Friday, July 18, 2025
उत्तर प्रदेशदेश

आरएसएस का मतलब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नहीं रेसियल सुपरमैसी सिस्टम-लौटनराम निषाद

लखनऊ। “हाथी के दाँत दिखाने के और खाने और”, के अनुसार आरएसएस का पूर्ण नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नहीं बल्कि रेसियल सुपरमैसी सिस्टम होता है। भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ.लौटनराम निषाद ने बताया कि आरएसएस में 75 प्रतिशत से अधिक चित्तपावन ब्राह्मण जाति का ही वर्चस्व रहता है।आरएसएस के सरसंघचालक मुख्यतया चित्तपावन ब्राह्मण ही होते हैं,अपवाद स्वरूप एक बार संक्रमण के दौर में प्रो.राजेन्द्र सिंह”रज्जू भैया”(राजपूत) आरएसएस के सरसंघचालक बनाये गए थे।वर्तमान में भी आरएसएस में बौद्धिक प्रमुख श्री स्वान्त रंजन ओबीसी, सहकार्यवाहसह सुरेश सोनी(वैश्य), प्रचार प्रमुख अरुण जैन(जैन बनिया),सदस्य अशोक बेरी(वैश्य),गुणवंत सिंह कोठारी(वैश्य),निमंत्रित सदस्य विनोद कुमार(कायस्थ),सांकलचंद बागरेचा(वैश्य) व रामदत्त(कायस्थ) हैं,शेष सभी एक जातिविशेष के ही पदाधिकारी व सदस्य आदि हैं।

निषाद ने बताया कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जी (सरसंघचालक),सरकार्यवाह सुरेश भैया जी जोशी ,दत्तात्रेय होसबाले,डॉ. कृष्णगोपाल जी,वी भागय्या जी (सह सरकार्यवाह), मनमोहन वैद्य,मुकुंद जी, सुनील कुलकर्णी जी (शारीरिक प्रमुख) ,जगदीश प्रसाद जी (सह शारीरिक प्रमुख), सुनील मेहता जी (सह बौद्धिक प्रमुख), पराग अभ्यंकर जी (सेवा प्रमुख),राजकुमार मटाले जी (सह सेवा प्रमुख), मंगेश भेंडे जी (व्यवस्था प्रमुख),अनिल ओक जी (सह व्यवस्था प्रमुख), अरुण कुमार जी (प्रचार प्रमुख, नरेंद्र कुमार जी (सह प्रचार प्रमुख),अनिरुद्ध देशपांडे जी (सम्पर्क प्रमुख),सुनील देशपांडे जी (सह सम्पर्क प्रमुख),रमेश पप्पा जी (सह सम्पर्क प्रमुख),सुरेश चन्द्र जी (प्रचारक प्रमुख),अद्वैतचरण दत्त जी (सह प्रचारक प्रमुख),सदस्य-शंकरलाल जी ,डॉ. दिनेश कुमार जी,इंद्रेश कुमार,सुहास हिरमेठजी,मधुभाई कुलकर्णी जी,निमंत्रित सदस्य-हस्तीमल जी, जे. नंदकुमार जी (निमंत्रित सदस्य), सुनील पद गोस्वामी जी,सेतुमाधवन जी,गौरीशंकर चक्रवर्ती जी, शरद ढोले जी,सुब्रमण्य जी, रविंद्र जोशी जी,श्याम प्रसाद जी,दुर्गा प्रसाद जी,अलोक जी,प्रदीप जोशी जी, बालकृष्ण त्रिपाठी जी आदि सभी ब्राह्मण जाति के ही हैं।

निषाद ने कहा कि आरएसएस वर्णव्यवस्था व सामाजिक स्तरीकरण का पक्षधर संगठन है।आरएसएस सामाजिक समता,समरसता व बंधुत्व की ऊपरी तौर पर बात करता है,लेकिन इसका असली मकसद वर्णव्यवस्था को कायम रखना है जहां वर्णीय व जातीय विभेद की गहरी खाई हैं।जब 1925 में सीताराम बलिराम हेडगेवार ने आरएसएस का गथन किया,उस दिन संकल्प लिया गया कि 100 वर्ष में भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना है।हिन्दू राष्ट्र का मतलब मनुसंविधान के अनुसार शासन का संचालन व ब्रिटिश हुकूमत द्वारा न्याय आधारित व्यवस्था को खत्म करना है।आरएसएस सामाजिक न्याय,संविधान व लोकतंत्र का विरोधी संगठन है।जिसका मकसद देश की पूरी अर्थव्यवस्था को गुरु गोलवलकर की “बंच ऑफ़ थॉट्स” व “वी ऑर अवर नेशनहुड डिफाइंड” के अनुसार चंद पूंजीपतियों के हाथों में सौपना व ब्राह्मण वर्चस्व को कायम करना है।अग्निपथ व अग्निवीर योजना आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की ही बनाई गई योजना है।जिसका मकसद लोकतांत्रिक मूल्यों, संविधान व सामाजिक न्याय के लिए संचालित आंदोलनों व सरकार के विरुद्ध उठ रही आवाज़ों को दबाने के लिए अग्निवीरों की संविदा नियुक्ति का सिस्टम आगे किया गया है,न कि देश की सुरक्षा, अस्मिता के लिए राष्ट्रभक्त देशप्रेमी सैनिक तैयार करना है।