नास्तिकतावाद सत्य और यथार्थ से परे हैं: आचार्य अतुल सहगल

 

गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में “नास्तिकतावाद” पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।य़ह कोरोना काल से 593 वाँ वेबिनार था।

 

वैदिक प्रवक्ता आचार्य अतुल सहगल ने कहा कि नास्तिकतावाद सत्य,ज्ञान और यथार्थ से परे हैं।उन्होंने कहा कि जब ईश्वर परम सत्य है तो नास्तिकतावाद मिथ्या धारणा के अतिरिक्त और क्या हो सकता है? वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है और वेद के अधिकांश मन्त्र ईश्वर की बात ही करते हैं और उसे ब्रह्माण्ड का कर्त्ता,धर्ता और नियंता बताते हैं।अनेक मन्त्र ईश्वर को परम सत्ता मानते हुए उसका ही गुणगान करते हैं तो फिर नास्तिकतावाद वेद विरुद्ध अवधारणा के अतिरिक्त और क्या है?साथ ही नास्तिकतावाद के प्रारम्भ की चर्चा करते हुए कहा कि इसका उदगम चार्वाक दर्शन से हुआ जिसका प्रवर्तक प्राचीन काल में बृहस्पति नामक एक व्यक्ति था।यह दर्शन भौतिकवादी है और ईश्वर का खंडन करता है। यह लोकमय दर्शन कहलाता है क्योंकि यह जड़वादी है।वर्त्तमान समय के नास्तिकवादी लोग इसी दर्शन को पकड़े हुए हैं।आज विश्व में लगभग 15 प्रतिशत लोग नास्तिकवादी हैं जिसमें से सौ करोड़ लोग केवल चीन में रहते हैं। बड़े दुर्भाग्य की बात तो यह है कि नास्तिकतावाद का कीड़ा आज के युवा वर्ग को अधिक ग्रसित किये हुए है।इसके कारण युवा वर्ग भटक सा रहा है।जीवन में भौतिक सुखों को भोगना ही नास्तिकवादियों के लिए मुख्य और महत्वपूर्ण विषय है अन्य विषय गौण बन जाते हैं।इन सब बातों को सामयिक परिपेक्ष्य में वक्ता ने कहा कि नास्तिकतावाद मनुष्य को भौतिकता में जकड़ लेता है।इसका परिणाम प्रारंभिक और मध्यकाल में सुख हो सकते हैं पर अंततः दुख ही होते हैं। आज नास्तिकतावाद से उत्पत्र कई विचारधारायें और संस्थाएं भी निर्मित हो चुकी हैं जो मानव के लिए अहितकर और अकल्याणकारी हैं।वामपंथ बढ़ोत्तरी पर है।वक्ता ने तत्पश्चात नास्तिकतावाद का प्रतिकार करने पर ज़ोर दिया।यह कहा कि व्यापक और विस्तृत वेद प्रचार की और मौलिक मानवतावादी एवं ईश्वरवादी धारणाओं को प्रबल करने की आवश्यकता है l वर्तमान समाज के कई उदाहरण देते हुए अपनी बातों की पुष्टि की। वेद प्रचार ही उन सब रोगों की औषधि है जो नास्तिक और अनीश्वरवादी विचारों से उत्पन्न हुए हैं।हमें ऋषि दयानन्द के बताये हुए मार्ग पर चलना है और उस मार्ग से भटके हुए जनों को उस मार्ग पर लाना है।

 

मुख्य अतिथि आर्य नेता ओम सपड़ा व अध्यक्ष मूल शंकर सिक्का ने ईश्वर के सही स्वरूप की व्याख्या करते हुए युवा पीढ़ी को वेदों की और लौटने का आह्वान किया।केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया और राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया।  गायिका प्रवीना ठक्कर, कमला हंस, कौशल्या अरोड़ा, उषा सूद, पिंकी आर्या, रविन्द्र गुप्ता, जनक अरोड़ा आदि के मधुर भजन हुए।