चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम लैंड ने सफलतापूर्वक चांद को छुआ

 

इसरो दुनिया में अपने किफायती कॉमर्शियल लॉन्चिंग के लिए जाना जाता है. अब तक 34 देशों के 424 विदेशी सैटेलाइट्स को छोड़ चुका है. 104 सैटेलाइट एकसाथ छोड़ चुका है. वह भी एक ही रॉकेट से. चंद्रयान-1 ने चांद पर पानी खोजा. चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर आज भी काम कर रहा है. उसी ने चंद्रयान-3 के लिए लैंडिंग साइट खोजी. मंगलयान का परचम तो पूरी दुनिया देख चुकी है. चंद्रयान-3 की सफलता इसरो का नाम दुनिया की सबसे बड़ी स्पेस एजेसियों में शामिल कर देगी.

चंद्रयान और मंगलयान जैसे स्पेसक्राफ्ट्स में लगे पेलोड्स यानी यंत्रों का इस्तेमाल बाद में मौसम और संचार संबंधी सैटेलाइट्स में होता है. रक्षा संबंधी सैटेलाइट्स में होता है. नक्शा बनाने वाले सैटेलाइट्स में होता है. इन यंत्रों से देश में मौजूद लोगों की भलाई का काम होता है. संचार व्यवस्थाएं विकसित करने में मदद मिलती है. निगरानी आसान हो जाती है.

 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मिशन चंद्रयान-3 ने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की है.

 

चांद पर बुधवार शाम 6.04 बजे लैंडर विक्रम लैंड करेगा. लैंडिंग के साथ ही लैंडर विक्रम अपना काम शुरू कर देगा. लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग सफल रही तो रैंप के जरिए छह पहियों वाला प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा और इसरो से कमांड मिलते ही चांद की सतह पर चलेगा. यह 500 मीटर तक के इलाके में चहलकदमी कर पानी और वहां के वातावरण के बारे में इसरो को बताएगा.

चांद पर बुधवार शाम 6.04 बजे लैंडर विक्रम लैंड करेगा. लैंडिंग के साथ ही लैंडर विक्रम अपना काम शुरू कर देगा. लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग सफल रही तो रैंप के जरिए छह पहियों वाला प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा और इसरो से कमांड मिलते ही चांद की सतह पर चलेगा. यह 500 मीटर तक के इलाके में चहलकदमी कर पानी और वहां के वातावरण के बारे में इसरो को बताएगा.