Monday, December 2, 2024
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संगीतात्मकता एवं दार्शनिकता से ओतप्रोत हैं ललित मोहन की रचनाएं

मुरादाबाद : प्रख्यात साहित्यकार स्मृतिशेष ललित मोहन भारद्वाज के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर ‘साहित्यिक मुरादाबाद’ की ओर से तीन दिवसीय ऑनलाइन आयोजन किया गया। चर्चा में शामिल साहित्यकारों ने कहा कि ललित मोहन भारद्वाज की रचनाएं रसानुभूति तथा संगीतात्मकता से परिपूर्ण हैं। उनकी रचनाओं में आस्तिकता, आध्यात्मिकता, दार्शनिकता तथा जीवन-निष्ठा के तत्त्व विद्यमान हैं।

 

मुरादाबाद के साहित्यिक आलोक स्तम्भ के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में संयोजक वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ मनोज रस्तोगी ने कहा कि मुरादाबाद में 8 अगस्त 1936 ई को जन्में ललित मोहन भारद्वाज को साहित्यिक और कलात्मक संस्कार विरासत में प्राप्त हुए। वह आकाशवाणी के पूना, लखनऊ और कोहिमा केंद्रों में कार्यक्रम निष्पादक पद पर रहे। उन्होंने मुरादाबाद से साहित्यिक पत्रिका ‘प्रभायन’ का भी सम्पादन-प्रकाशन किया। उनका एक मुक्तक संग्रह ‘प्रतिबिम्ब’ का प्रकाशन वर्ष 1977 में हुआ । वह मुरादाबाद के अम्बिका प्रसाद इंटर कॉलेज के प्रबंधक भी रहे। उनका निधन 12 मार्च 2009 को आगरा में हुआ ।
दयानन्द आर्य कन्या महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य डॉ स्वीटी तालवाड़ ने कहा ललित जी नाम से ही ललित नहीं थे, वे वास्तव में ललित कलाओं के पुंज थे। उनके मुक्तकों में श्रृंगार, अध्यात्म, आस्तिकता, समाजिकता, चिंतन, सौंदर्यबोध, पद लालित्य, भाव प्रवणता, सर्वजन कल्याण की समग्र अभिव्यक्ति हुई है।
इस अवसर पर वाणी भारद्वाज (आगरा), चारु मोहन (मुंबई) और पूनम चोपड़ा ने ललित मोहन के गीत एवं मुक्तक प्रस्तुत कर समां बांध दिया । इरा कौशिक, हिमानी भारद्वाज नमिता , वत्सला, राघव दत्त, उदित, वत्सला, सुरम्या, नरेंद्र शर्मा डॉ अमित कौशिक, विनीत कौशिक ने उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। डॉ प्रेमवती उपाध्याय जी ने कहा कीर्तिशेष ललित मोहन भारद्वाज जी का जितना सुंदर अंतर्मन था उतना ही शुचितापूर्ण बाह्य व्यक्तित्व था ।
रामपुर के साहित्यकार रवि प्रकाश ने कहा उनके मुक्तक श्रृंगार से ओतप्रोत होने के साथ साथ आध्यात्मिकता को भी समेटे हुए हैं। अफजलगढ़ ( बिजनौर) के साहित्यकार डॉ अशोक रस्तोगी ने कहा उनके चिंतन तथा अनुभूति परक मुक्तकों में लालित्यमयी अभिव्यंजनावाद के दर्शन होते हैं। आध्यात्मिकता, सामाजिकता, आस्तिकता तथा अनुभूतियों के जो भाव उन्होंने अपने मुक्तकों में पिरोये थे वे आज भी प्रासंगिक प्रतीत होते हैं । अपनी रचनाओं में ललित मोहन जी सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार भी करते हैं।
एटी ज़ाकिर (आगरा),प्रदीप गुप्ता (मुम्बई),अश्विनी कुमार(मुम्बई), सुरेश दत्त शर्मा पथिक, डॉ अजय अनुपम ने उनके संस्मरण प्रस्तुत किये। अखिलेश वर्मा ने कहा उनके मुक्तक उनकी भावपूर्ण अभिव्यक्ति और यथार्थ पर पकड़ को दर्शाते हैं । दुष्यन्त बाबा ने कहा कि अभिव्यंजना और उच्चारण की शुद्धता के प्रति गम्भीर ललित मोहन भारद्वाज प्रकृति चित्रण और मानव मूल्यों पर लिखने वाले दार्शनिक कवि थे।
डॉ शोभना कौशिक ने कहा उनकी रचनाओं में कहीं श्रृंगार रस का आनंद है तो कहीं विरह की व्याकुलता , कहीं देश प्रेम का ओजस्वी रूप है ,तो कहीं भक्ति रस की मधुरता ।
श्री कृष्ण शुक्ल ने कहा कीर्तिशेष ललित मोहन भारद्वाज की रचनाओं में उनके आध्यात्मिक चिंतन, तथा जीवन दर्शन का सहज परिचय मिलता है । इसके साथ ही श्रंगार रस का भी उनके गीतों में समावेश हैI राजीव प्रखर ने कहा कि वह मूल रूप से आध्यात्मिक कवि थे।
इस अवसर पर डॉ आरती श्रीवास्तव(लखनऊ), डॉ इंदिरा रानी(दिल्ली), शीतल भारद्वाज (मुम्बई), अतुल कुमार शर्मा, आदर्श भटनागर, विवेक आहूजा, डॉ अनिल शर्मा अनिल (धामपुर), डॉ शोभना कौशिक, मनोरमा शर्मा (अमरोहा), सिद्धात्मन , अशोक विद्रोही, रेखा रानी और हेमा तिवारी भट्ट ने विचार व्यक्त किये। आभार निर्मला भारद्वाज ने व्यक्त किया।