बाल दिवस पर नन्हें-मुन्ने बच्चों के साथ मां, शिक्षक और अभिभावक बनीं कमिश्नर संयुक्ता समद्दार

बरेली। बरेली मंडलायुक्त संयुक्ता समद्दार ने बाल दिवस (14 नवंबर) के अवसर पर बच्चों से संवाद किया। मंडलायुक्त संयुक्ता समद्दार ने सोमवार को बाल दिवस के अवसर पर प्राथमिक विद्यालय भरतौल और उच्च प्राथमिक विद्यालय फरीदापुर इनायतपुर का निरीक्षण किया। साथ ही मंडलायुक्त ने बच्चों के साथ बाल दिवस मनाया। अभिभावक की तरह नन्हें बच्चों से पढ़ाई, पाठ्यक्रम, खेलकूद आदि पर बातचीत की। इस दौरान बीएसए भी मौजूद रहे।

बरेली मंडल की कमिश्नर संयुक्ता जहां जाती हैं लोगों के दुख दर्द में शामिल हो जाती हैं। उनका दर्द बांटती हैं और उनकी समस्याओं का चुटकियों में समाधान करती हैं। एक्शन मोड और कड़क मिजाज कमिश्नर बाल दिवस के मौके पर ममता और वात्सल्य से द्रवित नजर आईं। सोमवार को सरकारी स्कूलों के निरीक्षण में पहुंची कमिश्नर एक मां, शिक्षक और अभिभावक के रूप में बच्चों के सामने पेश आई। नन्हे-मुन्ने बच्चों को उन्होंने खेल कराए। उनके साथ खुद बच्चों की तरह खेलने लगी। बच्चों को अपने हाथों से मिठाइयां मिठाई खिलाकर उनके सिर पर ममता से भरा हाथ रखा। बच्चों से स्कूल पाठ्यक्रम पर ढेर सारी बातें की और जीवन में निरंतर आगे बढ़ने की सीख भी दी। सरकारी स्कूलों के बच्चे अपने सामने अपनी मां और दीदी जैसी कमिश्नर संयुक्ता समद्दार को देखकर झूम उठे। बेझिझक उनके साथ जमकर खेले। खूब ढेर सारी बातें भी कर डाली। जब तक कमिश्नर स्कूल में रहीं बच्चे खुशी से उछलते नजर आए।

बाल दिवस के मौके पर कमिश्नर संयुक्ता समद्दार ने बरेली के प्राथमिक विद्यालय भरतौल और उच्च प्राथमिक विद्यालय फरीदापुर इनायत समेत आसपास के स्कूलों का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने स्कूलों के शिक्षकों से भी बातचीत की। उन्होंने कहा कि बच्चों की पढ़ाई में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। उनके खेलकूद के सामान से लेकर बच्चों की यूनिफॉर्म, मिड डे मील अन्य जरूरी चीजें मुहैया होनी चाहिए। शिक्षक समय से स्कूल पहुंचे। बच्चों के चरित्र निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रदेश में चलाए जा रहे मिशन कायाकल्प ने सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदल दी है। मिशन कायाकल्प में प्राथमिक विद्यालय कॉन्वेंट स्कूलों को टक्कर दे रहे हैं। कमिश्नर ने जिन स्कूलों का निरीक्षण किया। उन स्कूलों में स्मार्ट क्लासेस, सरकारी बच्चों के बैठने के लिए बेंच, ब्लैकबोर्ड समेत सभी सुविधाएं थी। सरकारी स्कूल के बच्चे भी कान्वेंट स्कूलों की तरह कमिश्नर के सवालों का फटाफट जवाब दे रहे थे।