चंदा मामा के घर पहुंच गए : चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद लैंडर से उतरते हुए रोवर प्रज्ञान की पहली फोटो सामने आई, अब चांद की सतह पर घूम रहा, पढ़िए पूरी कहानी

 

नोएडा : जब छोटे थे तो मां अक्सर बोलती थी वो देखो चंदा मामा। और, हम सोचते थे चंदा मामा इतनी दूर हैं, कब उनके घर पहुंच सकेंगे। आखिरकार, 23 अगस्त 2023 की शाम 6:04 मिनट पर भारत की स्पेस एजेंसी ISRO ने इतिहास रचते हुए हर भारतवासी को चंदा मामा के घर पर उतार दिया। चंद्रयान-3 ने चांद के साउथ पोल पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली है। इसके साथ ही भारत चांद के साउथ पोल पर यान उतारने वाला भारत पहला देश बन गया है। चांद के किसी भी हिस्से में यान उतारने वाला भारत चौथा देश है। भारत से पहले अमेरिका, रूस और चीन ही चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर पाए हैं। चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग को पीएम मोदी ने साउथ अफ्रीका से वर्चुअली देखा। सफल लैंडिंग के बाद पीएम मोदी ने इसरो और देशवासियों को बधाई दी। पीएम मोदी ने कहा कि चंदा मामा अब दूर के नहीं, टूर के हैं।

 

*लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक चांद पर उतरा*

चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक चांद पर उतर चुका है। अब इसके अंदर से रोवर प्रज्ञान के निकलने का इंतजार है। इसमें करीब 1 घंटा 50 मिनट लगेगा। डस्ट सेटल होने के बाद विक्रम चालू होगा और कम्युनिकेट करेगा। फिर रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर रैंप से चांद की सतह पर आएगा। इसके बाद इसके व्हील चांद की मिट्‌टी पर अशोक स्तंभ और ISRO के लोगो की छाप छोड़ेंगे। फिर ‘विक्रम’ लैंडर ‘प्रज्ञान की फोटो खींचेगा और प्रज्ञान विक्रम की तस्वीर लेगा। ये फोटो वे पृथ्वी पर भेजेंगे। पहली फोटो भी भेज दी है।

*मिशन से भारत को क्या हासिल होगा*

इसरो के एक्स साइंटिस्ट मनीष पुरोहित कहते हैं कि इस मिशन के जरिए भारत दुनिया को बताना चाहता है कि उसके पास चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और रोवर को वहां चलाने की काबिलियत है। इससे दुनिया का भारत पर भरोसा बढ़ेगा, जो कॉमर्शियल बिजनेस बढ़ाने में मदद करेगा। भारत ने अपने हेवी लिफ्ट लॉन्च व्हीकल LVM3-M4 से चंद्रयान को लॉन्च किया है। इस व्हीकल की काबिलियत भारत पहले ही दुनिया को दिखा चुका है।

 

बता दें, बीते दिनों अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस की कंपनी ‘ब्लू ओरिजिन’ ने इसरो के LVM3 रॉकेट के इस्तेमाल में अपना इंटरेस्ट दिखाया था। ब्लू ओरिजिन LVM3 का इस्तेमाल कॉमर्शियल और टूरिज्म पर्पज के लिए करना चाहता है। LVM3 के जरिए ब्लू ओरिजिन अपने क्रू कैप्सूल को प्लान्ड लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) स्पेस स्टेशन तक ले जाएगा।

*साउथ पोल पर ही मिशन क्यों*

चंद्रमा के पोलर रीजन दूसरे रीजन्स से काफी अलग हैं। यहां कई हिस्से ऐसे हैं, जहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती और तापमान-200 डिग्री सेल्सियस से नीचे तक चला जाता है। ऐसे में वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यहां बर्फ के फॉर्म में अभी भी पानी मौजूद हो सकता है। भारत के 2008 के चंद्रयान-1 मिशन ने चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी का संकेत दिया था। बता दें कि चंद्रमा पर उतरने वाले पिछले सभी स्पेसक्राफ्ट भूमध्यरेखीय क्षेत्र में, चंद्र भूमध्य रेखा के उत्तर या दक्षिण में कुछ डिग्री अक्षांश पर उतरे हैं।

 

*इस बार लैंडर में 5 की जगह 4 इंजन*

इस बार लैंडर में चारों कोनों पर लगे चार इंजन (थ्रस्टर) तो हैं, लेकिन पिछली बार बीचो-बीच लगा पांचवां इंजन हटा दिया गया है। फाइनल लैंडिंग दो इंजन की मदद से ही होगी, ताकि दो इंजन आपातकालीन स्थिति में काम कर सकें। चंद्रयान 2 मिशन में आखिरी समय में पांचवां इंजन जोड़ा गया था। इंजन इसलिए हटाया गया है, ताकि ज्यादा फ्यूल साथ ले जाया जा सके।

*14 दिन का ही मिशन क्यों*

मनीष पुरोहित ने बताया कि चंद्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक उजाला रहता है। जब यहां रात होती है तो तापमान-100 डिग्री सेल्सियस से भी कम हो जाता है। चंद्रयान के लैंडर और रोवर अपने सोलर पैनल्स से पावर जनरेशन करेंगे। इसलिए वो 14 दिन तो पावर जनरेट कर लेंगे, लेकिन रात होने पर पावर जनरेशन प्रोसेस रुक जाएगी। पावर जनरेशन नहीं होगा तो इलेक्ट्रॉनिक्स भयंकर ठंड को झेल नहीं पाएंगे और खराब हो जाएंगे।

 

*चांद पर अब तक भारत का सफर*

भारत ने 22 अक्टूबर 2008 को अपना पहला चंद्रयान मिशन लॉन्च किया। चंद्रयान-1 ने चंद्रमा की सतह पर पानी खोजा और इतिहास की किताबों में अपना नाम दर्ज करा लिया। साल 2019 में चंद्रयान-2 लॉन्च हुआ। सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के चलते चंद्रयान-2 की क्रैश-लैंडिंग हो गई थी।
चंद्रयान-2 के फेल होने के 4 साल बाद इसरो ने 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 लॉन्च किया। और, 23 अगस्त को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई गई।