भागवत भक्तियज्ञ का विश्राम भण्डारे एवं हवन से हुआ

मुरादाबाद।
श्रीशिव मन्दिर, गायत्री नगर  में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव में विश्व हिन्दू परिषद्, मठ-मन्दिर विभाग प्रमुख कथा व्यास श्रीमन् धीरशान्त दास’अर्द्धमौनी’ने बताया कि समस्त संसार में भागवत कथा का पुण्यफल समस्त पुण्यों से सर्वश्रेष्ठ है। विगत सात दिनों से चल रही श्रीमद्भागवत कथा का विश्राम भण्डारे एवं हवन से परिपूर्ण हुआ।
कथा में शास्त्रों का वर्णन करते हुए कहा कि वृक्षों पर फल आने से वे झुकते हैं नम्र बनते हैं, पानी में भरे बादल आकाश में नीचे आते हैं। अच्छे लोग समृद्धि से गर्विष्ठ नहीं बनते, परोपकारियों का यह स्वभाव ही होता है।
जितना धन विधाता ने मनुष्य के भाग्य में लिख दिया है, उतना मरुस्थल में निवास करने पर भी प्राप्त हो जायेगा, किन्तु भाग्य से अधिक सुमेरु पर्वत पर तपस्या से भी नही प्राप्त हो सकता है, इसलिए सज्जन मनुष्य को सन्तुष्टि का भाव रखते हुए धनिकों के सामने वृथा दीनता दिखाकर याचना नही करनी चाहिये, क्योंकि घड़ा समुद्र और कुएँ में से समान जल ही ग्रहण करता है।
आप भगवान् के अंश हो, यह बात आप हरदम याद रखो। यह बात मैं आपको बार-बार इसलिये कहता हूँ कि इन वर्षोंमें यह बात मुझे ज्यादा जँची है ! पहले मेरा इस तरफ इतना ख्याल नहीं था। जैसे आपके घरकी कन्या विवाहके बाद उस घरकी हो जाती है, ऐसे ही आप भगवान् के घरके हो जाओ। ऐसा मान लो कि अब हम कुँवारे नहीं है। हम जंगली पशुकी तरह बिना मालिकके नहीं है। हम भगवान् के हैं। आप वास्तवमें सदासे ही भगवान् के हो, चाहे जानो या न जानो, मानो या न मानो । केवल अपना भाव बदलना है।
यह बात मैं आपको बार-बार इसलिये कहता हूँ कि इन वर्षों में यह बात मुझे ज्यादा जँची है। पहले मेरा इस तरफ इतना ख्याल नहीं था। जैसे आपके घरकी कन्या विवाह के बाद उस घर की हो जाती है, ऐसे ही आप भगवान् के घरके हो जाओ। ऐसा मान लो कि अब हम कुँवारे नहीं है। हम जंगली पशु की तरह बिना मालिक के नहीं है। हम भगवान् के हैं‌। आप वास्तव में सदासे ही भगवान् के हो, चाहे जानो या न जानो, मानो या न मानो । केवल अपना भाव बदलना है।
भगवान् श्रीकृष्ण की कृपा से, शरणागत भक्तों का संग करने से और प्राप्त विवेक का आदर करने से शरणागत भाव प्राप्त होता है। जब साधक का कोई उपाय न चलें, अपनी निर्बलता का पूरा-पूरा अनुभव हो जाय तब उसे भगवान् की शरण लेकर उनको पुकारना चाहिये। शरणागति अचूक शस्त्र है। इससे मनुष्य के समस्त दोष जल कर भस्म हो जाते हैं।
व्यवस्था में पं० प्रेमशंकर शर्मा, आचार्य अनादि मिश्र, ध्यान सिंह सैनी, ममता सैनी, राजकुमार सैनी, कमल सैनी, सरजीत सैनी, कामिनी सैनी, मनोज सैनी, दिनेश सैनी, दीपक सैनी, विजय सिंह, सन्तलाल, गंगा सिंह पाल, ओमप्रकाश शर्मा, नीतू सिंह, सुधा शर्मा, अंकुश सिंह, सपना चौधरी, अभिलाषा कपूर, अनुराधा खुराना, अशोक अग्रवाल, प्रभा बब्बर, पायल मग्गू, सोनाली सरोज आदि ने सहयोग दिया।