Wednesday, September 17, 2025
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नन्द के आनन्द भयो जय कन्हैया लाल की-धीरशान्त

मुरादाबाद। बिहारो का मन्दिर, कंजरी सराय में आयोजित भगवान श्री कृष्ण छठी महोत्सव में कथा व्यास एवं भजनोपदेशक धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने बताया कि जब से कान्हा गोकुल में प्रकट हुए हैं, व्रज के घर-घर में आनन्द छा गया। सब लोगों ने मंगलगान, बधाई एवं लोकगीतों से वातावरण शोभायमान कर दिया।

लाला के जन्म की छठी के दिन नन्दबाबा और नन्दरानी यशोदा ने अपने लाला का अभिषेक कर सुन्दर वस्त्र पहनाए हैं। गोबर से षष्ठी देवी की सुन्दर मूर्ति बनायी गयी है। सफेद चावलों की वेदी पर षष्ठी देवी की मूर्ति को विराजमान कर पास में कलश स्थापित किया। षष्ठी देवी का षोडशोपचारों से पूजन कर उनको भांति-भाति के व्यजंनों का भोग लगाया

षष्ठी पूजन के दिन सभी गोपों की भी श्रीकृष्ण-दर्शन की अभिलाषा पूरी होने का समय आ रहा था, किन्तु नन्दलाला के छठी उत्सव में नन्दबाबा ने कंस के राक्षसों के भय से केवल बंधु-बांधवों को ही बुलाया था।  परन्तु आज गोपों के हृदय में उमड़ता तुफान किसे के रोकने से रुकने वाला नहीं था और न ही किसी को निमन्त्रण की आवश्यकता थी। इसलिए छठी के दिन दूर-दूर के गाँवों के गोप-गोपियाँ नन्दमहल के द्वार पर आकर इकट्ठे हो गए।

‘जैसे किसी सुन्दर सरोवर में एक सुन्दर कमल खिल जाए जो रस से भरा हो; उस विकसित कमल को देखकर मधु के लोभी भंवरें बिना बुलाए उड़-उड़कर चारों तरफ से आ जाते हैं; उसी प्रकार नन्दबाबा के घर रूपी सरोवर में अनुपम माधुर्य और सौरभ से युक्त जो नीलकमल श्रीकृष्ण खिला उसके मधुर रस को पीने के लिए व्रजवासी रूपी भंवरे चारों तरफ से उमड़ पड़े। पास में बैठीं सुन्दर सजी हुई अनगिनत गोपियाँ मंगलगीत गा रही हैं।

गोपों की अपार संख्या पंक्तिबद्ध होकर लाला का दर्शन कर रही है किन्तु जिसकी दृष्टि उस सलोने चितचोर पर पड़ी, वह वहीं अटक गया।  ‘नन्दबाबा का लाला कैसा है ?’ परन्तु उत्तर मुख से न निकलता, वाणी मूक हो जाती, कण्ठ भर-भर कर आता, आँखें डबडबा जातीं। उस सौन्दर्य का कोई पूरा वर्णन कर सके, ऐसा जगत में आज तक कोई नहीं हुआ।

आकाश में देवतागण लाला के छठी उत्सव को देखने आए हैं और आकाश से नन्दनन्दन पर पुष्प बरसा रहे हैं। इस तरह हर्षोउल्लास से भरपूर, आनन्दायी, यह नन्दलाल का छठी महोत्सव सम्पन्न हुआ

भगवान श्रीकृष्ण का आनन्द-प्रधान अवतार है। सुख और आनन्द के प्रति सबका आकर्षण होता है, इसलिए वे लोगों के प्रेम को अपनी ओर ज्यादा आकर्षित करते हैं।

बधाई गीत, बृज के रसिया एवं मंगल भजनों में श्रद्धालुओं ने जमकर नृत्य संकीर्तन कर आनन्द का रसास्वादन किया।

व्यवस्था में सारंग अग्रवाल, मोनिशा अग्रवाल रानी वर्मा, राकेश अग्रवाल, शोभा बंसल, प्रीती बंसल, लता यादव, विनीत अग्रवाल, सपना चौधरी, किरन सिंह, हिमांशु अंकुश, सुधा शर्मा, पं० गोपाल शर्मा, शोभा अग्रवाल, नीलम कौशिक आदि ने सहयोग किया।