नगर निकाय चुनाव के लिए सपा ने बदली रणनीति, अखिलेश यादव फिर हुए एक्टिव

सपा ने चुनाव के लिए अपनी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। नगर निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में हलचल तेज हो गई है। कल यानी 20 दिसंबर के बाद कभी भी चुनाव का एलान हो सकता है। 20 तक इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने पर रोक लगाई है। इस बार का मुख्य मुकाबला सत्ताधारी भाजपा और मुख्य विपक्षी दल समाजवादी के बीच बताया जा रहा है। सपा ने चुनाव के लिए अपनी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।

क्या है समाजवादी पार्टी की रणनीति?

इस बार विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी जीत के लिए काफी आश्वस्त थी। इसके लिए पार्टी ने जातीय समीकरण मजबूत किया था। दलित-मुस्लिम और पिछड़े वोटर्स को साथ लाने के लिए कई तरह का प्रयोग भी किए थे। हालांकि, इसके बावजूद वह ज्यादा सफल नहीं हो पाए। चुनाव के बाद जरूर मुस्लिम वोटर्स की सपा से नाराजगी की खबरें आने लगीं। बसपा को इसमें अच्छा मौका दिखा और मायावती ने तुरंत मुस्लिम वोटर्स पर निशाना साधना शुरू कर दिया।’ उन्होंने कहा, ‘रामपुर, खतौली और मैनपुरी उपचुनाव में सपा ने फिर से एक प्रयोग किया। इस बार वह काफी हद तक सफल भी हुए।

कैसे सपा नगर निकाय चुनाव के लिए तैयारियां कर रहीं हैं।

1. दलित वोटर्स पर फिर फोकस : विधानसभा चुनाव के दौरान भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद से टिकट को लेकर अखिलेश यादव का विवाद हो गया था। इसके चलते चुनाव से पहले ही चंद्रशेखर और सपा का गठबंधन टूट गया था। अब एक बार फिर से अखिलेश ने चंद्रशेखर को अपने साथ जोड़ लिया है। दलित वोटर्स और खासतौर पर युवाओं के बीच चंद्रशेखर का अलग क्रेज है। खतौली और मैनपुरी में आजाद ने सपा के लिए प्रचार किया और इसका फायदा भी मिला। दोनों सीटों पर सपा की जीत हुई, हालांकि रामपुर में जरूर खेल बिगड़ गया। अब आजाद के जरिए एक बार फिर से अखिलेश दलित वोटर्स को साथ लाने की कोशिश में जुटे हैं। नगर निकाय चुनाव में भी इसका असर देखने को मिल सकता है।

2. नाराज मुस्लिम वोटर्स को मनाने की कोशिश :*आजम खान से जेल में न मिलने पर मुस्लिम वोटर्स अखिलेश यादव से काफी नाराज हुए थे। विधानसभा चुनाव के बाद कुछ मुस्लिम नेताओं ने भी पार्टी छोड़ दी थी। कई तरह के आरोप भी लगाए थे। अब अखिलेश उस नाराजगी को दूर करने की कोशिश में जुटे हैं। यही कारण है कि वह आजम खान को कहीं भी पीछे नहीं छोड़ते। हर मामले में वह आजम को साथ लेकर चल रहे हैं। सपा के दूसरे कद्दावर मुस्लिम नेता और कानपुर से विधायक इरफान सोलंकी से मिलने के लिए जेल भी जा रहे हैं। इरफान कई मामलों में फंसे हैं और पिछले दस दिन से जेल में बंद हैं।

3. युवाओं को साथ जोड़ने की कोशिश : बड़ी संख्या में युवाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए भी सपा मुखिया ने प्लान बनाया है। इसके अनुसार, सपा के नेता और कार्यकर्ता युवाओं से जुड़े हर मुद्दे को सड़क से लेकर विधानसभा और संसद तक उठाएंगे। बेरोजगारी, फीस बढ़ोतरी समेत तमाम मुद्दों पर युवाओं को अपने साथ लाकर भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश शुरू कर दी है।