आज सभ्यता वहशी बन पेड़ों को काट रही है: ज्योति बाबा

कानपुर। पेड़ पौधे व हरियाली के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाया है। सांस लेने के लिए भी ऑक्सीजन हमें पेड़ों से मिलती है लेकिन आज वहशी सभ्यता पेड़ों को काटकर फेफड़ों में जहर भरने का काम कर रही है। उपरोक्त बात सोसाइटी योग ज्योति इंडिया के तत्वाधान में नशा मुक्त समाज आंदोलन अभियान कौशल का के तहत ई संगोष्ठी शीर्षक प्रदूषण और महामारीओ जैसी आधुनिक चुनौतियों का एकमात्र हल पौधरोपण पर अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्त अभियान के प्रमुख व नशा मुक्त समाज आंदोलन अभियान कौशल के नेशनल ब्रांड एंबेस्डर योग गुरु ज्योति बाबा ने कही।

ज्योति बाबा ने आगे कहा कि पीपल बरगद पिलखन खेजड़ी पाकर आम अशोक व जामुन आदि भारतीय पेड़ों की किस्में और रोकने के लिए सबसे अच्छी हैं। यह हमारी जलवायु के अनुकूल प्रदूषण दूर करने में सक्षम व सेहत के लिए लाभप्रद हैं पौधे ना सिर्फ हमें वृक्ष के रूप में ऑक्सीजन देकर पर्यावरण को शुद्ध करते हैं बल्कि ध्वनि प्रदूषण को दूर कर हमें बहरेपन से बचाते हैं।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अंजू सिंह व मानवाधिकारवादी गीता पाल ने कहा कि यदि पर्यावरण के चक्र को संतुलित करना है तो कम से कम एक तिहाई भूभाग को वृक्षों से भरना होगा। एग्रोफोरेस्ट्री मिशन के तहत किसानों को भी खेत की मेड पर पेड़ लगाने के लिए और ज्यादा प्रोत्साहित किया जाए।

इंजीनियर विनोद कुमार वर्मा झांसी ने कहा कि वैश्विक वन संसाधन आकलन 2020 की रिपोर्ट के अनुसार विश्व के घटते वनों से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है।

विधायक मोहनलालगंज अमरेश रावत ने कहा कि देश में वन अनावरण घटने का सबसे बड़ा कारण मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर होना है। फर्नीचर उद्योग पेपर उद्योग जैसे दर्जनों औद्योगिक क्षेत्रों की जरूरतें तभी पूरी होगी जब हमारे पास पर्याप्त मात्रा में वन संपदा होगी वनों के अत्यधिक दोहन व कम पौधरोपण से जैव विविधता भी खतरे में है।

आगरा से भोला जैन ने कहा कि भारतीय वन सर्वेक्षण की हालिया रिपोर्ट के अनुसार तापमान में बढ़ोतरी और वर्षा चक्र में बदलाव एवं जलवायु परिवर्तन के कारण वन बहुत ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। अंशु सिंह सेगर फतेहपुर ने कहा के इसी प्रकार वनों का छय होता रहा तो कोविड-19 जैसी महामारिया कुछ अंतराल के बाद पुनरावृत्ति कर सकती हैं। अंत में योग गुरु ज्योति बाबा ने सभी को पेड़ लगाने नशा हटाने की शपथ दिलाई।