टीएमयू हॉस्पिटल में अब नई तकनीक से हार्ट सर्जरी 

गुड न्यूज़: टीएमयू के कार्डियोथैरेसिक सर्जन डॉ. आयुष श्रीवास्तव ने वीएटीएस तकनीक से की तीन सफल सर्जरी, न चीरा, न टांके और न दर्द, बस नाममात्र का कट, डॉ. श्रीवास्तव को लंबा अनुभव,  अब तक कर चुके हैं 150 हार्ट ऑपरेशन

तीर्थंकर महावीर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में हार्ट के रोगियों के लिए गुड न्यूज़ है। अब हार्ट से जुड़ी किसी समस्या या आधुनिक ऑपरेशन के लिए दिल्ली या नोएडा के चक्कर नहीं लगाने होंगे। टीएमयू अस्पताल के कार्डियोथैरेसिक सर्जरी विभाग में हार्ट की सर्जरी की आधुनिक तकनीक- वीडियो असिस्टेड  सर्जरी-वीएटीएस के जरिए हार्ट और चेस्ट के ऑपरेशन किए जा रहे हैं। टीएमयू के कार्डियोथैरेसिक सर्जन डॉ. आयुष श्रीवास्तव वीएटीएस तकनीक से अब तक तीन सफल सर्जरी कर चुके हैं। मुरादाबाद में इस विधि से केवल तीर्थंकर महावीर हॉस्पिटल में सर्जरी हो रही है। डॉ. आयुष ने बुखारीपुर, अमरोहा के पेशेंट सोनू शर्मा के फेफड़ों की सर्जरी की है। सोनू को बाइक एक्सीडेंट में फेफडें में चोट लग गई थी, जिसके कारण उनमें खून जम गया था। सोनू के परिवार वालों ने कई डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन सभी ने बड़े ऑपरेशन को कहा। अंत में परिवार वाले उन्हें टीएमयू अस्पताल में लाए और कार्डियोथैरेसिक सर्जन डॉ. आयुष श्रीवास्तव से मिले। डॉ. आयुष ने मरीज की जांच के उपरांत वीडियो असिस्टेड थैरेसिक सर्जरी-वीएटीएस के जरिए सोनू के फेफड़ों का ऑपरेशन किया। जो सामान्यतः ओपन ऑपरेशन की तुलना में कम जटिल, कम दर्द और कम खर्चीला होने के साथ-साथ जल्द ही रिकवरी वाला था। सफल ऑपरेशन के बाद अब सोनू को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। डॉ. आयुष हार्ट और लंग्स से जुड़ी अब तक 150 से अधिक जटिल सर्जरी कर चुके हैं।   इसके अलावा डॉ. आयुष और उनकी टीम ने एक और पेशेंट राजीव कुमार की छाती का ऑपरेशन भी वीएटीएस तकनीक से किया है। राजीव के छाती में गांठें थीं। टीएमयू के अलावा और सभी डॉक्टरों ने भी उन्हें ऑपरेशन कराने की सलाह दी थी। सीने का ऑपरेशन सुनकर मरीज और घरवाले घबरा गए। वे टीएमयू आए तो उन्हें डॉ. आयुष ने दूरबीन की सहायता से इस ऑपरेशन को करने की सलाह दी थी। उन्होंने ऑपरेशन कराया और सफल भी हुआ। अब पेसेंट बिल्कुल स्वस्थ है। तीसरा केस 25 बरस की युवती आरती का था, जिसको टीबी की समस्या था। आरती के फेफड़ों में पस जम गया था। टीबी का संक्रमण बढ़ रहा था। ऐसे में फेफड़ों में जमा पस साफ करना जरूरी था। इसी को ध्यान में रखकर डॉ. आयुष और उनकी टीम ने आरती के फेफड़ों का वीडियो असिस्टेड थैरेसिक सर्जरी-वीएटीएस के जरिए ऑपरेशन किया और फेफड़ों की सफाई की। तीनों ऑपेशन सफल हुए हैं। सभी मरीज स्वस्थ हैं। सभी को अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई है।    डॉ. आयुष कहते हैं, जब किसी मरीज से फेफड़ों या दिल के ऑपरेशन की बात की जाती है तो यह पेशेंट और परिवार वालों के लिए किसी झटके से कम नहीं होता है। आम तौर पर लोगों के जेहन में ऑपरेशन को लेकर चीरा, टांके और दर्द की तस्वीर बनी होती है, लेकिन इस तकनीक में नाममात्र का कट है। न दर्द है और न ज्यादा समय बिस्तर पर रहने की जरूरत है। यदि किसी को दिल या फेफड़ों से जुड़ी कोई समस्या है, तो वे डरें नहीं टीएमयू अस्पताल में आए और हमसे सम्पर्क करें। उल्लेखनीय है, इस विधि में छाती की दीवार में एक या दो छोटे कट के माध्यम से छाती में एक छोटा कैमरा और सर्जिकल उपकरण डाला जाता है। थोराकोस्कोप नामक कैमरा, छाती के अंदर की छवियों को एक वीडियो मॉनिटर को भेजता है। एक पारंपरिक ओपन सर्जरी- थोराकोटॉमी में सर्जन पसलियों के बीच छाती को काटता है। ओपन सर्जरी की तुलना में वीएटीएस में कम दर्द, कम जटिलताएं और कम रिकवरी समय होता है। वीएटीएस सर्जरी में आमतौर पर 2 से 3 घंटे लगते हैं। आपको कुछ दिनों के लिए अस्पताल में रहने की आवश्यकता हो सकती है।