पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार के ड्रीम प्रोजेक्ट भी फाइलों में ही बंद

बरेली। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का गढ़ रहने के बावजूद स्मार्ट सिटी बरेली में न तो नियोजित विकास की कोई योजना अभी तक धरातल पर उतर पाई है। महानगर में वाहन पार्किंग बनाए बिना ही अब ई चालान भी शुरू हो गए हैं। हाल यह है पटेल चौक सहित कुछ चौराहे की कुछ रोटरी बनती हैं और कुछ समय बाद ही तोड़ी जाति हैं। हाल यह है की बरेली जिला सरकारी चिकित्सा क्षेत्र में अभी भी पिछड़ा हुआ है। जहां आज तक बरेली में सरकारी मेडिकल कॉलेज तक नही खुल सका। एम्स की वर्षो पुरानी मांग फाइल में दबी पड़ी है। पूर्व केंद्रीय श्रम मंत्री रहे बरेली के सांसद संतोष कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट कर्मचारी राज्य बीमा निगम का 100 बेड का हॉस्पिटल एवम टेक्सटाइल पार्क भी अब तक निर्माण की भी गति नहीं पकड़ पाएं हैं और फाइल में ही बंद हैं।

पत्रकार निर्भय सक्सेना ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जी को मेल भेजकर बरेली की जनता को सरकारी चिकित्सा की बेहतर सेवा देने के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेज, आयुर्वेदिक कॉलेज को नया भवन देने, एम्स जैसा हॉस्पिटल देने की भी मांग की है। आज जरूरत इस बात की भी है की जिलों के नियोजित विकास के लिए नगर निगम, जिला परिषद, विकास प्राधिकरण की एक संयुक्त मॉनिटरिंग कौर कमेटी बने जो राजनेताओं के जनहित वाले सुझावों पर गंभीरता से गुणदोष के आधार पर योजना बनाए ताकि भविष्य को ध्यान में रख जनहित वाली योजनाएं बनें।

स्मरण रहे उत्तर प्रदेश में बी जे पी का गढ़ बरेली रहा है। जहां बी जे पी के वर्तमान में 2 सांसद, 7 विधायक, मेयर, जिला पंचायत अध्यक्ष आपके दूसरे कार्यकाल में भी हैं। खेद के साथ कहना पड़ रहा ही कि आम जनता को सरकारी मेडिकल सेवा देने में बरेली जिला काफी पीछे है। यहां एम्स जैसे हॉस्पिटल की भी आज बहुत जरूरत है। बरेली ही प्रदेश का एक मात्र ऐसा जिला है जहां आजादी के 75 वर्ष बाद भी सरकारी मेडिकल कॉलेज अभी तक नही खुल सका है। सरकारी यूनानी कॉलेज को अब तक केवल हजियापुर में जगह ही मिली है। बांस मंडी का आयुर्वेदिक कॉलेज बिना कैम्पस के  एक दरबे में सिमटा पड़ा है। जिसे नए भवन की जरूरत है। जिला हॉस्पिटल का पुनरोधार कर अगर उसे वहां जगह मिल जाए तो जनता को लाभ मिलेगा।

भेजे अलग अलग मेल मे निर्भय सक्सेना ने कहा ही की मेरा विनम्र सुझाव है की जिला हॉस्पिटल  के टी बी हॉस्पिटल एवम उससे सटे पुराने गिरताऊ भवन तोड़कर उस बड़े परिसर में  100 बेड का एक नया हॉस्पिटल बनाया जाए ताकि बरेली घनी आबादी को उसका लाभ मिल सके। इसके साथ ही नया बना कोविड हॉस्पिटल जल्द ही विभाग को हैंडओवर कराया जाए।

बरेली महायोजना में नए एयरपोर्ट के लिए भी स्थान चिन्हित हो
बरेली की महायोजना 2031 बना ली गई है। इसमें जागरूक नागरिकों ने कुछ सुझाव भी दिया हैं। स्मार्ट सिटी बरेली में एक अत्याधुनिक एयर पोर्ट की जरूरत भविष्य में होगी । लखनऊ रोड पर फरीदपुर या दिल्ली रोड पर मीरगंज मे नया एयरपोर्ट बनाने के मेरे सुझाव को भी इस 2031की महायोजना में शामिल किया जाए। इसके लिए बरेली महायोजना 2031 में नए एयरपोर्ट के लिए भी स्थान चिन्हित किया जाए। स्मरण रहे बरेली में वायुसेना के त्रिशूल एयरपोर्ट की हवाई पट्टी का वर्तमान में बना बरेली सिविल एयरपोर्ट सेवाएं ले रहा है। जिससे वायु सेना के त्रिशूल हवाई अड्डे की सुरक्षा व्यवस्था पर भी खतरे के बादल मंडराते रहते हैं। इस लिए जरूरी है कि लखनऊ रोड पर फरीदपुर या दिल्ली रोड पर मीरगंज या नवाबगंज किसी उचित स्थानों नया एयरपोर्ट बनाने के मेरे सुझाव को भी इस 2031की बरेली महायोजना में शामिल किया जाए। और उस पर गंभीरता से अमल भी हो। आज कल जिस तरह चीन की गतिविधियां चल रही हैं उसको दृष्टिगत रखकर बरेली के वायुसेना के त्रिशूल एयरपोर्ट के समीप बने बरेली सिविल एयरपोर्ट को भविष्य में हटाना भी जरूरी होगा। इसलिए बरेली की 2031की महायोजना में नए एयरपोर्ट की जगह को अभी से शामिल किया जाए। स्मरण रहे सुरक्षा कारणों से कानपुर में भी चकेरी में वायुसेना के पास बने सिविल एयरपोर्ट को अन्य स्थान पर शिफ्ट किया गया था। बरेली में लाइट मेट्रो का आना भी तय हो गया है। कुतुबखाना पर अब उपरिगामी पुल भी बन रहा है। स्मार्ट सिटी में बिना किसी ताल मेल के बिना कुतुबखाना को लाइट मेट्रो का जंक्शन बनाए बिना यह योजना भी बेमानी ही होगी। कुतुबखाना पर मोती पार्क, जिसमे देश के अधिकांश राजनेताओं की आम सभा होती थीं, जैसे स्थल को भी सरकारी तंत्र उसकी महत्वता जाने बिना ही उसको हरे भरे पार्किंग की जगह बाहन पार्किंग में बदलने में लगा है। आज जरूरत इस बात की भी है की जिलों के नियोजित विकास के लिए नगर निगम, जिला परिषद, विकास प्राधिकरण की एक संयुक्त मॉनिटरिंग कौर कमेटी बने जो राजनेताओं के जनहित वाले सुझावों पर गंभीरता से गुणदोष के आधार पर योजना बनाए ताकि भविष्य को ध्यान में रख जनहित वाली योजनाएं बनें।