Tuesday, May 13, 2025
कला एवं साहित्यदेश

जन्म-दिवसः वैचारिक स्तम्भ प्यारेलाल खण्डेलवाल

फिसलन भरे राजनीतिक क्षेत्र में अपनी चादर को साफ रखना तो कठिन है ही; लेकिन सत्ता और गठबंधन के काल में अपने दल को विचारधारा पर डटे रहने के लिए बाध्य करना और भी कठिन है। प्यारेलाल खंडेलवाल ऐसे ही एक दृढ़वती कार्यकर्ता थे।

उनका जन्म 6 जुलाई, 1929 को ग्राम चारमंडली (जिला सीहोर, म. प्र.) में एक किसान परिवार में हुआ था। 11 वर्ष की किशोरावस्था में वे स्वयंसेवक बने। वे 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में सहभागी हुए। उन्होंने इंदौर में क्रांतिवीरों और देशभक्तों के समूह प्रजामंडल द्वारा प्रकाशित पत्रकों का गुप्त रूप से वितरण किया। माहेश्वरी विद्यालय में वंदे मातरम् गाकर छात्र आंदोलन का नेतृत्व किया और जेल की यातना भोगी।

1948 में जब संघ पर प्रतिबंध लगा, तो अनेक युवाओं ने इस संकट को दूर कर संघ कार्य की वृद्धि के लिए अपना जीवन समर्पित करने का निश्चय किया। प्यारेलाल जी भी उनमें से एक थे। प्रतिबंध के विरुद्ध सत्याग्रह कर वे इंदौर और रतलाम की जेल में बंद रहे। उनके प्रचारक जीवन का प्रारम्भ इंदौर से हुआ। नगर, जिला, विभाग प्रचारक आदि दायित्व संभालने के बाद 1964 में उन्हें मध्य प्रदेश में जनसंघ का संगठन मंत्री बनाया गया। उन्होंने कुशाभाऊ ठाकरे के साथ गांव-गांव घूमकर जनसंघ का संगठन खड़ा किया।

इससे पूर्व वे ‘कश्मीर बचाओ’ आंदोलन के अन्तर्गत 1953 में कठुआ और जम्मू की जेल में भी बंद रहे। आपातकाल में वे पुलिस की पकड़ से फरार हो गये और फिर पूरे समय म’प्र’ में ‘लोक संघर्ष समिति’ के सूत्रधार बने रहेे।

संगठन मंत्री प्रायः चुनाव नहीं लड़ते; पर जब संगठन ने उन्हें आदेश दिया, तो वे म’प्र’ कांग्रेस के स्तम्भ दिग्विजय सिंह को उनके गृहक्षेत्र राजगढ़ से हराकर लोकसभा के सदस्य बने। 1988 में उनके ‘ग्राम राज अभियान’ के बल पर ही 1990 में भाजपा म’प्र’ की सत्ता पा सकी। उन्होंने प्रदेश के अनुसूचित जाति एवं जनजातीय लोगों के उत्थान के लिए भी विशेष अभियान चलाया। 1988 में ही उन्होंने किसानों की समस्याओं की ओर ध्यान आकृष्ट करने के लिए एक सप्ताह की भूख हड़ताल की। इससे कारण केन्द्र शासन को प्रदेश को सूखा पीड़ित क्षेत्र घोषित करना पड़ा।

प्यारेलाल जी नेता कम और धरती से जुड़े कार्यकर्ता अधिक थे। उनकी उपस्थिति ही कार्यकर्ताओं में उत्साह भर देती थी। चुनाव में वे हैलिक१प्टर की बजाय कार से प्रवास करते थे। इसीलिए उनके अनुमान सदा ठीक निकलते थे। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा को सत्ता दिलाने में उनकी बहुत बड़ी भूमिका है।

जब भाजपा को केन्द्र में सत्ता मिली, तो सत्ता की मलाई खाने के लिए कई लोग भाजपा से जुड़ गयेे। इनके कारण भाजपा कई बार मूल विचारधारा से विचलित होती दिखी। ऐसे में प्यारेलाल जी सदा वैचारिक आस्था, कोष की शुचिता और अनुशासन की बात करते थे।

सत्ता के दिनों में कई लोग वैभव के सांचों में ढल गये; पर प्यारेलाल जी दिल्ली में भाजपा कार्यालय के अपने पुराने कमरे में ही रहे। उन्हें सांसद के नाते मिले आवास का सदा संगठन की गतिविधियों के लिए उपयोग हुआ। उन्हें दो बार राज्यसभा में भेजा गया। दूसरी बार उन्होंने किसी और को भेजने को कहा; पर दल ने आग्रहपूर्वक उन्हें ही भेजा।

कैंसर तथा वृद्धावस्था संबंधी अनेक रोगों से पीड़ित प्यारेलाल जी का 6 अक्तूबर, 2009 को दिल्ली में ही देहांत हुआ। उनका अंतिम संस्कार उनकी कर्मस्थली भोपाल में किया गया। वे भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, महासचिव तथा केन्द्रीय चुनाव समिति के सदस्य रहेे।