Saturday, July 19, 2025
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अर्द्धमौनी उवाच : जगन्नाथ जी की कथा का रहस्य: भगवान जगन्नाथ, बल्देव एवं सुभद्रा महारानी 

अर्द्धमौनी उवाच : जगन्नाथ जी की कथा का रहस्य: भगवान जगन्नाथ, बल्देव एवं सुभद्रा महारानी की पवित्र कथा में श्रीकृष्ण अपने परम भक्त राज इन्द्रद्युम्न के सपने में आये और उन्हे आदेश दिया कि पुरी के समुद्र किनारे पर स्थित पेड़ के तने में से भगवान् का विग्रह बनायें। राजा ने इस कार्य के लिये सबसे उत्तम मूर्तिकार की तलाश शुरु की। कुछ दिनो बाद एक रहस्यमय बूढा शिल्पी आया और उसने कहा कि प्रभु का विग्रह बनाना चाहता है। लेकिन उसकी एक शर्त थी – कि वो विग्रह बन्द कमरे में बनायेगा और उसका कार्य पूर्ण होने तक कोई भी कमरे का दरवाजा नहीं खोलेगा, नहीं तो वो अधूरा छोड़ कर चला जायेगा। ६-७ दिन बाद कार्य करने की आवाज़ आनी बन्द हो गयी तो राजा से रहा न गया और ये सोचते हुए कि मूर्तिकार को कुछ हो गया होगा, उसने दरवाजा खोल दिया। पर अन्दर तो सिर्फ़ भगवान का अधूरा विग्रह ही मिला और बूढा मूर्तिकार गायब हो चुका था। तब राजा को एहसास हुआ कि कोई नहीं बल्कि देवों के वास्तुकार विश्वकर्मा जी थे। राजा को आघात हो गया क्योंकि विग्रह के हाथ और पैर नहीं थे और वह पछतावा करने लगा कि उसने दरवाजा क्यों खोला। पर तभी वहाँ पर नारद मुनि पधारे और उन्होंने राजा से कहा कि भगवान इसी स्वरूप में अवतरित होना चाहते थे और दरवाजा खोलने का विचार स्वयं श्री कृष्ण ने राजा की चेतना में डाला था। इसलिये वह निश्चिन्त हो जाये क्योंकि सब श्री कृष्ण की इच्छा ही है।

 

दूसरी कथा महाभारत जगन्नाथ के रूप का रहस्य क्या है। माता यशोदा, सुभद्रा और देवकी जी, वृन्दावन से द्वारका आये हुए थे। रानियों ने उनसे निवेदन किया कि वे उन्हे श्री कृष्ण की बाल लीलाओ के बारे में बतायें। सुभद्रा जी दरवाजे पर पहरा दे रही थी, कि अगर कृष्ण और बलराम आ जायेंगे तो वो सबको सूचित कर देगी। लेकिन वो भी कृष्ण की बाल लीलाओ को सुनने में इतनी मग्न हो गयी, कि उन्हे कृष्ण बलराम के आने का पता ही नहीं रहा। दोनो भाइयो ने जो सुना, उस से उन्हे इतना आनन्द मिला की उनके बाल सीधे खडे हो गये, उनकी आँखें बड़ी हो गयी, उनके होठों पर बहुत बड़ा विस्मय छा गया और उनके शरीर भक्ति के प्रेमभाव वाले वातावरण में पिघलने लगे। सुभद्रा बहुत ज्यादा भाव विभोर हो गयी थी इस लिये उनका शरीर सबसे अधिक पिघल गया और इसी लिये उनका कद जगन्नाथ के मन्दिर में सबसे छोटा है। तभी वहाँ नारद मुनि पधारे और उनके आने से सब लोग चेतना में आये। श्री कृष्ण का ये रूप देख कर नारद बोले कि “हे भगवान, आप कितने सुन्दर लग रहे हो। आप इस रूप में अवतार कब लेंगे?” तब कृष्ण ने कहा कि कलियुग में वो ऐसा अवतार लेंगे और उन्होंने ने कलियुग में राजा इन्द्रद्युम्न को निमित बनाकर जगन्नाथ अवतार लिया।