Tuesday, July 15, 2025
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राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शाम‍िल नहीं होंगे अखिलेश-मायावती, आज यूपी में करेगी प्रवेश

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की प्रदेश में मंगलवार को भारत जोड़ो यात्रा के प्रवेश से पूर्व ही सियासी समकीरणों की नई तस्वीर सामने आने लगी है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव व बसपा सुप्रीमो मायावती ने राहुल के उनकी यात्रा में शामिल होने के आग्रह को स्वीकार नहीं किया है। हालांकि यात्रा के लिए शुभकामनाएं देकर राजनीतिक संदेश देने का प्रयास जरूर किया है।प्रदेश कांग्रेस ने एक गीत भी जारी किया है, जो इंटरनेट मीडिया पर प्रस्सारित है। इस मिट्टी की बात एक है, लोग एक हैं चांद एक है यूपी के जज्बात एक हैं। भेदभाव की बातें छोड़ो आओ मिलकर भातर जोड़ो …. गीत के माध्यम से लोगों को यात्रा से जुड़ने के लिए प्रेरित करने का प्रयास है।

राहुल की भारत जोड़ो यात्रा को रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास का आशीर्वाद, बोले- पूर्ण होंगे सब काम

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को अयोध्या के संतों का भी आशीर्वाद मिला है। सात सितंबर से संचालित भारत जोड़ो यात्रा आज उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर रही है। यात्रा के इस रुख को लेकर ही कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता गौरव तिवारी वीरू ने यात्रा के प्रति संतों का आशीर्वाद प्राप्त किया। यात्रा का नेतृत्व कर रहे राहुल गांधी को आशीर्वाद देने और यात्रा के प्रति शुभकामना अर्पित करने वालों में रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास भी रहे।रामलला के प्रधान पुजारी अपनी जिम्मेदारी के अनुरूप सनातन परंपरा के अनुगामी और मर्मज्ञ होते हुए भी हिंदू- मुस्लिम एकता तथा देश की साझा संस्कृति के पक्षधर रहे हैं और उनका ताजा रुख भी इसी रुझान के अनुरूप है। जागरण से बात करते हुए मुख्य पुजारी ने कहा कि उनके आशीर्वाद को राजनीतिक समर्थन- विरोध से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। सत्य यह है कि जो भी देश को एकजुट करने की बात करेगा, उसके प्रति रामलला का और हमारा आशीर्वाद है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को आशीर्वाद देने वालों में जानकी घाट बड़ा स्थान के महंत जन्मेजय शरण भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि आज राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के साथ वही काम कर रहे हैं, जो भारत मां से प्रेम करने वाले किसी भी राजनेता को करना चाहिए और उनका यह प्रयास सभी के लिए स्वागत योग्य होना चाहिए। उनकी इस कोशिश को या हमारे आशीर्वाद को राजनीतिक चश्मे से देखना उचित नहीं है।