टीएमयू कैम्पस में निकली श्रीजी की भव्य रथयात्रा

खास बातें :-

  • दिव्य घोष की धुनों पर और शोभायमान हुई श्रीजी की भव्य रथयात्रा
  • रथयात्रा को सुरीश्वर जी महाराज औऱ प्रतिष्ठाचार्य का मिला सानिध्य
  • भगवान श्री महावीर की आरती में शामिल हुआ कुलाधिपति परिवार
  • जिनालय से रथयात्रा साढ़े तीन घंटे में पहुंची रिद्धि-सिद्धि भवन
  • सौधर्म इन्द्र बने सीसीएसआईटी के मोहित जैन तो कुबेर प्रासुक जैन
  • हाथी, घोड़ों ओर ऊंट पर सवार स्टुडेंट्स रहे आकर्षण का केंद्र
  • गीतों और गरबा पर भक्ति में लीन हुईं श्रावक-श्राविकाएं

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी कैम्पस में श्रीजी की भव्य रथयात्रा धूमधाम से निकली। इस अविस्मरणीय रथयात्रा महोत्सव में कुलाधिपति परिवार के संग-संग सैकड़ों श्रावक औऱ श्राविकाएं तो शामिल हुए ही जबकि हाथी घोड़े औऱ ऊंट भी आकर्षण का केंद्र रहे। गजानन पर सवार कुलाधिपति श्री सुरेश जैन दोनों हाथों में चमर लिए भक्ति के सागर में डूबे नजर आए। दिव्यघोष के साथ रथयात्रा जिनालय से प्रारम्भ होकर यूनिवर्सिटी कैंपस में मेडिकल हॉस्टल्स, फैकल्टीज रेजीडेंस, संत भवन, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, एफओईसीएस, आर्मी टैंक, क्रिकेट पवेलियन, एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक होते हुए रिद्धि-सिद्धि भवन पहुँची। रथयात्रा को रिद्धि-सिद्धि भवन पहुँचने में करीब साढ़े तीन घंटे का समय लगा। रथयात्रा में जैनाचार्य श्रीमद विजय धर्मधुरंधर सुरीश्वर जी महाराज, सम्मेद शिखर से आए प्रतिष्ठाचार्य श्री ऋषभ जैन, कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, श्रीमती ऋचा जैन के अलावा दिगम्बर जैन समाज, मुरादाबाद के अध्यक्ष श्री अनिल जैन, महिला दिगम्बर जैन समाज की अध्यक्ष श्रीमती नीलम जैन, प्रो. एसके जैन, श्री विपिन जैन, प्रो. विपिन जैन, डॉ. रत्नेश जैन, प्रो. आरके जैन, डॉ. विनोद जैन, डॉ. कल्पना जैन आदि गरिमामयी मौजूदगी रही। इनके अलावा सैकड़ों श्रावक श्राविकाओं के संग-संग अमरोहा, संभल, रामपुर, बिजनौर, उधमसिंह नगर ज़िलों से भी बड़ी संख्या में जैन समाज के गणमान्य प्रतिनिधियों ने भी शामिल होकर रथयात्रा महोत्सव की शोभा बढ़ाई। हस्तिनापुर से आए अतिथि श्री जीवन प्रकाश जी ने कहा, टीएमयू छात्र-छात्राओं को विद्या देने के साथ-साथ उनके अंदर धार्मिक संस्कारों को भी निर्मित कर रहा है। इसके लिए उन्होंने यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति बधाई के पात्र हैं। प्रारम्भिक मंगलाचरण की प्रस्तुति श्रीमती निधि जैन तो बाद में भक्तिमय मंगलाचरण डेंटल की दो स्टुडेंट्स ने की। अंत में कुलाधिपति आवास- संवृद्धि पर रथयात्रा महोत्सव में भाग लेने वाले समस्त श्रद्धालुओं को वात्सल्य भोज कराया गया।

रथयात्रा में सौधर्म इन्द्र बनने का सौभाग्य श्री मोहित जैन को मिला, जबकि रथ पर चार इन्द्र बनने का पुण्य आदित्य जैन, अनंत चौधरी, आर्जव जैन, आकाश जैन ने कमाया। सीसीएसआईटी के प्रासुक जैन कुबेर बने तो सारथी बनने का सौभाग्य सीसीएसआईटी के ही अतिशय जैन को मिला। रथयात्रा महोत्सव में माला की बोली, श्री प्रदीप कुमार जैन यानी नेताजी के परिवार ने ली। रथयात्रा में सबसे आगे हाथी पर मेडिकल, जबकि ऊंट पर सीसीएसआईटी के छात्र सवार थे। विभिन्न कॉलेजों की छात्राएं- प्रियांशी जैन, रियाल जैन, ऋषिका जैन औऱ रिया जैन घोड़े पर सवार रथयात्रा की शोभा बढ़ा रहीं थीं। प्रथम बग्गी पर बैठने का सौभाग्य श्री मनोज जैन औऱ श्रीमती नीलिमा जैन को प्राप्त हुआ। द्वितीय बग्गी पर बैठने का सौभाग्य टिमिट की सोनम जैन को मिला। रथयात्रा में श्राविकाएं हाथों में कलश लिए रथयात्रा की शोभा बढ़ा रहीं थीं। यात्रा के दौरान भक्तिमय गीतों पर श्राविकाएं आध्यात्म में लीन नजर आईं। उड़ी-उड़ी जाए…, केसरिया केसरिया, आज म्हारो रंग केसरिया…, रंगमा-रंगमा रंग गयो रे…, बाबा कुण्डलपुर वाले की भक्ति करूँ झूम-झूम के…, आदि संगीतमय भजनों पर श्रीमती ऋचा जैन, श्रीमती नीलम जैन, प्रो. सीमा अवस्थी, डॉ. अर्चना जैन, श्रीमती ऋतु जैन, श्रीमती अहिंसा जैन, डॉ. नम्रता जैन, डॉ. स्वाति जैन आदि गरबा के रंग में रंगी नजर आईं। रथयात्रा के दौरान श्रावक सफ़ेद कुर्ता पजामा औऱ श्राविकाएं सफ़ेद सलवार औऱ केसरिया रंग के दुपट्टे में नजर आए ।

इससे पूर्व सौधर्म इन्द्र ने भगवान श्रीजी को जिनालय से पालकी से साथ रथ पर विराजमान किया गया। रथ पर स्वास्तिक श्रीमती ऋचा जैन ने बनाया । तत्पश्चात रथ पर चार इन्द्र औऱ सारथी को सवार हुए तो कुलाधिपति परिवार ने रथ को अपने कर कमलों से खींचा। सम्मेद शिखर जी से आए प्रतिष्ठाचार्य श्री ऋषभ जैन ने यह प्रक्रिया मंत्रोच्चारण की बीच संपन्न कराई। रथ यात्रा को श्रावकों ने मार्च पास्ट औऱ सलामी दी। रथ यात्रा के आगे-आगे हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में हाथी-घोड़े औऱ ऊंट पर स्टुडेंट्स सवार थे। श्राविकाएं गरबा औऱ डांडिया करते हुए भक्ति में लीन नजर आईं। रथयात्रा के मद्देनजर कैंपस में विभिन्न स्थानों पर पांच मंच भी सजाए गए थे। प्रथम मंच पर मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने महाभारत थीम पर डांस की मनमोहिनी प्रस्तुति दी, जिसमें डांडिया भी दिल जीतने में पीछे नहीं रहा। द्वितीय मंच पर एलएलबी के छात्रों के समूह ने भगवान के पालना झूले नानक झोटा दीजो सांग पर नृत्य प्रस्तुत किया। तृतीय मंच पर इंजीनियरिंग औऱ सीसीएसआईटी के स्टुडेंट्स ने प्रस्तुति दी, जबकि चतुर्थ मंच पर मेडिकल स्टुडेंट्स ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से छात्रों को धार्मिक संस्कारों औऱ विशेषकर हिंदी भाषा को जीवन में बढ़ाने पर जोर दिया। टिमिट के स्टुडेंट्स ने गरबा नृत्य किया। अंतिम मंच पर भरत नाट्यम के जरिए प्रस्तुतियां दी गयीं। रथयात्रा की खास बात यह भी रही, जैसे ही रथ कुलाधिपति श्री सुरेश जैन के नए भवन के सामने पहुंचा तो एडमिन ब्लॉक में कुलाधिपति परिवार ने विधि-विधान से पूजा की। अंत में मेडिकल औऱ डेंटल के स्टुडेंट्स ने अपने नृत्यों पर विभिन्न प्रकार की प्रस्तुतियां दीं । तत्पश्चात भगवान महावीर को रिद्धि-सिद्धि भवन में विराजमान किया गया। भगवान् का अभिषेक 108 कलशों से किया गया। भगवान की शांतिधारा जैनाचार्य श्रीमद विजय धर्मधुरंधर सुरीश्वर जी महाराज ने अपने मुखारविंद से संपन्न कराई।

रिद्धि-सिद्धि भवन में जैनाचार्य श्रीमद विजय धर्मधुरंधर सुरीश्वर जी महाराज ने प्रवचन का श्रीगणेश एक कहानी से किया। बोले, अकबर के राज्य में एक बार यात्रा निकाली जा रही थी, जिसे अकबर अपने महल की खिड़की से देख रहा था तो उन्होंने थानमल से पूछा, पालकी में बैठाकर महिला की शोभायात्रा क्यों निकाली जा रही है? थानमल ने बताया, यह श्राविका है, इसने उपवास रखा है तो अकबर बोला, उपवास के दौरान महिला के समाज में छुपकर खाना पीना कर लेते होंगे, यह संभव नहीं हो सकता है। अकबर ने महिला की परीक्षा लेने का आदेश दिया साथ ही कहा, महल में ठहरा कर ही उपवास कराया जाए। अंततः महिला ने महल में ही उपवास रखा। अचंभित अकबर ने महिला को बुलाकर पूछा, यह आप उपवास कैसे रख पाती हो? इतनी शक्ति कहाँ से आती है ? महिला ने गुरुकृपा औऱ आराधना को शक्ति का स्रोत बताया। इस शक्ति को जानकार अकबर ने भी छह माह तक मांसाहार त्याग का नियम लिया। दूसरी ओर रिद्धि-सिद्धि भवन में प्रतिष्ठाचार्य बोले, 01 नवंबर से 08 नवंबर तक सिद्धचक्र विधान मनाया जाएगा। इस पूजन में श्रावक धोती दुपट्टे, जबकि श्राविकाएं साड़ी पहनकर सम्मिलित होंगे।

रिद्धि-सिद्धि भवन में प्रथम स्वर्ण कलश से अभिषेक करने की बोली ला की ख़ुशी जैन औऱ मैत्री जैन ने ली थीं। द्वितीय स्वर्ण कलश से अभिषेक करने का पुण्यलाभ सीसीएसआईटी के प्रासुक जैन, तृतीय स्वर्ण कलश से डेंटल के हर्षित जैन औऱ कीर्ति नज़ा जैन ने कमाया, जबकि चतुर्थ स्वर्ण कलश से अभिषेक करने का सौभाग्य मेडिकल के आदिश जैन को प्राप्त हुआ। प्रथम शांतिधारा करने का सौभाग्य टिमिट के चेतन जैन, आशी जैन, संस्कार जैन औऱ सीसीएसआईटी के अनमोल जैन, हर्ष जैन को मिला। द्वितीय शांतिधारा करने का सौभाग्य सीसीएसआईटी के ऋषभ जैन, आदित्य जैन, संचित जैन, मोहित जैन, अनंत चौधरी औऱ टिमिट के सुहित जैन को प्राप्त हुआ।