व्रतकरने का निषेध माना गया ।
विशेष : दशमी विद्धा एकादशी न होने पर भी,पूर्ण शुद्ध एकादशी अगर 56 घडी से 1पल भी ज्यादा होती है तो उसका व्रत दूसरे दिन रखा जाता है उस दिन नहीं रखा जाता है।
चाहे दूसरे दिन एक भी घडी पल के लिए एकादशी नहीं हो। प्रातः से ही द्वादशी तिथि हो। फिर भी उस दिन एकादशी का व्रत पूर्ण शुद्ध फल दायक माना जाता है।