गोंड वेलफेयर एंप्लाइज एसोसिएशन महारानी दुर्गवाती का 458वा बलिदान दिवस मनाया
राजधानी लखनऊ में शुक्रवार को कामन हाल ए ब्लॉक दारुलशफा (विधायक निवास) लखनऊ में गोंड वेलफेयर इंप्लाइज एसोसिएशन, उत्तर प्रदेश, जनपद शाखा लखनऊ के तत्वावधान में गोंडवाना साम्राज्य की वीरांगना महारानी दुर्गावती का 458 वा बलिदान दिवस पूरे धूमधाम से मनाया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता सुनील कुमार गोंड, जिला अध्यक्ष, गोंड वेलफेयर इंप्लाइज एसोसिएशन, जनपद शाखा लखनऊ द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री दयाराम सिंह गौड़, पूर्व पुलिस उपाधीक्षक, लखनऊ तथा विशिष्ट अतिथि अरुण सिंह गोंडवंशी, प्रदेश अध्यक्ष, मोदी प्रसाद गोंड, प्रदेश महासचिव, गोंड वेलफेयर इंप्लाइज एसोसिएशन, उत्तर प्रदेश थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि द्वारा गोंडवाना साम्राज्य की वीरांगना महारानी दुर्गावती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। तत्पश्चात विशिष्ट अतिथियों द्वारा भी महारानी दुर्गावती के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। माल्यार्पण करने के पश्चात कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले सभी सदस्यों द्वारा महारानी दुर्गावती के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई तथा सभी अतिथियों को पिला अंग बस्त्र भेंट किया गया। तत्पश्चात हल्दी चावल का टीका लगाकर कार्यक्रम में सम्मिलित सभी अतिथियों एवं स्गजनों का स्वागत किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अरूण सिंह गोंडवंशी, प्रदेश अध्यक्ष, गोंड वेलफेयर इंप्लाइज एसोसिएशन, उत्तर प्रदेश ने गोडवाना साम्राज्य के रक्षार्थ मुग़लों को चुनौती देने वाली वीरता, उदारता, राजनैतिक एकता की पर्याय, युद्ध कौशल में प्रवीण, देश की वीरांगना महारानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। गोंडवंशी जी ने बताया कि महारानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर सन् 1524 को महोबा में हुआ था। उनके पिता, राजा कीर्तिसिंह चंदेल, महोबा के राजा थे। 1542 में दुर्गावती का विवाह गोण्डवाना साम्राज्य के महाराज दलपत शाह से हुआ, परंतु 1550 में राजा का निधन हो गया। उस वक्त उनका बेटा छोटा था, उसे ही गद्दी पर बैठा कर रानी दुर्गावती ने गढ़मंडला का शासन सम्भाला। वर्तमान में मंडला मध्य-प्रदेश का एक जिला है। 1556 में मालवा के सुल्तान बाज़ बहादुर ने गोण्डवाना पर हमला बोल दिया, लेकिन बुरी तरह से पराजित हुआ। 1564 में अकबर के रिश्तेदार आसफ़ खान ने गोण्डवाना पर हमला किया, बरेला के इस ऐतिहासिक युद्ध में रानी दुर्गावती ने खुद मोर्चा सम्भाला। अपने सैन्य कौशल से उन्होंने एक बार तो आसफ़ खान को पीछे धकेल दिया, परंतु उसके दुबारा हमले में रानी के पास केवल 300 सैनिक बचे थे और उन्हें भी सीने और आँख में तीर लग चुके थे, पर योद्धा रानी अपनी आखिरी सांस तक मुग़लों से लड़ती रहीं और जब उन्हें लगा की वे जीत नहीं पाएँगीं, तो उन्होंने अपनी ही कटार अपने सीने में उतार ली और आज ही के दिन 24 जून 1564 ई. को रानी वीरगति को प्राप्त हो गईं। आज जबलपुर स्थित महारानी दुर्गावती विश्वविद्यालय उन्हीं के सम्मान में स्थापित है। वर्ष 1988 में महारानी के सम्मान में पोस्टल स्टैम्प जारी किया गया। महारानी दुर्गावती ने गोंडवाना साम्राज्य की रक्षा के लिए अपनी पूर्णाहुति दे दी। गोंडवाना साम्राज्य पर आंच नहीं आने दिया । नारी होकर भी वीर पुरुषों की भांति मुगलो से लोहा लेती रहीं, उनकी आधीनता नहीं स्वीकार किया। गोंडवाना समाज की रानी दुर्गावती से हमारे समाज की महिलाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए जिन्होंने अपने आन बान शान के लिए अपने आप को कुर्बान कर दिया । हमारे युवा साथी आप सब भी रानी दुर्गावती के आदर्शों को अपनाएं । आगे बढ़े । समाज का नाम रोशन करें, तब जाकर के हमारा समाज आगे बढ़ेगा और हम शक्तिशाली होंगे।
मुख्य अतिथि दयाराम सिंह गौड़ ने कहा कि गोंडवाना साम्राज्य की वीरांगना महारानी दुर्गावती ने सम्पूर्ण गोंड समाज को एक सूत्र में बाघने का कार्य किया, जिसकी परिणीति है कि आज हम सब साथ साथ दिखाई दे रहे हैं। हम सभी के प्रेरणास्रोत महारानी दुर्गावती के पद चिन्हों पर चलकर हम सब आगे बढ़ेंगे। मुझे यकीन ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है। हम सब स्वाभिमानी लोग हैं, सर कटा सकते हैं किंतु सर नही झुका सकते। हम सबको समाज को जोड़ने का कार्य प्राथमिकता पर करना चाहिए। एक दूसरे के सहयोग से सभी अधिकारी कर्मचारी बंधुओं को जोड़ने के साथ साथ सभी को जोड़ा जाए।
कार्यक्रम को आनंद कुमार गोंड, संगठन सचिव, प्रदीप कुमार गोंड, मीडिया प्रभारी, जितेंद्र कुमार गोंड, शैलेश कुमार गोंड, प्रभुनाथ गोंड, दिनेश्वर गोंड, ओम प्रकाश गोंड, रवि नंदन गोंड व रंजना गोंड, सरोज गोंड व अन्य सगाजनों ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सुनील कुमार गोंड, जिलाध्यक्ष, गोंड वेलफेयर इम्प्लाइज एसोसिएशन, लखनऊ ने कहा कि हम सबको अपने अतिथियों के द्वारा दिए गए सुझावों पर अमल करना है, महारानी दुर्गावती के पद चिन्हों पर चलकर आगे बढ़ना है। गोंड समाज के आन बान शान के लिए सबको एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है। आप सभी अतिथियों का मैं हृदय से आभार प्रकट करता हूं कि आपने इस कार्यक्रम के लिया अपना बहुमूल्य समय निकाला, साथ ही साथ आज के कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले सभी स्वजातीय बंधुओं का भी मैं हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करता हूं तथा कार्यक्रम समापन की घोषणा करता हूं।
कार्यक्रम का संचालन दिनेश चंद्र गोंड, जिला महासचिव, गोंड वेलफेयर इंप्लाइज एसोसिएशन, उत्तर प्रदेश, जनपद शाखा लखनऊ ने किया।