रैलियों, जुलूसों और सार्वजनिक बैठकों सहित विभिन्न गतिविधियों के लिए रिटर्निंग अधिकारियों की अनुमति अनिवार्य

 

लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. न सिर्फ राजनीतिक पार्टियों बल्कि चुनाव आयोग की भी तैयारियां जोरों पर हैं. लोकसभा को सबसे अधिक सांसद देने वाले उत्तर प्रदेश में चुनाव आयोग ने चुनाव प्रक्रिया और प्रचार की हिदायतें जारी की हैं. मुख्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से जारी निर्देश पत्र में लोकसभा चुनावों में प्रचार खर्च की सीमा 95 लाख रुपए तय की गई है.

 

उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी यानी सीईओ नवदीप रिनवा ने लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों को निर्देश जारी किए हैं. सीईओ ने राजनीतिक दलों को रैलियों और जुलूसों के लिए आयोग से पूर्व अनुमति लेने के निर्देश जारी किए हैं. आयोग की टीम ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर सभा समारोह स्थलों की बुकिंग को हरी झंडी देगी.

 

नवदीप रिनवा की ओर से जारी निर्देश पत्र के मुताबिक लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार खर्च की सीमा 95 लाख रुपए और विधानसभा चुनावों के लिए 40 लाख रुपए तय है. उम्मीदवारों को 10,000 रुपए से अधिक का लेनदेन बैंकों के माध्यम से करने का भी स्पष्ट निर्देश दिया गया है. इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक पार्टियों को एक सप्ताह के भीतर स्टार प्रचारकों की सूची जमा करने का आदेश दिया गया है. इसमें उनके दौरे और सभाओं के खर्च को प्रचार अभियान के बजट में शामिल किया जाएगा.

 

रैलियों, जुलूसों और सार्वजनिक बैठकों सभाओं सहित विभिन्न अभियान गतिविधियों के लिए रिटर्निंग अधिकारियों की अनुमति अब अनिवार्य होगी. राजनीतिक दलों को प्रचार वाहनों और सहयोगियों, जुलूसों और सार्वजनिक बैठकों सहित विभिन्न अभियान गतिविधियों के इस्तेमाल के लिए रिटर्निंग अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी.