करंट से छह मौतों पर MD की बिजली विभाग को क्लीन चिट, ‘नहीं मिली लापरवाही, तकनीकी जांच बाकी’
मेरठ ऊर्जा भवन में प्रेसवार्ता में पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक चैत्रा वी.ने कहा कि एक महीने पहले डीजीपी जब मेरठ आए थे। तब उन्होंने सभी अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए स्पष्ट दिशा निर्देश दिए थे कि कांवड़ 12 फीट की होनी चाहिए अब तक की जांच में सामने आए ये तथ्य
अभी तक की जो जांच हुई है, उसमें कांवड की ऊंचाई 22 फीट पाई गई है।
जिस स्थान पर यह घटना घटी है वहां सड़क की चौड़ाई कम थी और एक तरफ मिट्टी भराव हो रखा था।
डीजे को मोड़ते ही उसमें विचलन पैदा हो गए और वह हाईटेंशन के संपर्क में आ गया।
संपर्क होने पर तार नहीं टूटा यदि हाईटेंशन तार टूटता तो मौके पर इससे बड़ा हादसा हो सकता था।
प्रबंध निदेशक ने शटडाउन वाले आरोप पर स्पष्ट करते हुए कहा कि उन्होंने मुख्यालय के डैशबोर्ड व डिस्काम की आनलाइन ट्रेसिंग से अभी तक की जांच में पाया है कि कोई भी लिखित या मौखिक तौर पर शटडाउन की मांग किसी ने नहीं की थी।
शाम को 5:30 से 6:30 बजे के बीच रोस्टिंग के तहत शेड्यूल ब्रेक होता है जो कल भी किया गया था। यह ब्रेक रोस्टिंग के तहत पहले से ही निर्धारित था, इसलिए किया गया था।
दोबारा से स्पष्ट करते हुए कहा कि इसके लिए भी किसी ने मांग नहीं की थी।
इस पूरे मामले में अभी तक की जांच में विद्युत विभाग के स्तर से कोई लापरवाही नहीं पाई गई है। सभी मानक फॉलो किए गए हैं।
इलेक्ट्रिकल सेफ्टी डिपार्टमेंट की रिपोर्ट में अभी तक कोई भी गलती निकलकर नहीं आई है।
चैत्रा बी ने कहा कि अवर अभियंता के ऊपर लगाए गए आरोपों के संबंध में भी जांच की गई, जिस संबंध में पाया गया है कि कोई भी लिखित यह मौखिक शटडाउन नहीं मांगा गया था। शटडाउन मांगने का आरोप बेबुनियाद है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा विद्युत विभाग की ओर से मुख्य अभियंता टेक्निकल के नेतृत्व में टीम गठित की गई है, जो जांच करेगी। उन्होंने कहा कि मजिस्ट्रेट जांच के बारे में डीएम ही जानकारी देंगे।
डीएम से यह रखी मांगें
मृतक के स्वजनों को दिया जाए 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता
मृतक परिवारों को दिया जाए कृषि पट्टा
घायलों को दिया जाए 25 लाख रुपया
हाइटेंशन लाइन को गांव के रिहायशी इलाकों से हटाया जाए।
सूचना के बाद हाइटेंशन लाइन का करंट प्रवाहित करने वाले अवर अभियंता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करायी जाए, निलंबित किया जाए।
मृतक परिवार को दिया जाए आवासीय पट्टा।
मृतकों के परिवारों के बच्चों की निश्शुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जाए।
डीएम ने यह मानी मांग
दो मृतक परिवारों को किसान बीमा योजना से दिया जाएगा पांच-पांच लाख
पावर कारपोरेशन की ओर से प्रत्येक मृतक आश्रितों को दिया जाएगा एक-एक लाख
डीएम अपने कोष से देंगे एक लाख।
मुख्यमंत्री को आर्थिक सहायता के लिए भेजी जाएगी संस्तुति
मृतक परिवारों की बच्चों की शिक्षा की करायी जाएगी व्यवस्था।
डीएम अपने स्तर से अन्य मदद का करेंगे प्रयास