आह सम्भली तथा सोहलत सम्भली की याद में शोकसभा
संभल। गुल एजूकेशनल ए सोशल वेलफेयर सोसाइटी के तत्वावधान में डॉ. अजीज उल्ला खां के आवास पर प्रसिद्ध शायर सैयद अजहर हुसैन आह सम्भली एवं ख्वाजा सोहलत सम्भली की याद में शोकसभा का आयोजन किया गया। शोकसभा में दोनों शायरों की साहित्यिक सेवाओं पर प्रकाश डालते श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
डॉ. अजीज उल्ला खान ने कहा कि आह सम्भली तथा सोहलत सम्भली की गिनती सम्भल के उस्ताद शायरों में होती थी। दोनो ही शायरों ने अपना पूरा जीवन उर्दू साहित्य की सेवा में गुज़ार दिया।
वसीम अख्तर सम्भली ने कहा आह सम्भली तथा सोहलत सम्मली सम्भली का निधन हमारे लिए तथा उर्दू साहित्य के लिए अपूर्णीय क्षति है।
रफीक राही सम्भली ने कहा कि आह सम्भली तथा सोहलत सम्भली सूफी पद्धति के शायर थे। दोनों शायरो की रचनाओं में इश्के हकीकी कूट-कूट कर भरा हुआ है।
निजाम सम्भली ने कहा कि आह सम्भली तथा सोहलत सम्भली ने हमेशा नौजवान शायरों का मार्गदर्शन किया तथा साहित्य लेखन के लिए हमेशा प्रेरित किया।
फईम साकिब ने कहा कि आह सम्भली तया सोहलत सम्भली ने जिन्दगी को बहुत करीब से देखा और समझा है जिसकी झलक दोनो शायरों की रचनाओ में बखूबी देखने को मिलती है।
इस दौरान मुदस्सिर हुसैन एडवोकेट ने कहा कि आह सम्भली तथा सोहलत सम्भली ने शायर के रूप में सम्भल की नुमाइंदगी पूरे हिन्दोस्तान में की है।
शायर अजमत उल्ला ने कहा आह सम्भली तथा सोहलत सम्भली द्वारा लिखित पुस्तकें नई नस्लों के लिए एक मील का पत्थर हैं।
शुजात हुसैन सम्भली ने कहा कि आह सम्भली तथा सोहलत सम्भली ने अपनी पूरी जिन्दगी “सादा जीवन तथा उच्च विचार “के आदशों पर गुजारते हुए मानव सेवा को प्राथमिकता दी।
इसके अतिरिक्त शोकसभा में शैहला खान, खलीक अहमद मौ. तौसिफ, अनस मजीदी, सुहैल अनवर, मौ. रिजवान आदि उपस्थित रहे। सदारत रफीक राही तथा निजामत मास्टर वसीम अख्तर ने की।