मां के निधन के बाद भी कर्तव्यपथ पर डटे रहे पीएम नरेंद्र मोदी, सरदार पटेल से हो रही तुलना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबा का आज निधन हो गया। मां के अंतिम संस्कार के तुरंत बाद पीएम मोदी फिर से कर्तव्य पथ पर चल पड़े। उन्होंने हावड़ा और जलपाईगुड़ी को जोड़ने वाली वंदे भारत ट्रेन को वर्चुअली फ्लैग ऑफ किया। पीएम मोदी की इस कर्तव्य निष्ठा को देख सोशल मीडिया में अचानक सरदार वल्लभभाई पटेल की चर्चा शुरू हो गई।जिस तरह से मां की मौत के बाद भी पीएम मोदी ने बिना विचलित हुए अपने कर्तव्यों को निभाया, कुछ ऐसा ही सरदार वल्लभाई पटेल ने भी किया था। यह बात है साल 1900 की। तब सरदार पटेल ने गोधरा में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी। 11 जनवरी, 1909 की बात है। वह कोर्ट में किसी मामले मे जिरह कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें एक टेलीग्राम मिला। उन्होंने वह टेलीग्राम लिया, उसे खोलकर पढ़ा और फिर उसे उठाकर बैग में रख लिया। इसके बाद करीब दो घंटे तक कोर्ट में बहस चलती रही। आखिर सरदार पटेल नेववह केस जीत लिया। जिसने सुना था रह गया था दंग सुनवाई खत्म होने के बाद जज और अन्य लोगों ने इस पर उनसे टेलीग्राम के बारे में पूछा। जब पटेल ने इसमें अपनी पत्नी की मौत की सूचना होने की बात कही तो वहां मौजूद हर कोई हैरान रह गया। इस पर सरदार वल्लभभाई पटेल नेवकहा कि उस वक्त मैं किसी को न्याय दिलाने के लिए वकील की ड्यूटी कर रहा था। अगर में बहस बीच में छोड़ देता तो यह मेरे मुवक्किल के साथ अन्याय होता। उनकी बातें सुनकर सभी ने सरदार पटेल की कर्तव्यनिष्ठा की जमकर तारीफ की। बता दें कि उनकी पत्नी झावेर बेन का इलाज मुंबई के एक हॉस्पिटल में चल रहा था। यहीं पर इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी।