मर्यादा का ख्याल रखते हुए अजमेर में गुरु ग्रंथ साहिब के 16 स्वरूप सिंधी समुदाय ने सिक्खों को लौटाए।
धार्मिक क्षेत्र की यह एक महत्वपूर्ण घटना है।
देशभर में सिंधी समुदाय के मंदिरों और धार्मिक आश्रमों में गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूप ही रखे जाते हैं। जब कभी किसी सिंधी परिवार में धार्मिक आयोजन होते हैं, तब मंदिरों में रखे गुरु ग्रंथ साहिब ही लाए जाते हैं। सिंधी समुदाय पूरे अदब और सम्मान से गुरु ग्रंथ साहिब को अपने पास रखते हैं। सिंधी संत भी गुरु ग्रंथ साहिब के अनुरूप ही प्रवचन भी देते हैं। इससे दोनों समुदायों में सामंजस्य भी बना रहता है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। लेकिन 22 जनवरी को राजस्थान के अजमेर में सिंधी समुदाय ने अपने मंदिरों और धार्मिक आश्रमों में रखे गुरु ग्रंथ साहिब के 16 स्वरूपों को पूरे सम्मान के साथ सिक्ख समुदाय को सौंप दिए। हालांकि सिक्ख समुदाय की ओर से गुरु ग्रंथ साहिब को लौटाने का कोई आग्रह नहीं किया गया था, लेकिन अवगत दिनों इंदौर में हुई एक घटना के मद्देनजर अजमेर के सिंधी समुदाय ने पवित्र ग्रंथों को सिक्ख समुदाय को लौटाने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया। जानकारी के मुताबिक पंजाब के एक निहंग दल ने इंदौर के सिंधी सनातन मंदिर पहुंचकर गुरु ग्रंथ साहिब को मर्यादा के साथ रखने की बात कही। दल का कहना रहा कि गुरु ग्रंथ साहिब गुरुद्वारे में ही रखे जाएं। यदि किसी अन्य धार्मिक स्थान पर रखे जाते हैं तो गुरु ग्रंथ साहिब वाले स्थान पर अन्य किसी की मूर्ति अथवा तस्वीर न हो। यह भी कहा गया कि यदि मर्यादा का पालन नहीं होता है तो सिंधी समुदाय को पवित्र ग्रंथ वापस करने चाहिए। इंदौर जैसा कोई विवाद न हो, इसलिए अजमेर के ईश्वर मनोहर उदासीन धाम की पहल पर सिंधी मंदिरों में रखे गुरु ग्रंथ साहिब के 16 स्वरूपों को सम्मान के साथ लौटाया गया है। अजमेर के सिंधी समुदाय के प्रतिनिधियों का कहना है कि हमारे मंदिरों में पूरे सम्मान के साथ पवित्र ग्रंथों को रखा जाता है। मंदिरों में भगवान झूलेलाल और अन्य साधु संतों की प्रतिमाएं या तस्वीरें भी लगी रहती हैं। ऐसे में कोई विवाद न हो, इसलिए पवित्र ग्रंथों को सम्मान के साथ लौटाया जा रहा है। हम चाहते हैं कि सिक्ख समुदाय के साथ सद्भावना बनी रहे। गुरु ग्रंथ साहिब के 16 स्वरूपों को ग्रहण करने वाली गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष सरदार अमरजीत सिंह छाबड़ा ने कहा कि यह सब आपसी सहमति से हुआ है। इसमें कोई विवाद नहीं है। धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस घटना के समय सिंधी समुदाय की ओर से ईश्वर मनोहर उदासीन संत स्वरूप दास के शिष्य गौतम सांई, स्वामी ईसर दास, सांई आत्मा दास, दादा नारायण दास, स्वामी अर्जुन दास, भारतीय सिंधु सभा के राष्ट्रीय मंत्री महेंद्र कुमार तीर्थानि, मोहन तुलसीयानी, लक्ष्मण राम दौलतानी, प्रकाश मूलचंदानी, नरेश आदि मौजूद रहे। वहीं सिक्ख समाज की ओर से गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष अमरजीत सिंह छाबड़ा, सचिव नरेंद्र सिंह छाबड़ा, दशमेश गुरुद्वारे के प्रधान सरदार दिलबाग सिंह, अमरजीत सिंह टीनू आदि उपस्थित रहे। जिन सिंधी समुदाय के धार्मिक स्थलों से पवित्र ग्रंथ लौटाए गए हैं, उनमें ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम, ईश्वर गोविंद धाम सनातन मंदिर, श्री राम विश्व धाम सनातन मंदिर, प्रेम प्रकाश आश्रम, निर्मल धाम आश्रम, बालक धाम उदासीन आश्रम आदि शामिल हैं।