उपभोक्ता आयोग ने दो टूक कहा-हेल्थ बीमा की धनराशि देनी होगी बीमा कम्पनी को

संभल। चंदौसी निवासी सुप्रसिद्ध हार्ड डॉक्टर नरेंद्र गुप्ता ने 28 जनवरी 2004 को अपने व अपनी पत्नी के लिए एक भारतीय जीवन बीमा निगम शाखा कार्यालय चंदौसी से एक बीमा पॉलिसी क्रय की थी जिसमें स्वास्थ्य बीमा भी सम्मिलित था डॉ गुप्ता की पत्नी श्रीमती साधना गुप्ता 2 जुलाई 2021 को किडनी की समस्या से पीड़ित होगई जिन्हें दिल्ली में गुर्दा रोग बिशेषज्ञ द्वारा आपरेशन किया गया फिर अचानक 19 जुलाई 2021 को साधना गुप्ता के सीने में अचानक दर्द हुआ उनकी गम्भीर स्थिति को देखते हुए डॉक्टर नरेन्द्र गुप्ता ने प्राथमिक उपचार कर उन्हें दिल्ली के एक प्रसिद्ध अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ तथा देश में टॉप टेन डॉक्टर अशोक सेठ को दिखाया गया जहां डॉक्टर द्वारा बताया गया कि इनकी किडनी का ऑपरेशन पहले ही हो चुका है जिस कारण इनकी एंजो प्लास्टिक करके दो स्टैंड लॉबस्टर टेक्नोलॉजी विधि के द्वारा डाले गए जिस पर खर्च की धनराशि की मांग बीमा कंपनी से की तो बीमा कंपनी द्वारा अपनी शर्तों का हवाला देकर उन्हें क्लेम देने से इनकार कर दिया जिसके लिए उन्होंने कई लिखित पत्र भारतीय जीवन बीमा निगम को लिखा था परंतु उनकी किसी भी समस्या का समाधान भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा नहीं किया गया जिसके लिए उन्होंने अपने अधिवक्ता लव मोहन वार्ष्णेय के माध्यम से एक परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग जनपद संभल में आयोजित किया जहां आयोग ने भारतीय जीवन बीमा निगम को तलब कर अपना पक्ष रखने के लिए कहा तब बीमा कंपनी ने आयोग को बताया कि वर्ष 2004 में जब हमने यह पॉलिसी दी थी उस समय पॉलिसी पर लिखी शर्त के अनुसार या तो इनकी ओपन हार्ट सर्जरी होती या बाईपास सर्जरी होती तभी हम इनको इलाज में हुए व्यय का भुगतान कर सकते थे तब परिवादिनी के अधिवक्ता लव मोहन वार्ष्णेय ने बताया की माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत के अनुसार कोई भी बीमा कंपनी हेल्थ इंश्योरेंस में अपनी शर्तों का हवाला देकर क्लेम देने से इनकार नहीं कर सकती हार्ड का इलाज होना बीमा कंपनी ने स्वीकार किया है ऐसी स्थिति में बीमा कंपनी श्रीमती साधना गुप्ता के हृदय रोग पर हुए इलाज के संबंध में समस्त धनराशि देने की उत्तरदायी है क्योंकि पूर्व में साधना गुप्ता की किडनी का ऑपरेशन हो चुका था जिस कारण बाईपास सर्जरी अथवा ओपन हार्ट सर्जरी किया जाना संभव नहीं था तथा जिस समय यह पॉलिसी बेची गई थी उत्सव में रोटाब्लाजर टेक्नोलॉजी का उदय नहीं हुआ था ऐसी स्थिति में यदि उच्च टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर हृदय रोग का इलाज किया गया है तो बीमा कंपनी बीमा धनराशि दिए जाने से इंकार नहीं कर सकती आयोग के अध्यक्ष राम अचल यादव सदस्य आशुतोष ने दोनों पक्षकारों को सुना और आदेश दिया कि भारतीय जीवन बीमा निगम परवादनी को उसके इलाज पर हुए व्यय की धनराशि ₹157660 उस पर परिवाद संस्थान की तिथि से 6% वार्षिक ब्याज सहित अंदर 2 माह में अदा करें इसके अलावा परिवादिनी को ₹5000 वाद व्यय भी अदा करें आदेश का अनुपालन नियत अवधि में ना किए जाने की दशा में ब्याज की धनराशि को बढ़ाकर 9% से देना होगा ।