संघर्ष के अंधेरे से अपने हौंसले कमजोर न होने दें…

संभल। आज मदरसा मौलाना मौहम्मद अली जौहर मैं तालीमी कान्फ्रेंस का आयोजन किया गया जिसमें अपनी अपनी कक्षाओं मैं पहला, दूसरा व तीसरा स्थान प्राप्त करने वाले होनहार मेधावियों को मुख्यातिथि आली जनाब ख़्वाजा कलीम अशरफ़, व विशिष्ट अतिथियों द्वारा इनामात व मैडल पहनाकर सम्मानित किया गया जिससे मेधावियों के चेहरों पर चमक, और उनके दिलो दिमाग़ मैं वतनपरस्ती के जज़्बात साफ़ नज़र आ रहे थे, हौसलों मैं आसमान को छूने की ललक जागती हुई स्पष्ट नज़र आ रही थी!

तालीमी कान्फ्रेंस को संवोधित करते हुए कार्यक्रम के मुख्यातिथि आली जनाब ख़्वाजा कलीम अशरफ़ नें कहा हमारी विचारधारा है की माँ बाप की गुरबत के कारण जो बच्चे स्कूल जानें मैं सक्षम नहीं हैं, ग़रीबी के कारण शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकते, कलम से वँचित हैं, हम उनके हाथों मैं कलम देना चाहते हैं, क्योंकि बिना शिक्षा के मानवता का ज्ञान होना नामुमकिन ही नहीं असम्भव है इंसान शिक्षा के बिना आधा अधूरा है, साथ ही अभिभावकों को लड़कों के साथ लड़कियों की पढ़ाई की अहमियत का अहसास कराया! उन्होंने ग़रीबों को कलम से वँचित रहने का प्रमुख कारण मेहँगी शिक्षा व शिक्षा का व्यवसायकरण होना बताया, ग्रामीण व शिक्षा के क्षेत्र मैं अतिपिछड़े क्षेत्र मैं मदरसा मौलाना मोहम्मद अली जौहर के शिक्षा के क्षेत्र मैं किए गए ऐतिहासिक व क्रान्तिकारी उद्देश्य और लक्ष्य की सराहना करते हुए कहा की देश मैं ऐसे तालीमी इदारे हों तो कोई भी ग़रीब कलम से वँचित नहीं रह सकता!

तालीमी कान्फ्रेंस को संवोधित करते हुए सम्भल मैं शिक्षा के क्षेत्र मैं क्रान्तिकारी परिवर्तन लाने वाले मास्टर आली जनाब उस्मान साहब ने शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों और युवा पीढ़ी से मुख़ातिब होते हुए कहा की शिक्षा के क्षेत्र मैं जिस विषय मैं भी रूचि है उस विषय मैं हमें पूरी लगन ईमानदारी से मेहनत करनी चाहिए, आपको आपकी किस्मत तो धोखा दे सकती है लेकिन आपकी मेहनत आपको कभी धोखा नहीं देगी मेनहत सफलता की कुंजी है, एक छात्र का सबसे महत्वपूर्ण गुण यह है की हमेशा अपने अध्यापक से सवाल पूछे,
तूफानों से डरकर नौका कभी पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती!

उन्होंने कहा की हमें किसी स्कूल विद्यालय की काबलियत शिक्षा के स्तर की तुलना उसकी बिल्डिंग से कभी नहीं करनी चाहिए!

किसी विद्यालय की महानता या गरिमा का निर्धारण उसकी ईमारतों या उपकरणों से नहीं होता, बल्कि कार्यरत अध्यापकों की विद्वता व चरित्र निर्धारण से होता है!

तालीमी कान्फ्रेंस संवोधित करते हुए हाफ़िज़ व कारी बुरहानुद्दीन बुरहान सम्भली नें देशभक्ति के आसार पढ़ते हुए खूब वावाही लूटी उन्होंने परेंट्स से रूबरू होते हुए हमारे जीवन मैं शिक्षा की अहमियत पर इस्लाम धर्म के संस्थापक हज़रत मौहम्मद स0अ0व0 के कथन को कुछ इस तरह बयां किया!

हर हाल मैं इल्म हासिल करो उसके लिए आपको चाहें चीन क्यों न जाना पड़े, चाहें एक वक़्त खाना कम खाओ लेकिन अपने बच्चों को जरूर पढ़ाओ, अनाथ वह नहीं जिनके माँ बाप नहीं, बल्कि यतीम वो हैँ जो अशिक्षित हैँ,

तालीमी कान्फ्रेंस को संवोधित करते हुए डॉ0 शफ़ीक़ बरकाती नें कहा की कलम की ताक़त कलम की अहमियत को पहचानों, दुनियाँ मैं कलम की ताक़त से बड़ी कोई ताक़त नहीं है, कलम क्या है, कलम की धार क्या है, अगर यह चल जाए तो फिर तलवार क्या है!

तालीमी कान्फ्रेंस मैं मशहूर शायर इन्तेखाब सम्भली नें कुछ इस अंदाज़ मैं पढ़ा , लोग मस्जिदों को दुल्हन बनाते रहे, एक वेबस की बेटी कुंवारी रही, बाप मजबूर है, कैसा दस्तूर है! पढ़कर क़ौम के जिम्मेदारों को ग़रीबों के प्रति उनके दायित्व के निर्वहन का ब खूबी अहसास कराया!

कान्फ्रेंस को संवोधित करते हुए आली जनाब मास्टर उस्मान नौशाही ने कहा शिक्षित बनों जिसे अपने दुःखों से मुक्ति चाहिए तो उसे पढ़ना होगा!

तालीमी कान्फ्रेंस को संवोधित करते हुए जनाब ताहिर सलामी ने कहा शिक्षा का उद्देश्य नौकरी करके धन कमाना मात्र नहीं होना चाहिए बल्कि शिक्षा वो है जिसके द्वारा किसी भी इन्सान का शारीरिक, मानसिक और आत्मिक विकास होता है!

मदरसा प्रबंधक मौहम्मद फ़िरोज़ खान मदरसा मौलाना मौहम्मद अली जौहर उद्देश्य बताया यतीम अनाथ को निःशुल्क किताबें,ड्रेस उपलब्ध कराना और जो बच्चे अपने माँ बाप की ग़रीबी महंगी शिक्षा व शिक्षा के व्यवसायकरण कारण स्कूल जाने से वँचित हैं उनको निःशुल्क शिक्षा मुहैया कराना!

हमारा लक्ष्य है शिक्षा से वँचित यतीम/अनाथ, ग़रीब, वेसहारा बच्चों के हाथों मैं निःशुल्क कलम देकर उनका मानसिक शारीरिक विकास कर उनको संस…