Wednesday, September 17, 2025
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संसार के भौतिक सुखों में नहीं फंसना अपितु हरि भजन से मुक्ति पाना है: अर्द्धमौनी

मुरादाबाद। शिव मन्दिर, गायत्री नगर, लाइनपार में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिवस कथा व्यास श्रद्धेय धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि मानव जीवन भगवत भक्ति के लिए मिला है। भोगों में आसक्त होकर संसार में फंसना नहीं।

सत्पुरुषों को दुःख अपने दुःख से नहीं। अपने दुःख की उन्हें परवाह ही नहीं होती। वे तो दूसरों के दुःख से ही दुःखी होते हैं। इसी प्रकार निर्विकार संतों की सहज नित्य सुखरूपता भी दूसरे के सुख में सुख का अनुभव किया करती है। शरणागति या समर्पण एक बार ही होता है और समर्पण भी वही है जो अनन्य तथा सम्पूर्ण होता है।

शरीर चाहे कितना भी सुन्दर हो, पत्नी चाहे कितनी भी मनमोहिनी हो, धन चाहे कितना भी सुमेरु पर्वत की भांति असीम हो और सारे संसार में चाहे कितना भी नाम रोशन हो चुका हो लेकिन जब तक जिन्दगी देने वाले श्रीहरि के चरण कमलों में मन नहीं लगा हुआ है तब तक क्या हासिल किया, क्या पाया अर्थात् सब व्यर्थ है।

कभी निराश मत हो। यह निश्चय रक्खो, तुम्हारी आत्मशक्ति भी उतनी ही है। जितनी संसार के बहुत बड़े-बड़े महापुरुषों में थी। निश्चय, विश्वास और साधन से आत्मशक्ति का विकास करो।

बाल्यावस्था से युवावस्था आती है और युवावस्था से वृद्धावस्था आती है तो क्या कोई चिन्ता करता है। इसी तरह वृद्धावस्था के बाद दूसरे शरीर में बाल्यावस्था आ जाती है। अतः जैसे जवान होनेपर ‘मैं बालक हूँ’। इस तरह बालकपने का अभिमान छूट जाता है। ऐसे ही देहाभिमान छूट जाना चाहिये। तात्पर्य यह हुआ कि बालक, जवान अथवा वृद्ध होने पर जीवात्मा एक ही रहा।

जैसे अवस्था बदलती है, ऐसे ही शरीर बदल जाता है। जैसे अवस्थाओं के बदलने पर जीवात्मा वही रहता है, ऐसे ही शरीरों के बदलने पर भी जीवात्मा वही रहता है। इसलिये एक शरीर में आग्रह नहीं रहना चाहिये। क्योंकि कितना ही आग्रह रखो, शरीर तो छूटेगा ही। अगर मनुष्य जीता रहे तो उसका बालकपन छूटेगा और जवानी आयेगी, जवानी छूटेगी और बुढ़ापा आयेगा। इसी तरह बुढ़ापा छूटेगा और अगले जन्म में बालकपना आयेगा। इसलिये एक शरीर में अपनी स्थिति नहीं माननी चाहिये। क्योंकि एक शरीर में स्थिति रहेगी नहीं।

व्यवस्था में गंगा सिंह पाल, अर्चना शर्मा, कामिनी सैनी, ध्यान सिंह सैनी, ममता सैनी, राजकुमार सैनी, राम सिंह, वीर सिंह, सरजीत सैनी, रामचन्द्र सिंह, श्रीमती उषा देवी, राधारानी, जानकी देवी, ईशा सैनी, किरन सैनी, ओमप्रकाश शर्मा, चैतन आनन्द, अजय गुप्ता, सुशील वर्मा, देवांश अग्रवाल, सपना चौधरी, सुधा शर्मा, देव कुमार, वंश खोटियान, नरेन्द्र सिंह, तनिषा कपूर आदि ने सहयोग दिया।